जेल से बाहर आया नेत्रहीन अम्मीचंद:हाईकोर्ट ने दिए थे रिहाई के आदेश, पुलिस ने अपहरण के मामले में फंसाया था
जेल से बाहर आया नेत्रहीन अम्मीचंद:हाईकोर्ट ने दिए थे रिहाई के आदेश, पुलिस ने अपहरण के मामले में फंसाया था

सादुलपुर : अपहरण और मारपीट के मामले में फंसाए गए नेत्रहीन मोतिया उर्फ अम्मीचंद (29) जेल से बाहर आ गए हैं। जोधपुर हाईकोर्ट के आदेश के बाद उन्हें रिहा किया गया। जेल से बाहर आने के बाद परिजनों ने अम्मीचंद को माला पहनाई और मिठाई खिलाई। अम्मीचंद को पिकअप के केबिन के ऊपर बैठाकर जेल से बस स्टैंड तक जुलूस निकाला गया।
इस दौरान अम्मीचंद ने कहा कि मुझे पहले तो नशीला पदार्थ पिलाया और उसके बाद दो लोग बाइक पर बैठाकर थाने में छोड़ गए थे।
दरअसल…अम्मीचंद को मारपीट और अपहरण के मामले में तारानगर पुलिस थाने के जांच अधिकारी ने फंसाया था। जांच अधिकारी ने असली आरोपी को बचाने के लिए अम्मीचंद को झूठा अभियुक्त बना दिया था। इस कारण वह पिछले दो महीने से राजगढ़ उप कारागृह में बंद था। शनिवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने अम्मीचंद की रिवीजन याचिका स्वीकार की। कोर्ट ने उन्हें निर्दोष मानते हुए रिहाई का आदेश दिया था। साथ ही, 2 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति का भी आदेश जारी किया था।
दोषियों के खिलाफ मामला दर्ज करवाएंगे-ताऊ
ताऊ सत्यवीर सिंह ने कहा-जो भी दोषी व्यक्ति है चाहे एसएचओ हो या अन्य, साथ ही जो भी इस मामले से संबंधित है, उनके खिलाफ 420, मानव अधिकार और प्रताड़ित करने का मामला दर्ज करवाएंगे। हम हमारी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे की जो भी दोषी है, उसको सजा मिले। एडवोकेट हरदीप ने कहा-सच्चाई की जीत हुई है। एक निर्दोष व्यक्ति 87 दिन जेल में रहने के बाद बाहर आया है। अम्मीचंद को झूठे मुकदमे में फंसाया गया, इसके खिलाफ झूठे साक्ष्य बनाए गए। अब जैसा अम्मीचंद कहेगा, उसी प्रकार की कानूनी कार्रवाई करेंगे।

ये था पूरा मामला
दरअसल, 14 मार्च 2025 चूरू जिले के झोथड़ा गांव (थाना तारानगर) में एक युवक विनोद कुमार का पांच युवकों ने किडनैप कर लिया था। उसके साथ मारपीट की और पैसे भी छीन लिए। शिकायतकर्ता हरिसिंह के अनुसार उसके भतीजे विनोद को किडनैप करने वाले रामनिवास, सोनू और प्रताप सहित दो अज्ञात लोग थे। पुलिस ने उसी शाम एफआईआर दर्ज कर जांच हेड कॉन्स्टेबल धर्मेंद्र कुमार को सौंपी थी।
आरोपी नहीं फिर भी गिरफ्तारी और चार्जशीट
जांच में पुलिस ने नामजद नहीं होने के बावजूद सादुलपुर के गांव भीमसाना निवासी मोतिया उर्फ अम्मीचंद (29), जो 80-85% दृष्टिबाधित है, उसे सह-आरोपी बनाया। जबरन उसकी निशानदेही पर डंडा बरामद करना बताया और उसे गिरफ्तार कर चूरू सेंट्रल जेल भेज दिया। इसके बाद पुलिस ने तारानगर कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी। इस मामले में पीड़ित मोतिया की तरफ से अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की कोर्ट में जमानत याचिका दायर की गई, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।

ट्रेनी आईपीएस की जांच में हुआ खुलासा
इसी बीच, मोतिया के भाई की अर्जी पर चूरू पुलिस अधीक्षक ने जांच एक ट्रेनी IPS अधिकारी को सौंपी। जांच में सामने आया कि दृष्टिबाधित मोतिया घटनास्थल पर था ही नहीं था। उसे फंसाया गया है। ट्रेनी आईपीएस की रिपोर्ट के बाद एसपी ने आरोपी जांच अधिकारी को निलंबित कर दिया। हालांकि, तब तक केस में चार्जशीट सब्मिट हो चुकी थी। इसलिए एसपी के रिहाई के आदेश के बाद भी अम्मीचंद जेल से बाहर नहीं आ सका था।
अमीचंद का फूल मालाओं से स्वागत किया
जेल से रिहा होने पर परिवारजनों और क्षेत्रवासियों ने अमीचंद का फूल मालाओं से स्वागत किया। अमीचंद के परिवार ने जेल परिसर के सामने ही एडवोकेट हरदीप सिंह सुंदरिया और उनकी लीगल टीम का माला और साफा पहनाकर आभार व्यक्त किया।