झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर राजस्व विभाग के नोटिस के खिलाफ प्रदर्शन:भड़ौदा कलां के ग्रामीणों पहुंचे, विधायक भी शामिल; बोले-1948 से जमीन पर काबिज
झुंझुनूं कलेक्ट्रेट पर राजस्व विभाग के नोटिस के खिलाफ प्रदर्शन:भड़ौदा कलां के ग्रामीणों पहुंचे, विधायक भी शामिल; बोले-1948 से जमीन पर काबिज

झुंझुनूं : झुंझुनूं के भड़ौदा कलां गांव के ग्रामीणों सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट पहुंचे और प्रदर्शन किया। गांव वालों ने आरोप लगाया- राज्य सरकार जमीन से बेदखल करने की तैयारी कर रही है। हम पिछले 70 साल से उस भूमि पर काबिज हैं और लगातार खेती कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों के साथ विधायक राजेन्द्र भाम्बू भी मौजूद रहे। उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए मामले में हस्तक्षेप की मांग की।
ग्रामीणों ने बताया- वर्ष 1948 में तत्कालीन जयपुर स्टेट के डिप्टी कमिश्नर (रेवेन्यू) द्वारा यह जमीन ग्रामवासियों को आवंटित की गई थी। इस पर वर्षों से खेती की जा रही है। ग्रामवासी न केवल उस समय से लगातार खेती कर रहे हैं बल्कि राज्य सरकार को नियमित लगान भी अदा करते आ रहे हैं। बावजूद इसके अब उन्हें सरकारी आदेश के जरिए बेदखली के नोटिस थमाए जा रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि यह जमीन करीब साढ़े तीन हजार बीघा है और इस पर सभी जातियों व समाजों के किसान परिवारों की वर्षों से निर्भरता रही है। उनका गिरदावरी रिकॉर्ड में नाम है और अधिकांश खेतों पर स्थायी रूप से फसलें बोई जाती हैं। उनका यह भी आरोप है कि भूमि को गैर मुमकिन नदी बताकर नोटिस भेजे जा रहे हैं, जबकि वास्तविकता में वह जमीन वर्षों से कृषि भूमि के रूप में उपयोग में ली जा रही है।
बोले-यह हमारे साथ सरासर अन्याय
प्रदर्शन में शामिल विकास ने बताया- हमने जयपुर रियासत के समय से लेकर राजस्थान सरकार तक हर काल में राजस्व जमा करवाया है, पर आज हमें सिर्फ इसलिए बेदखल किया जा रहा है क्योंकि सरकार कागजों में इस जमीन को नदी दिखा रही है। जब जमीन पर फसलें खड़ी हैं, परिवार पीढ़ियों से रह रहे हैं, तो यह कैसे गैर मुमकिन भूमि हो सकती है? यह हमारे साथ सरासर अन्याय है।
विधायक बोले-किसानों के साथ नहीं होने देंगे अन्याय
झुंझुनूं विधायक राजेंद्र भांबू मौके पर पहुंचे और कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में लिखा कि ग्राम भड़ौदा कलां की जिस जमीन को लेकर नोटिस जारी किए गए हैं, वह भूमि 1948 में जयपुर स्टेट के आदेशानुसार ग्रामवासियों को आवंटित की गई थी। उसके बाद वर्ष 1952 से 1955 तक की गिरदावरी रिपोर्ट में भी ग्रामीणों के नाम दर्ज है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि ग्रामीणों को भेजे गए अतिक्रमण के नोटिस तत्काल निरस्त किए जाएं और राजस्व रिकॉर्ड के आधार पर ग्रामीणों को उनका वैध हक दिया जाए।
ग्रामीणों की मांगें –
- अतिक्रमण के नोटिस तुरंत प्रभाव से वापस लिए जाएं।
- 1952 से 1955 की गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर उन्हें खातेदारी अधिकार प्रदान किए जाएं।
- जमीन को गैर मुमकिन नदी की श्रेणी से हटाकर कृषि भूमि घोषित किया जाए।
- पीढ़ियों से जमीन पर खेती करने वालों को स्थायी मालिकाना हक दिया जाए।