नवजात जन्म प्रमाण-पत्र अब सीधा वॉट्सऐप पर:डिलीवरी के बाद अस्पताल से छुट्टी से पहले मिलेगा, 7 दिन की समय-सीमा तय
नवजात जन्म प्रमाण-पत्र अब सीधा वॉट्सऐप पर:डिलीवरी के बाद अस्पताल से छुट्टी से पहले मिलेगा, 7 दिन की समय-सीमा तय

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले के नवजात बच्चों के माता-पिता को अब जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने के लिए न तो नगरपालिका के चक्कर काटने होंगे और न ही किसी बिचौलिए से संपर्क करना पड़ेगा। केंद्र सरकार की ओर से लागू की गई नई व्यवस्था के तहत अब नवजात शिशु का जन्म प्रमाण-पत्र सीधे उसके परिजन के पंजीकृत मोबाइल नंबर पर वॉट्सऐप के जरिए भेजा जाएगा।
भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय की ओर से हाल ही में सभी राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को भेजे गए सख्त निर्देशों के बाद अब राजस्थान के झुंझुनूं जिले में भी यह व्यवस्था प्रभावी रूप से लागू की जा रही है।
अब अस्पताल से डिस्चार्ज से पहले मिलेगा प्रमाण-पत्र
अभी तक जिले में जन्म प्रमाण-पत्र के लिए बच्चे के जन्म के बाद माता-पिता को संबंधित नगर परिषद या ग्राम पंचायत कार्यालय जाकर आवेदन करना पड़ता था। इस प्रक्रिया में कई बार दस्तावेज अधूरे रहने, कर्मचारी के नहीं मिलने या तकनीकी कारणों से प्रमाण-पत्र जारी होने में कई हफ्तों का समय लग जाता था। लेकिन अब यह झंझट खत्म होने वाला है।
अब झुंझुनूं के सरकारी और निजी अस्पतालों में बच्चे का जन्म होते ही उसका ऑनलाइन पंजीकरण किया जाएगा और उसी दौरान प्रमाण-पत्र भी तैयार कर लिया जाएगा। अस्पताल से डिस्चार्ज के समय या उससे पहले ही यह प्रमाण-पत्र माता-पिता को दे दिया जाएगा। साथ ही प्रमाण-पत्र की सॉफ्ट कॉपी भी पंजीकृत मोबाइल नंबर पर वॉट्सऐप से भेज दी जाएगी।
एक सप्ताह की तय की गई समय सीमा
भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार जन्म प्रमाण-पत्र जारी करने की अधिकतम समय सीमा सात दिन तय की गई है। यानी नवजात का पंजीकरण होने के सात दिन के भीतर हर हाल में प्रमाण-पत्र तैयार होकर परिजनों तक पहुंच जाना चाहिए। इस संबंध में भारत सरकार के रजिस्ट्रार जनरल कार्यालय के संयुक्त निदेशक एके पाण्डेय ने राज्यों के मुख्य रजिस्ट्रारों को आदेश जारी किए।
आदेश में कहा गया है- जहां देश के 50 प्रतिशत से अधिक संस्थागत जन्म होते हैं, वहां इस व्यवस्था को पूरी सख्ती से लागू किया जाए। झुंझुनूं जिले में हर साल करीब 32 हजार से ज्यादा संस्थागत प्रसव दर्ज होते हैं, ऐसे में इस जिले में इस व्यवस्था से हजारों परिवारों को सीधा लाभ मिलेगा।
- झुंझुनूं जिले में हो चुकी है तैयारी- झुंझुनूं की जिला सांख्यिकी अधिकारी पूनम कटेवा के अनुसार जिले के सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) और जिला अस्पतालों को इस नई व्यवस्था की जानकारी दे दी गई है। जन्म के तुरंत बाद शिशु का डाटा ऑनलाइन पोर्टल पर दर्ज किया जाएगा और मोबाइल नंबर सही तरीके से फीड किया जाएगा, ताकि प्रमाण-पत्र भेजने में कोई परेशानी न हो।
- मोबाइल पर भेजा जाएगा सर्टिफिकेट- प्रमाण-पत्र उसी मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा जो डिलीवरी के समय पंजीकृत किया गया है। इसलिए अस्पताल में भर्ती के समय ही पति या परिवार के जिम्मेदार सदस्य का मोबाइल नंबर सही रूप से दर्ज करवाना जरूरी होगा। यह प्रमाण-पत्र इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर और क्यूआर कोड से युक्त होगा, जिससे इसकी वैधता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जा सकेगी।
- नगर परिषद, नगरपालिका भी होंगे लिंक- नगर परिषद झुंझुनूं के अधिशासी अधिकारी मुकेश वर्मा ने बताया कि अब अस्पतालों से डाटा सीधे नगर परिषद और जन्म-मृत्यु पंजीकरण पोर्टल से लिंक हो जाएगा। जब अस्पताल पंजीकरण करेगा, तो उस आधार पर नगर परिषद में भी प्रमाण-पत्र का स्वचालित निर्माण होगा। इसे मोबाइल पर भेजने के साथ जरूरत पड़ने पर वेबसाइट से डाउनलोड करने की सुविधा भी उपलब्ध रहेगी। डिजिटल इंडिया मिशन के तहत झुंझुनूं नगर परिषद पहले से ही इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी कर चुकी थी और अब केंद्र सरकार के आदेश के बाद यह सुविधा और सुदृढ़ की जा रही है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में भी पहुंचेगी सुविधा- झुंझुनूं के ग्रामीण क्षेत्रों में जहां प्रसव सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में होते हैं, वहां भी यह व्यवस्था लागू की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग और ग्राम पंचायत सचिवों को आपसी समन्वय से इस प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए जिले की ग्राम पंचायतों को पोर्टल से जोड़ा गया है, ताकि ऑनलाइन पंजीकरण के तुरंत बाद प्रमाण-पत्र भेजने में कोई विलंब न हो।
अभिभावकों के लिए बड़ी राहत
जिले के वार्ड नंबर 12 निवासी नवप्रभात और पूजा शर्मा हाल ही में माता-पिता बने हैं। उन्होंने बताया कि पहले बेटी के जन्म पर जन्म प्रमाण-पत्र बनवाने में तीन हफ्ते लगे थे, लेकिन इस बार बेटे के जन्म के बाद अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही प्रमाण-पत्र वॉट्सऐप पर मिल गया। पूजा शर्मा कहती हैं कि यह व्यवस्था बेहद राहत भरी है और इससे सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से बचाव हुआ।