चोट की वजह से फुटबॉल खेलना छूटा पर शुभम का हौंसला नहीं टूटा
पोसानी के शुभम जोशी बने एएफसी सी लाइसेंस वाले सबसे युवा कोच

सीकर : यदि कड़ी मेहनत और जज़्बा हो तो उम्र कोई बाधा नहीं हो सकती। यदि आगे बढ़ने की जिद हो तो कोई भी बाधा राह नहीं रोक सकती है।पोसानी गांव के राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी शुभम जोशी ने महज 21 वर्ष की उम्र में आल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन का एएफसी सी लाइसेंस कोचिंग डिप्लोमा लेकर इस बात को सच साबित कर दिखाया है। फुटबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे शुभम जोशी एशियन फुटबॉल कन्फेडरेशन सी लाइसेंस हासिल करने वाले राजस्थान के सबसे युवा फुटबॉल कोच हैं।
शुभम के पिता शिवपाल जोशी ने बताया कि शुभम में बचपन से ही फुटबॉल खेल के प्रति गहरी रुचि थी। वह कोलीड़ा स्थित मैदान में अपने साथियों के साथ फुटबॉल खेलने जाता था। कक्षा 12 में पढ़ाई के दौरान 2022-23 के सत्र में केशवानंद की ओर से 19 वर्ष आयु वर्ग की स्कूली नेशनल प्रतियोगिता में राजस्थान की टीम का प्रतिनिधित्व किया।
घुटने की चोट से खेलना छूटा तो कोच बनने की ठानी
नेशनल खेलने के बाद शुभम नियमित रूप से कोलीड़ा की फुटबॉल टीम का हिस्सा रहे। लेकिन बाद में घुटने में लगी चोट की वजह से खेल से दूरी बनानी पड़ी। घुटने के इलाज के बाद उसे खेलना छोड़ना पड़ा लेकिन उसने अपना हौंसला और फुटबॉल को नहीं छोड़ा। शुभम ने फुटबॉल प्रशिक्षक बन आगे बढ़ने की राह चुनी। सबसे पहले 2024 में आल इंडिया फुटबॉल फैडरेशन का डी लाइसेंस डिप्लोमा पूरा किया। इसके माध्यम से फुटबॉल की गहराई को समझा और खुद को खिलाड़ियों को सिखाने के लिए तैयार किया। उन्हें पंजाब के मिनर्वा फुटबॉल क्लब में कोच के रूप में नियुक्ति मिली। फिर बेंगलुरु के मिनर्वा एफसी में स्थानांतरित होकर खिलाड़ियों के तकनीकी और मानसिक विकास पर खास ध्यान दिया। बाद में अपने अनुभव और मेहनत के आधार पर एशियन फुटबॉल कन्फेडरेशन सी लाइसेंस कोचिंग डिप्लोमा में प्रवेश लिया। यह डिप्लोमा कोच के लिए प्रोफेशनल स्तर पर उपलब्धि मानी जाती है। एएफसी सी लाइसेंस डिप्लोमा पूर्ण कर राजस्थान के सबसे कम उम्र के सी लाइसेंस प्राप्त कोच बने।
शुभम का कहना हैं कि कोचिंग का उद्देश्य सिर्फ खिलाड़ियों के तकनीकी कौशल को निखारना ही नहीं है, बल्कि कोच का उद्देश्य खिलाड़ियों में अनुशासन, खेल भावना और नेतृत्व क्षमता भी विकसित करना होता है। कोलीड़ा फुटबॉल टीम के कैप्टन खिलाड़ी सुरेश जाखड़ ने बताया कि सीकर जिले के गांवों में फुटबॉल खेल काफी तेजी से फल फूल रहा है। सीकर के खिलाड़ी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। फुटबॉल टीमें राज्य स्तर की प्रतियोगिताओं में परचम फहरा रही हैं। वहीं सीकर के खिलाड़ी खेल के साथ साथ कोचिंग व निर्णयन के क्षेत्र में भी पहचान बना रहे हैं। शुभम जोशी ने कोचिंग के क्षेत्र में उपलब्धि हासिल की है। सीकर के खिलाड़ियों को उनके प्रशिक्षण अनुभव से काफी फायदा मिलेगा।