झुंझुनूं के आलोक झाझड़िया बने लेफ्टिनेंट:12वें प्रयास और 16 लाख के पैकेज को छोड़कर रचा इतिहास
झुंझुनूं के आलोक झाझड़िया बने लेफ्टिनेंट:12वें प्रयास और 16 लाख के पैकेज को छोड़कर रचा इतिहास

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : चंद्रकांत बंका
झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले के छोटे से गांव भंडौन्दा कला के इतिहास में सुनहरे अक्षरों से दर्ज हो गया। गांव के सपूत आलोक झाझड़िया ने भारतीय सैन्य अकादमी (IMA), देहरादून से पासिंग आउट परेड में शानदार कदमताल करते हुए भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर कमीशन हासिल किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत अदम्य संकल्प की गाथा है, बल्कि एक गौरवशाली सैन्य विरासत को नई ऊंचाई देने और अपने गांव व जिले का मान बढ़ाने का प्रतीक भी है। 14 जून को हुई पासिंग आउट परेड में जब नवनियुक्त लेफ्टिनेंट आलोक झाझड़िया गर्व से कदमताल करते नजर आए, तो उनके माता-पिता, परिवारजनों और गांववालों का सीना गर्व चौड़ा हो गया।
लेफ्टिनेंट झाझड़िया अब भारतीय सेना की तकनीकी शाखा में अपनी इंजीनियरिंग योग्यता और नेतृत्व क्षमता से देश की सेवा करेंगे।परिवार की चौथी पीढ़ी के वर्दीधारी: सैन्य सेवा में नई इबारत 25 वर्षीय लेफ्टिनेंट आलोक झाझड़िया अपने परिवार की चौथी पीढ़ी के सैन्य अधिकारी हैं। झाझड़िया परिवार का भारतीय सेना के साथ अटूट नाता रहा है, परदादा: नारायण राम झाझड़िया (द्वितीय विश्व युद्ध, राजपुताना राइफल्स); दादा: सूबेदार (सेवानिवृत्त) विद्याधर सिंह, पिता: ऑनरेरी नायब सूबेदार इंद्र सिंह, चाचा: सूबेदार सत्यवीर सिंह, लेफ्टिनेंट आलोक ने इस गौरवशाली परंपरा को अधिकारी पद तक पहुंचाकर एक नया अध्याय जोड़ा है।
सपनों की लगन: कॉर्पोरेट माया को ठुकराया, वर्दी को चुना
बचपन से ही वर्दी पहनकर देश सेवा का सपना देखने वाले आलोक ने अपनी शिक्षा प्रतिष्ठित आर्मी पब्लिक स्कूल, जयपुर से पूरी की। उनकी मेधा और रुचि विज्ञान की ओर थी, जिसके चलते उन्होंने पुणे स्थित आर्मी इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (AIT) से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में स्नातक किया। यहां उनकी प्रतिभा का परिचय इसी से मिलता है कि स्नातक के तुरंत बाद ही उन्हें बहुराष्ट्रीय कंपनी जेपी मॉर्गन चेस में 16 लाख रुपये वार्षिक के आकर्षक पैकेज के साथ नौकरी मिल गई। हालांकि, उनका मन कॉर्पोरेट दुनिया में नहीं रमा। वर्दी की पुकार उनके दिल में बसी थी।
11 असफलताओं को मात: 12वें प्रयास में जीता SSB का युद्ध
आलोक का सैन्य अधिकारी बनने का रास्ता कठिनाइयों से भरा था। उन्होंने लगातार 11 बार सेवा चयन बोर्ड (SSB) की कठिन परीक्षा दी, लेकिन हर बार सफलता नहीं मिली। कई लोगों के लिए यह हार मान लेने का वक्त होता, पर आलोक ने हिम्मत नहीं हारी। उनके अडिग संकल्प और अथक परिश्रम ने आखिरकार रंग लाया। 12वें प्रयास में 24 SSB, बेंगलुरु में उनका चयन हो गया। यह वह ऐतिहासिक पल था जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। उन्होंने लाखों रुपये के सालाना पैकेज वाली नौकरी को सिरे से ठुकरा दिया, ताकि देश की सेवा का अपना बचपन का सपना पूरा कर सकें।
देहरादून की कठोर तपस्या: अब लेफ्टिनेंट आलोक झाझड़िया
चयन के बाद आलोक ने IMA देहरादून में 18 महीने की अत्यंत कठोर और चुनौतीपूर्ण प्रशिक्षण अवधि पूरी की। इस दौरान उन्होंने नेतृत्व क्षमता, शारीरिक सहनशक्ति, रणनीतिक सोच, हथियार प्रशिक्षण और युद्ध कौशल में महारत हासिल की।