झुंझुनूं-मलसीसर(कालियासर) : तिरंगा यात्रा के साथ पहुंची शहीद जेसीओ देवकरण की पार्थिव देह:ड्यूटी के दौरान अचानक खराब हुई थी तबीयत, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
तिरंगा यात्रा के साथ पहुंची शहीद जेसीओ देवकरण की पार्थिव देह:ड्यूटी के दौरान अचानक खराब हुई थी तबीयत, राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार
झुंझुनूं-मलसीसर(कालियासर) : सियाचीन ग्लेशियर में ड्यूटी के दौरान शहीद हुए झुंझुनूं के बेटा की पार्थिव देह मलसीसर पहुंच गई है। उधमपुर से मलसीसर सडक़ मार्ग पार्थिव देह को लाया गया है।अब मलसीसर से उनके पैतृक गांव के लिए तिरंगा यात्रा के साथ पार्थिव देह रवाना हुई है। मलसीसर से करीब 10 किलोमीटर दूर उनके पैतृक बुरडक की ढाणी (कालियासर) राजकीय सम्मान के साथ अंत्येष्टि होगी।
मलसीसर पहुंचने पर थाने में गार्ड ऑफ आनर दिया गया। इसके बाद शहीद के पार्थिव देह को गांव के लिए रवाना किया गया। बड़ी संख्या में युवक और लोग शहीद के पार्थिव देह को लेकर गांव के लिए रवाना हुए। रास्ते में लोगों ने अपने लाड़ले को नमन किया गया। बुरडक की ढाणी निवासी नायाब सूबेदार देवकरण आर्मी की 15 वीं जाट रेजीमेंट यूनिट में तैनात थे।
ड्यूटी के दौरा बिगड़ गई थी तबीयत 13 फरवरी को डयूटी के दौरान अचानक तबीयत खराब हो गई थी। उसके बाद देवकरण को मिल्ट्री अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। जहां उनका इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान रविवार को देवकरण ने देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गए। घर में रविवार शाम को सूचना दी गई। सूचना मिलने के बाद घर में कोहराम मच गया। शहीद देवकरण दोनों बच्चे और पत्नी जयपुर में ही रहते थे। सूचना मिलने के बाद सभी को गांव लाया गया। शहीद देवकरण ऑपरेशन रक्षक के तहत सियाचीन में तैनात थे।
26 सितंबर को आए थे छुट्टी पर
शहीद के चचेरे भाई नितिन कुमार ने बताया कि रविवार को आर्मी हेड क्वार्टर से फोन आया तो पता चला कि शहीद हो गए हैं। नितीन ने बताया कि देवकरण 26 सितम्बर 2022 को आखिरी बार छुट्टी पर आए थे। दस दिन बाद छुट्टी लेकर घर पर आने वाले थे। शहीद देवकरण का परिवार दो साल से जयपुर में रह रहा है। पत्नी अंजू, दो बेटे निखिल (19) व कुनाल (15) भी अपनी मां के साथ जयपुर ही रहते हैं। बड़ा बेटा जयपुर में 12 वीं छोटा 10 वीं का स्टूडेंट है। शहीद देवकरण ने वर्ष 2000 में आर्मी जॉइनिंग की थी।
देवकरण तीन भाइयों में दूसरे नंबर के थे। उनके बड़े भाई संजय सिंह भी आर्मी से रिटायर है, फिलहाल डीएससी आर्मी में कार्यरत है। जबकि छोटा भाई अनिल वर्तमान में आर्मी में तैनात है। शहीद के माता पिता गांव में ही रहते है। पिता भी आर्मी से रिटायर है। बड़ा भाई झुंझुनूं में रहता है, जबकि छोटा भाई अनिल माता पिता के साथ गांव में ही रहता है।