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इकलौते बेटे की शहादत की खबर सुनकर, मां-पत्नी हुईं बेहोश; पाकिस्तानी हमले से कुछ घंटे पहले परिवार से कहा था-मैं सुरक्षित हूं


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इकलौते बेटे की शहादत की खबर सुनकर, मां-पत्नी हुईं बेहोश; पाकिस्तानी हमले से कुछ घंटे पहले परिवार से कहा था-मैं सुरक्षित हूं

इकलौते बेटे की शहादत की खबर सुनकर, मां-पत्नी हुईं बेहोश; पाकिस्तानी हमले से कुछ घंटे पहले परिवार से कहा था-मैं सुरक्षित हूं

मंडावा : आज मदर्स डे मनाया जा रहा है। मांओं के दिन की शुरुआत बेटे-बेटियों के दिए तोहफे और प्यार भरे संदेश से हुई। लेकिन, झुंझुनूं में मंडावा के मेहरदासी गांव की नानू देवी के दिन की शुरुआत सदमे से हुई। जब पता चला कि उनका इकलौता बेटा सुरेंद्र कुमार मोगा (36) शहीद हो गया तो वे बेहोश हो गईं। बॉर्डर पर तनाव के दौरान पाकिस्तान के हमले में उधमपुर (जम्मू-कश्मीर) में तैनात एयरफोर्स जवान सुरेंद्र शनिवार तड़के शहीद हो गए थे। रविवार सुबह उनकी पार्थिव देह मेहरदासी गांव पहुंची। दोपहर में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

फोटो अप्रैल का है। इसमें सुरेंद्र के साथ पत्नी सीमा, बेटी वृतिका और बेटे दक्ष के साथ नजर आ रहे हैं।
फोटो अप्रैल का है। इसमें सुरेंद्र के साथ पत्नी सीमा, बेटी वृतिका और बेटे दक्ष के साथ नजर आ रहे हैं।

एक दिन तक मां से छुपाए रखी बेटे की शहादत की खबर

शनिवार सुबह करीब साढ़े सात बजे सुरेंद्र के शहीद होने की जानकारी परिवार को मिली। उनके जीजा जयप्रकाश को सुरेंद्र के साथियों ने शहादत की सूचना दी। सुरेंद्र परिवार में इकलौता बेटा था।

सुरेंद्र की मां नानू देवी अक्सर बीमार रहती हैं। ऐसे में परिवार के सदस्यों ने सुरेंद्र की शहादत के बारे में मां नानू देवी को भनक तक नहीं लगने दी। शनिवार को भी पुलिस-प्रशासन के लोग आए, तब भी परिवार ने कुछ पता नहीं चलने दिया।

रविवार को सुबह से रिश्तेदारों का आना लगा था। ऐसे में सुबह घर के सदस्यों ने सुरेंद्र की शहादत के बारे में बताया। सुनते ही नानू देवी की तबीयत बिगड़ गई। सुरेंद्र के पिता शिशुपाल सिंह सीआरपीएफ से रिटायर्ड हुए थे। कुछ साल पहले उनका देहांत हुआ था।

शहीद सुरेंद्र की पत्नी सीमा (बीच में) को संभालते परिजन। वे बार-बार बेहोश हो रही थीं।
शहीद सुरेंद्र की पत्नी सीमा (बीच में) को संभालते परिजन। वे बार-बार बेहोश हो रही थीं।

पत्नी को आशंका हुई तो लगाया कॉल, कुछ देर बाद शहादत की जानकारी

सुरेंद्र के साले संदीप ने बताया कि शुक्रवार रात को सुरेंद्र की परिवार से बात हुई थी। शुक्रवार को सुरेंद्र और उसके साथियों की मेडिकल कैंप में नाइट ड्यूटी थी। शनिवार तड़के करीब चार से पांच बजे के बीच पाकिस्तान की ओर से हमला हुआ था।

सुबह करीब 6:30-7 बजे उधमपुर में हमले की खबर सामने आई। ऐसे में पत्नी सीमा ने सुरेंद्र को कॉल किया। लेकिन, कॉल रिसीव नहीं हुआ। इसके कुछ देर बाद ही विभाग की तरफ से उनके पास कॉल आ गया और पता चला कि सुरेंद्र शहीद हो गए।

शहीद सुरेंद्र की बेटी वृतिका का रो-रोकर बुरा हाल है।
शहीद सुरेंद्र की बेटी वृतिका का रो-रोकर बुरा हाल है।

बार-बार बेहोश हो रही पत्नी, एहतियातन एम्बुलेंस तैनात

सुरेंद्र के चचेरे भाई हरलाल मोगा ने बताया कि सुरेंद्र पत्नी और बच्चों के साथ उधमपुर ही रह रहा था। गुरुवार को ही उनकी पत्नी सीमा (33), बेटी वृतिका (11) और बेटा दक्ष (8) गांव लौटे थे। माहौल खराब होने और सीमा के दादा का 12वां होने के चलते सुरेंद्र ने तीनों को भेजा था।

शनिवार सुबह हादसे की जानकारी मिलने के बाद सीमा की तबीयत खराब हो गई। उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया। रविवार सुबह उन्हें घर लाया गया। इस दौरान सीमा बार-बार सुरेंद्र को याद कर बिलखती रही। सीमा तीन बार बेहोश हो गईं। उनकी स्थिति को देखते हुए घर के बाहर एम्बुलेंस तैनात की गई थी।

सीमा बार-बार पति को याद कर पुकारती रही। कुछ देर वह रो-रोकर कहतीं कि अरे आ जाओ। फिर चुप होकर बैठ जातीं। बार-बार बेहोश होती रहीं।

शहीद की बेटी वृतिका का एक वीडियो सामने आया है। इसमें वह कह रही है- मेरे पापा बहुत अच्छे थे। दुश्मनों का खात्मा कर खुद शहीद हो गए। पापा ने कहा था कि यहां कुछ नहीं हो रहा, मैं सेफ हूं। पूरा पाकिस्तान खत्म करना चाहिए। मैं बदला लूंगी। चुन-चुनकर बदला लूंगी। पापा की तरह फौजी बनना चाहती हूं।

शहीद सुरेंद्र की मां और पत्नी की बार-बार बिगड़ती तबीयत को देखते हुए घर के बाहर एम्बुलेंस तैनात की गई है।
शहीद सुरेंद्र की मां और पत्नी की बार-बार बिगड़ती तबीयत को देखते हुए घर के बाहर एम्बुलेंस तैनात की गई है।

फोन पर बोला था- सब ठीक है

हरलाल ने बताया कि शुक्रवार रात को साढ़े नौ बजे उनकी सुरेंद्र से बात हुई थी। उसने बताया था कि कैंप में वह ड्यूटी पर है और सब ठीक है। उसकी रिश्तेदार विनोद ने बताया कि शुक्रवार रात करीब 11:30-12 बजे तक सुरेंद्र से बात हुई थी।

सुरेंद्र ने चचेरे भाई अजय के साथ भी बात की थी। इस दौरान हंसी-मजाक कर रहा था। जब वहां के माहौल के बारे में पूछा तो बोला कि सब ठीक है। यहां सब सुरक्षित हैं। इसके पांच घंटे बाद ही हमले में वो शहीद हो गए।

सुरेंद्र कुमार की तिरंगा यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए। कई नेता भी उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे।
सुरेंद्र कुमार की तिरंगा यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल हुए। कई नेता भी उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे।

बचपन से फौज में जाना चाहते थे सुरेंद्र

सुरेंद्र ने बचपन से पिता को और दूसरे रिश्तेदारों को आर्मी की यूनिफॉर्म में देखा। पिता और चाचा सीआरपीएफ में थे। ऐसे में देश सेवा का जज्बा बचपन से था। सुरेंद्र ने साल 2010 में एयरफोर्स जॉइन की थी।

ग्रामीणों ने भीगी आंखों के साथ गर्व से गांव के बेटे को अंतिम विदाई दी। इससे पहले सुरेंद्र के पार्थिव शरीर को मंडावा से गांव तक तिरंगा यात्रा निकाल कर लाया गया। गांव में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान जनप्रतिनिधि, प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।

शहीद को 8 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। इस दौरान लोगों की आंखें नम हो गईं।
शहीद को 8 साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। इस दौरान लोगों की आंखें नम हो गईं।

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