मेडिकल कोर्स में प्रवेश पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला:दूसरे राज्य से पीजी करने वाली डॉक्टर को राजस्थान में SR कोर्स से नहीं रोक सकते: कोर्ट
मेडिकल कोर्स में प्रवेश पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला:दूसरे राज्य से पीजी करने वाली डॉक्टर को राजस्थान में SR कोर्स से नहीं रोक सकते: कोर्ट

जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महिला डॉक्टर को राज्य सरकार द्वारा सीनियर रेजिडेंट कोर्स में एडमिशन से इंकार करने के मामले में सुनवाई करते हुए कहा है कि राज्य की ऐसी पॉलिसी संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों के विपरीत है। याचिकाकर्ता डॉ. दीपिका एन की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की इसकी प्रारंभिक सुनवाई के बाद जस्टिस दिनेश मेहता की एकलपीठ ने डॉ. दीपिका को सीनियर रेजिडेंट कोर्स (ईएनटी विषय) में प्रवेश देने के अंतरिम आदेश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
दरअसल, पाली निवासी याचिकाकर्ता डॉ. दीपिका एन की ओर से अधिवक्ता ख़िलेरी और विनीता चांगल ने रिट याचिका पेश कर बताया कि याची ने एमबीबीएस कोर्स उत्तीर्ण करने के बाद वर्ष 2021 में राष्ट्रीय नीट प्री-पीजी प्रवेश परीक्षा में भाग लिया। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) की गाइडलाइन्स व मेरिटनुसार राजकीय मेडिकल काउंसलिंग समिति द्वारा याचिकाकर्ता को राजस्थान राज्य का मेडिकल कॉलेज अलॉट नहीं कर पॉन्डिचेरी स्थित मेडिकल कॉलेज में ईएनटी विषय मे एमएस पीजी सीट आवंटित की।
जिस पर उसने ईएनटी विशेषज्ञता विषय मे तीन वर्षीय एमएस (मास्टर ऑफ सर्जरी) डिग्री कोर्स जनवरी 2025 में पूर्ण कर लिया। चूंकि, एनएमसी के रेगुलेशन्स-2022 के अनुसार चिकित्सा शिक्षा विभाग में सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के लिए आवश्यक योग्यता में तीन वर्षीय पीजी मेडिकल कोर्स के बाद एक साल का सीनियर रेजिडेंट कोर्स करना आवश्यक है।
राज्य सरकार ने 2021 के नीट-पीजी परीक्षा के अंकों को आधार मानकर राज्य के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेजिडेंट के रिक्त सीटों पर प्रवेश देने के लिए 1 अप्रैल 2025 को राज्य पॉलिसी जारी की। इसमें राजस्थान राज्य से बाहर के मेडिकल कॉलेज से पीजी मेडिकल कोर्स उत्तीर्ण करने वालों को ऑनलाइन काउंसलिंग में पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया।
यदि ऑनलाइन काउंसिलिंग के बाद सीनियर रेजिडेंट की सीट खाली रहती है, तो ही याचिकाकर्ता जैसे अभ्यर्थियों को प्रवेश देने का प्रावधान रखा गया। इसी को चुनौती देते हुए रिट याचिका दायर कर सीनियर रेजिडेंट सीट पर प्रवेश दिलाने की गुहार लगाई गई।
नई पॉलिसी संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1)(छ) के विपरीत
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ख़िलेरी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा 1 अप्रैल 2025 को सीनियर रेजिडेंट कोर्स में प्रवेश के लिए जारी राज्य नीति/पॉलिसी संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1)(छ) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों के विपरीत है। ऐसी पॉलिसी असंवैधानिक होने से निरस्त होने योग्य है। अनुच्छेद 14 भारत के नागरिकों को समानता का अधिकार देती हैं, जिस अनुसार धर्म, जाति, लिंग, जन्म, स्थान इत्यादि के आधार पर किसी भी भारतीय नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता हैं। वहीं, अनुच्छेद 19 (1)(छ) के तहत प्रत्येक नागरिक को पेशा, उपजीविका, व्यवसाय अपनाने की स्वतंत्रता हैं।
ऐसे में याचिकाकर्ता को राज्य से बाहर के मेडिकल कॉलेज से नीट पीजी डिग्री कोर्स करने मात्र के आधार पर सीनियर रेजिडेंट कोर्स में प्रवेश देने से वर्जित/ प्रतिबंधित करना विधि विरुद्ध है। ऑनलाइन काउंसिलिंग के बाद भी राज्य के मेडिकल कॉलेजों में ईएनटी विशेषज्ञता विषय में सीनियर रेजिडेंट के नॉन-सर्विस उम्मीदवार कोटे के 11 पद अभी भी खाली है।
रिट याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के पश्चात याची अधिवक्ता के तर्कों से सहमत होते हुए और हाइकोर्ट एकलपीठ ने प्रथमदृष्टया यह मानते हुए कि “राज्य से बाहर पीजी मेडिकल कोर्स करने के आधार पर ‘सीनियर रेजीडेंट कोर्स’ में प्रवेश से राज्य सरकार इंकार नहीं कर सकती है। राज्य की ऐसी पॉलिसी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 और 19 (1)(छ) के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों के विपरीत है।” कोर्ट ने राज्य सरकार, चिकित्सा शिक्षा विभाग व अन्य को जवाब तलब करते हुए याचिकाकर्ता को सीनियर रेजिडेंट कोर्स (ईएनटी विषय) में प्रवेश देने के दिये अंतरिम आदेश दिए।