बढ़ते तापमान को देखते हुए हॉस्पिटल तैयार:बीडीके अस्पताल में लू-तापघात के लिए विशेष वातानुकूलित वार्ड तैयार
बढ़ते तापमान को देखते हुए हॉस्पिटल तैयार:बीडीके अस्पताल में लू-तापघात के लिए विशेष वातानुकूलित वार्ड तैयार

झुंझुनूं : झुंझुनूं जिले में पड़ रही प्रचंड गर्मी और लू के खतरे को देखते हुए बीडीके अस्पताल ने एक महत्वपूर्ण पहल की है। अस्पताल में लू और तापघात से पीड़ित मरीजों के तत्काल और बेहतर इलाज के लिए 10 बेड का वातानुकूलित विशेष वार्ड स्थापित किया गया है।
गंभीर मरीजों को मिलेगा तत्काल और समुचित उपचार अस्पताल के पीएमओ और वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. जितेंद्र भाम्बू ने बताया कि वर्तमान में तापमान में लगातार वृद्धि हो रही है और गर्म हवाएं चल रही हैं। इसे ध्यान में रखते हुए अस्पताल प्रशासन ने लू-तापघात के गंभीर रोगियों के लिए यह विशेष वार्ड तैयार किया है। इस वार्ड में तापमान को नियंत्रित रखने के लिए एयर कंडीशनिंग की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त, गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए आईस पैक्स भी उपलब्ध कराए गए हैं।
आपातकालीन इकाई और ओपीडी में विशेषज्ञ चिकित्सक उपलब्ध
डॉ. भाम्बू ने बताया कि अस्पताल की आपातकालीन इकाई में चौबीसों घंटे चिकित्सक मौजूद रहते हैं। इसके साथ ही ओपीडी में भी 10 फिजिशियन और 12 शिशु रोग विशेषज्ञ अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि जागरूकता के चलते अभी तक लू-तापघात का कोई गंभीर मामला सामने नहीं आया है, लेकिन अस्पताल प्रशासन पूरी तरह से सतर्क है और किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।
लू-तापघात के लक्षणों को पहचानना है जरूरी
डॉक्टरों का कहना है कि लू-तापघात के सामान्य लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है ताकि समय पर इलाज शुरू किया जा सके।
इन लक्षणों में मुख्य रूप से सरदर्द, चक्कर आना, उल्टी महसूस होना, अत्यधिक प्यास लगना, गले का सूखना, पेशाब का रंग पीला आना या पेशाब की मात्रा कम होना, और सांस व हृदय गति का तेज हो जाना शामिल हैं। आमतौर पर ऐसे लक्षणों का ओपीडी में इलाज संभव है, लेकिन यदि स्थिति गंभीर हो तो तुरंत अस्पताल पहुंचना चाहिए।
लू से बचाव के लिए बरतें सावधानियां
- पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं: प्यास न लगने पर भी नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें।
- पानी साथ रखें: बाहर जाते समय हमेशा अपने साथ पानी की बोतल रखें।
- पानी युक्त फल खाएं: खरबूजा, संतरा, अंगूर जैसे फलों का सेवन करें जिनमें पानी की मात्रा अधिक होती है।
- तरल पदार्थ लें: नींबू पानी, नारियल पानी, जूस जैसे पेय पदार्थों का सेवन करते रहें।
- हल्के कपड़े पहनें: सूती और ढीले-ढाले कपड़े पहनें ताकि हवा आसानी से लग सके।
- धूप से बचें: तेज धूप में निकलने से बचें, खासकर दोपहर 11 बजे से शाम 5 बजे के बीच।
- विशेष ध्यान रखें: नवजात शिशुओं, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं, हृदय रोगियों और मानसिक रूप से कमजोर व्यक्तियों का विशेष ध्यान रखें।
इन कार्यों से करें परहेज
गर्मी के मौसम में कुछ कार्यों से परहेज करना भी आवश्यक है:
- तेज धूप में न निकलें: दोपहर 11 बजे से शाम 5 बजे तक सीधी धूप में निकलने से बचें।
- बाहरी व्यायाम न करें: दोपहर के समय बाहरी कार्य और कठोर व्यायाम से बचें।
- गरम पेय पदार्थों से बचें: चाय, कॉफी या कोल्ड ड्रिंक जैसे पेय पदार्थों का सेवन कम करें।
- बासी भोजन न करें: अधिक प्रोटीन युक्त या बासी भोजन से परहेज करें।
गंभीरता के लक्षणों को न करें अनदेखा
यदि किसी व्यक्ति में लू-तापघात के गंभीर लक्षण दिखाई दें तो तुरंत चिकित्सीय सहायता लेनी चाहिए। ये गंभीर लक्षण इस प्रकार हैं।
- त्वचा का अत्यधिक गर्म, सूखा और लाल हो जाना।
- सर में फटने जैसा तेज दर्द होना।
- अत्यधिक कमजोरी महसूस होना।
- सांस और हृदय गति का बहुत तेज हो जाना।
- चिड़चिड़ापन बढ़ना।
- पेशाब का कम आना या पूरी तरह बंद हो जाना।
- दौरे पड़ना।
- नाक या शरीर के अन्य हिस्सों से खून आना।
- आंखें धंस जाना और मुंह सूखना।
- बेहोशी की स्थिति आना।