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खेतड़ी तहसील के सबसे बड़े ग्राम शिमला की भारी उपेक्षा


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खेतड़ी तहसील के सबसे बड़े ग्राम शिमला की भारी उपेक्षा

ग्रामीणों बोले विधायक ने भी क्यों नहीं ली सुध

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : अमित शर्मा 

शिमला : डिस्टिक मिनिरल फाऊंडेशन ट्रस्ट झुंझुनू द्वारा 9 अप्रैल को पेयजल संबंधित कार्यों की जिला कलेक्टर महोदय द्वारा 2246.38 लाख रुपयों की स्वीकृति जारी की गई है। जिसमें खेतड़ी तहसील के सबसे बड़े ग्राम शिमला की उपेक्षा की गई है। इसमें एक भी ट्यूबवेल स्वीकृत नहीं किया गया। जबकि वर्तमान में सबसे भयंकर जल संकट ग्राम शिमला में ही है। विभाग द्वारा जो पानी की सप्लाई की जाती है वह मात्र 20 मिनट वो भी चार रोज में एक बार की जाती है। इस ग्राम की आबादी लगभग 10 हजार है तथा मांग के अनुसार पानी की आपूर्ति भी नहीं होती है। इसमें एक भी ऐसा ट्यूबवेल नहीं है जो चलता हो। ग्राम के सभी ट्यूबवेल सूखे पड़े हैं। महज नलों में जो पानी आता है उसी पर ग्राम की जनता आधारित रहती है। अथवा हरियाणा से टैंकरो से पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं। फिर भी जलदाय विभाग के आल्हा अधिकारी इस तरफ मुंह मोड़े बैठे हुए हैं। उन्होंने इस ग्राम के लिए एक भी ट्यूबवेल का प्रस्ताव सरकार को नहीं भेजा। न ही संबंधित विधायक ने इस सम्बन्ध में ग्राम की सुध ली। उन्होंने भी इस ग्राम में कोई ट्यूबवेल बनाने का प्रस्ताव नहीं भेजा। जिस कारण ग्रामीणों में बाहरी आक्रोश है। जबकि आबादी के हिसाब से ग्राम शिमला में कम से कम पांच ट्यूबवेल स्वीकृत करने चाहिए थे। पानी के अभाव में ग्राम में अनेक टंकियां सूखी पड़ी हुई है। ग्रामीण जनता पानी के लिए सर पर घड़े रखे दर-दर भटकती रहती है। लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं है।

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