‘एम्पुरान’ के निर्माता पर ईडी की कार्रवाई अभी क्यों, क्या गुजरात दंगे का जिक्र गुनाह
‘एम्पुरान’ के निर्माता पर ईडी की कार्रवाई अभी क्यों, क्या गुजरात दंगे का जिक्र गुनाह

केरल में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) और संयुक्त लोकतांत्रिक मोर्चा (यूडीएफ) दोनों ने छापेमारी को “सस्ता हथकंडा” करार देते हुए इसकी आलोचना की है, जिसका उद्देश्य सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को दबाना है। एलडीएफ संयोजक टी.पी. रामकृष्णन ने मदुरै से कहा कि यह केरल के कलात्मक क्षेत्र में “जबरन हस्तक्षेप” है, जबकि विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने टिप्पणी की, “सबको पता है कि छापेमारी इसलिए हुई क्योंकि उन्होंने एम्पुरान का निर्माण किया।” इन आरोपों ने यह अटकलें तेज कर दी हैं कि ईडी की कार्रवाई प्रतिशोधात्मक हो सकती है।
गोकुलम गोपालन, जो दक्षिण भारत के व्यापार और मनोरंजन क्षेत्र में एक प्रभावशाली व्यक्तित्व हैं, से कोझिकोड और चेन्नई में ईडी अधिकारियों ने पूछताछ की, और जब्त दस्तावेजों के विश्लेषण के बाद आगे की पूछताछ की उम्मीद है। उनकी कंपनी, श्री गोकुलम चिट एंड फाइनेंस कंपनी लिमिटेड, जो 1968 में स्थापित हुई थी, हजारों ग्राहकों के लिए वित्तीय मददगार रही है, लेकिन इसके संचालन समय-समय पर जांच के दायरे में आए हैं। उदाहरण के लिए, 2017 की आयकर छापेमारी ने संभावित टैक्स चोरी के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन अब तक कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई थी।
तमाम लोग एम्पुरान के निर्माता पर छापे को रचनात्मक स्वतंत्रता पर हमला मानते हैं। उनका सवाल है कि सालों से गलत काम का संदेह था, तो एजेंसी को अब तक कौन रोक रहा था? गुजरात दंगों का जिक्र भी इस फिल्म में संयमित ढंग से है। इसके बावजूद बीजेपी और आरएसएस के लोग मुखर हैं।
भारत में हाल के वर्षों में ईडी की कार्रवाइयों को लेकर यह आरोप तेजी से सामने आया है कि इसका उपयोग मोदी सरकार के खिलाफ बोलने वाले लोगों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। विपक्षी नेता और कई राजनीतिक विश्लेषक दावा करते हैं कि ईडी, जो मूल रूप से आर्थिक अपराधों और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के लिए बनाई गई थी, अब एक राजनीतिक हथियार बन गई है। इसका उदाहरण कई हाई-प्रोफाइल मामलों में देखा जा सकता है, जैसे कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं पर कथित शराब नीति घोटाले में छापेमारी और गिरफ्तारियाँ। इसी तरह, महाराष्ट्र में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेताओं और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की ममता बनर्जी सरकार के मंत्रियों पर भी ईडी की कार्रवाई हुई है, जो सरकार की नीतियों की मुखर आलोचना करते रहे हैं। इन मामलों में यह संयोग नहीं माना जाता कि ये नेता केंद्र सरकार के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के बाद ही जांच के दायरे में आए।