शेखावाटी की ऐतिहासिक हवेलियों को बचाने की पहल:उपमुख्यमंत्री ने ली बैठक, पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण पर चर्चा
शेखावाटी की ऐतिहासिक हवेलियों को बचाने की पहल:उपमुख्यमंत्री ने ली बैठक, पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण पर चर्चा

फतेहपुर : राजस्थान की उपमुख्यमंत्री और पर्यटन मंत्री दीया कुमारी ने शेखावाटी की ऐतिहासिक हवेलियों के संरक्षण हेतु एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक शुक्रवार को सचिवालय में आयोजित हुई, जिसमें पर्यटन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
ओपन आर्ट गैलरी के रूप में प्रसिद्ध फतेहपुर शेखावाटी
फतेहपुर शेखावाटी की हवेलियां विश्व प्रसिद्ध ओपन आर्ट गैलरी के रूप में जानी जाती हैं। समय के साथ उचित देखरेख के अभाव में इनकी सुंदरता फीकी पड़ती जा रही है। बैठक में इन हवेलियों की संरचनाओं, चित्रकला और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए गए।
फतेहपुर के विकास में स्थानीय सेठ-साहूकारों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। परदेस से कमाई कर उन्होंने यहां विशाल हवेलियां बनवाईं, जिनकी दीवारों पर की गई कलात्मक चित्रकारी और सोने के रंग से बनी फ्रेस्को पेंटिंग्स विदेशी पर्यटकों को विशेष रूप से आकर्षित करती हैं। इसी कारण इस क्षेत्र को ओपन आर्ट गैलरी का दर्जा प्राप्त हुआ।

सांस्कृतिक धरोहर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना
पर्यटन विभाग अब इन हवेलियों को पर्यटन और सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित करने की योजना बना रहा है। इससे शेखावाटी क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को संरक्षित किया जा सकेगा।
विरासत से विरक्ति, प्रशासनिक विफलता और भूमाफियों का कहर
सेठों के वंशजों की अपनी जन्मभूमि से विरक्ति, प्रशासनिक विफलता और भूमाफियों की लोलुपता ने इस सुंदर कस्बे को बदरंग बना दिया है। जो विरासत कभी इस शहर की पहचान थी, वह अब केवल अतीत के झरोखों से ही दिखाई देती है। आधुनिकता की दौड़ में न केवल विरासतें नष्ट हुईं, बल्कि जो कुछ शेष बची हैं, उनकी भी कोई सुध लेने वाला नहीं है। कस्बे की तीन दर्जन से अधिक ऐतिहासिक हवेलियां, जो हमारी अमूल्य धरोहर थीं, भूमाफियों के लालच की भेंट चढ़ गईं। इन स्वार्थी तत्वों ने पैसों की हवस में इन हवेलियों को जमींदोज कर व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स बना दिए।
सेठ-साहूकारों द्वारा निर्मित मंदिर, छतरियां, कुएं, बावड़ियां आदि आज जीर्ण-शीर्ण अवस्था में हैं। बावड़ियां कचरा पात्र बन चुकी हैं, जोहड़ और हवेलियां टूटने के कगार पर हैं। इनकी वर्तमान स्थिति देखकर मन व्यथित हो जाता है। दुर्भाग्यवश, आज हमारी इस अनमोल विरासत की सुध लेने का किसी के पास समय नहीं है। यदि यही स्थिति बनी रही, तो आने वाली पीढ़ियों को हम केवल किताबों में दर्ज इतिहास ही सौंप पाएंगे।

संरक्षण के लिए कानून का अभाव
इन विशालकाय और स्वर्णिम भित्ति चित्रों से युक्त हवेलियों के संरक्षण के लिए कोई विशेष कानून नहीं होना भूमाफियाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। कानूनी संरक्षण के अभाव में हवेलियों को धन के लालच में बेचा और ध्वस्त किया जा रहा है। कभी इस कस्बे में 200 से अधिक हवेलियां थीं, परंतु आज मुश्किल से दो-तीन दर्जन ही बची हैं। यदि यह क्रम जारी रहा, तो अगले पांच से दस वर्षों में ये हवेलियां केवल इतिहास की वस्तु बनकर रह जाएंगी।
सरकार ने शहर को हेरिटेज सिटी घोषित कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन तो कर दिया, लेकिन इसके लिए कोई विशेष बजट निर्धारित नहीं किया गया। जो बजट मिला, उसका उपयोग कहां हुआ, इसका कोई स्पष्ट विवरण नहीं है। जैसे-जैसे विरासत जीर्ण-शीर्ण होती गई, वैसे-वैसे पर्यटकों की संख्या में भी भारी गिरावट आई। राज्य सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार, पर्यटकों की संख्या में लगभग आधी कमी दर्ज की गई है।