जीणमाता मंदिर में बत्तीसी संघ और पुजारियों में मारपीट:दर्शन को लेकर हुआ विवाद, 3 घंटे बंद रहे मंदिर के पट-प्रशासन ने खुलवाए
जीणमाता मंदिर में बत्तीसी संघ और पुजारियों में मारपीट:दर्शन को लेकर हुआ विवाद, 3 घंटे बंद रहे मंदिर के पट-प्रशासन ने खुलवाए

सीकर : सीकर जिले में स्थित शक्तिपीठ जीणमाता लक्खी मेले के 5वें दिन गुरुवार देर रात को पुजारियों और बत्तीसी संघ के लोगों में जमकर मारपीट हो गई। विवाद इतना बढ़ गया कि समझाइश कर रहे प्रशासन के अधिकारियों के साथ मंदिर ट्रस्ट के पुजारियों ने धक्का-मुक्की की और तोड़फोड़ की। बत्तीसी संघ के दर्शन करने के दौरान यह पूरा मामला हुआ।
दरअसल बत्तीस गांव से मिलकर एक संघ चैत्र नवरात्रि में षष्ठी तिथि को अपना निशान अर्पित कर जीणमाता के मंदिर में धोक लगाता है। बत्तीसी संघ की ओर से जीणमाता पहुंचकर एक मीटिंग का आयोजन किया जाता है जिसमें प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी भी मौजूद रहते हैं।

तय संख्या से ज्यादा ट्रस्ट के लोग थे मौजूद
गुरुवार को संघ की ओर से जो मीटिंग हुई, उसमें दांतारामगढ़ एसडीएम मोनिका सामोर और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी मौजूद थे। उनमें यह सहमति बन गई थी कि बत्तीसी संघ जब दर्शन करेगा तब मंदिर ट्रस्ट के 3 पुजारी मौजूद रहेंगे। लेकिन जब बत्तीसी संघ दर्शन करने आया, तब वहां पर तय की गई संख्या 3 से अधिक मंदिर ट्रस्ट के लोग मौजूद थे।
ट्रस्ट के पुजारी बात नहीं मानने पर अड़े रहे
जिस पर प्रशासन ने दिन में हुई सहमति को लेकर ट्रस्ट के लोगों से चर्चा की और वहां से 3 पुजारियों के अलावा सभी को हटाने के लिए कहा। लेकिन ट्रस्ट के पुजारी प्रशासन की इस बात को नहीं मानने के लिए अड़े रहे। जिस पर प्रशासन ने कहा कि जब दिन में 3 पुजारियों को बैठाने को लेकर सहमति बन गई थी, तो फिर इस संख्या को लेकर विवाद नहीं करना चाहिए। इसी दौरान बत्तीसी संघ के लोग दर्शन करने के लिए मंदिर में पहुंच गए। संघ के लोगों ने ज्यादा मंदिर के पुजारियों को वहां से हटाने के लिए कहा तो उन्होंने इसका विरोध शुरू कर दिया। जिसके बाद धीरे-धीरे विवाद बढ़ता गया। जब प्रशासन ने विवाद रोकने के लिए मध्यस्थता की तो मंदिर ट्रस्टी प्रशासन के साथ मारपीट करने पर उतारू हो गए।
बत्तीसी संघ के लोग मंदिर के बाहर धरने पर बैठे
इसके बाद पुलिस ने सख्ती की और मंदिर ट्रस्ट के लोगों को हिरासत में ले लिया। जिसके बाद नाराज होकर मंदिर के पदाधिकारियों ने मंदिर के पट दर्शनाथ बंद कर दिए। विवाद इतना बढ़ गया कि कुछ लोगों ने ट्रस्ट के कार्यालय में जमकर तोड़फोड़ कर दी। इसके बाद बत्तीसी संघ के लोग मंदिर के बाहर धरने पर बैठ गए।

एसडीएम ने की समझाइश
एसडीएम मोनिका सामोर ने संघ के लोगों से वार्ता की। इसके बाद संघ और पुजारियों में विवाद नहीं करने को लेकर सहमति बनी। वहीं इस विवाद की सूचना मिलने पर देर रात को सीकर जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा, पुलिस अधीक्षक भुवन भूषण यादव भी मौके पर पहुंचे।
विवाद के चलते 3 घंटे मंदिर के पट बंद रहे। इसके बाद मंदिर के पट दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए। पंचमी तिथि के बाद जीणमाता मंदिर के पट दर्शनार्थियों के लिए 24 घंटे खुले रहते हैं। पट बंद रहने के कारण दर्शनार्थियों को 3 घंटे काफी परेशानियों को सामना करना पड़ा।
क्या है बत्तीसी का संघ
बत्तीसी संघ बाघोली, पचलंगी, पापड़ा, नीमकाथाना, नयाबास, राणासर जोधपुरा, जीणमाता समेत 32 गांवों के लोगों से मिलकर बना एक संघ है। यह लोग खुद को मां जीण भवानी का वंशज मानते हैं। बत्तीसी संघ के लोग मानते हैं कि जीणमाता मंदिर पर उनका पहला हक है। बत्तीसी संघ ने जीणमाता मंदिर की देखभाल और पूजा की जिम्मेदारी मंदिर ट्रस्ट को दे रखी है। बत्तीसी संघ जीणमाता मेले में सक्रिय रूप से भाग लेता है और माता को चुनरी ओढ़ाने की रस्म अदा करता है।
संघ अपने स्तर पर चैत्र नवरात्र शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को जीणमाता धाम के लिए निशान पदयात्रा, सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर, ऊंट गाड़ी, ट्रैक्टर-ट्रॉली में बैठकर रवाना होते हैं। यह श्रद्धालु चैत्र मास शुक्ल पक्ष चतुर्थी को झड़ाया बालाजी मंदिर में एकत्रित होते हैं। इसको बत्तीसी का संघ कहा जाता है। जैसे-जैसे संघ आगे बढ़ता है कारवां जुड़ता जाता है। यह संघ तीन दिन बाद चैत्र नवरात्र में छठ तिथि को जीणमाता धाम में मेले में पहुंचता है। वहां अपने निशान अर्पित करते हैं। कई श्रद्धालु मन्नत मांगने के लिए सिर पर जलती हुई सिगड़ी लेकर चलते हैं तो कई मन्नत पूरी होने पर जलती हुई सिगड़ी लेकर जाते हैं। यह परम्परा कई साल पुरानी है।