शब-ए-कद्र के अवसर पर मस्जिद चेजारान में हुई तीरंगे कलर की सजावट
शब-ए-कद्र के अवसर पर मस्जिद चेजारान में हुई तीरंगे कलर की सजावट

चूरू : रमजान के पाक महीने में शब-ए-कद्र की रात सबसे अफजल मानी जाती है। चूरू जिले मे शब-ए-कद्र की रात पर इबादत का जोर रहा। मस्जिद चेजारान के इमाम मौलाना मोतिउर्रहमान ने बताया कि इसी रात कुरान पाक नाजिल हुआ था। यह रात हजार महीनों की इबादत से बेहतर मानी जाती है। इसी कारण इस रात में दुआ और नफली नमाज अदा की जाती है। रमजान में एक रात शब-ए-कद्र की होती है। यह पांच रातों में घूमती है। इसे तलाश करना पड़ता है। 21, 23, 25, 27 और 29वीं रातों में से कोई एक होती है। 27वीं रात को ज्यादा अहमियत दी जाती है।
एडवोकेट सद्दाम हुसैन ने बताया कि रमजान के महीने में तीन अशरे होते हैं। पहले 10 दिन रहमत के अशरे के होते हैं। 10 से 20 दिन मगफिरत के अशरे के होते हैं। 20 से 30 दिन जहन्नुम से आजादी के अशरे माने जाते हैं। रमजान के आखिरी 10 दिन मोहल्ले के लोग मस्जिद में ऐतकाफ के लिए बैठते हैं। 10 दिनों तक इबादत करते हैं। तौबा और इस्तिगफार करते हैं। ये 10 दिन तक मस्जिद में ही रहते हैं। ईद का चांद दिखने पर घर लौटते हैं। रमजान के महीने में आने वाले जुमे खास माने जाते हैं। आखिरी जुमे को अलविदा जुमा कहते है।