माहे रमजान ईद का पैगाम है। रहमतों व बरकतों का खज़ाना है – मोहम्मद इमरान भाटी फार्मासिस्ट
माहे रमजान ईद का पैगाम है। रहमतों व बरकतों का खज़ाना है - मोहम्मद इमरान भाटी फार्मासिस्ट

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर फार्मासिस्ट मोहम्मद इमरान भाटी ए जे मेडिकल स्टोर भरतीया रोड ने बताया 30 रोज़े जो कि इस्लामिक नौवें महीने रमज़ान में रखे जाते हैं। वैसे तो सभी जानते हैं रोज़ा हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है ठीक वैसे ही जैसे नमाज़, हज़, ज़कात और कुर्बानी फ़र्ज़ है । मैं तो यही कहुंगा कि रमज़ान का पूरा महीना हर एक मुसलमान के लिए किसी ख़ज़ाने से कम नहीं है। जो मुसलमान पूरे ग्यारह माह लापरवाही से ज़िंदगी गुजारता है। बुरे कामों से बच नहीं पाता है और वक्त बेवक्त खाने-पीने और सोने से अपनी सेहत को भी खराब कर लेता है उस पूरे खराब सिस्टम व जीवनशैली को इस माह में सुधार सकता है। यूं समझिए की इस माह में जो लोग पूरी ईमानदारी से रोज़ा रखते हैं उनके तन और मन दोनों साफ हो जाते हैं, स्वस्थ हो जाते हैं और तो और इस माह में मुसलमान की दौलत भी ज़कात के माध्यम से शुद्ध हो जाती है।
रमज़ान का महीना इबादत का बेहतरीन मौका तो है ही मगर इसके साथ-साथ इंसान के सब्र को टेस्ट करने का एक अहम जरिया भी है। गरीबों के लिए यह महीना उम्मीदों को साथ लेकर आता है। ज़कात के जरिए बहुत से परिवारों के हालात बदल जाते हैं और वे परिवार गुरबत से हमेशा के लिए निकल जाते हैं । छोटे-छोटे बच्चे ईदी और नये कपड़ों के लिए इस माह को बेहद पसंद करते हैं। पूरे साल के गुनाहों को माफ करवाने का इससे बेहतरीन मौका मुसलमान को मिल ही नहीं सकता है अगर फिर भी कोई मुसलमान इस ख़ज़ाने को न लूट सके तो मैं यही कह सकता हूं कि वह शख्स बदनसीब ही होगा। रमज़ान का ऐसा बाबरकत महिना जिसमें शैतान को कैद कर दिया जाता है तथा जन्नत के सभी दरवाजे खोल दिये जाते हैं। हर सुन्नत व नवाफिल इबादत को फ़र्ज़ इबादत के बराबर ही कर दिया जाता हो और हर नेकी का बदला 70 गुना कर दिया जाता है।
अगर कोई इंसान साठ साल की उम्र पाता है तो उसकी ज़िंदगी में साठ बार रमजान आता है अगर फिर भी कोई शख्स अपने गुनाहों को माफ नहीं करवा सकता है तो ये हमारे लिए बड़ी अफसोस की बात है। रब तआला ने हमें रमज़ान महीना अता कर हम पर बड़ा अहसान किया है इसलिए हमें इसका पूरा-पूरा फायदा लेना चाहिए और अल्लाह का शुक्र भी अदा करना चाहिए। अल्लाह हम सबको सिराते मुस्तकीम पर चलने की तौफीक और हिदायत अता फरमाए। इस आर्टिकल के माध्यम से मेरी गुज़ारिश है कि सभी मुल्क की खुशहाली और भाईचारे के खूब दुआएं करें क्योंकि वतन से मुहब्बत ईमान का हिस्सा है तथा दुआएं बड़ी कारगर होती हैं। एक और गुज़ारिश है कि जिनको अल्लाह ने ज़कात अदा करने लायक बनाया है वे ज़कात की ईमानदारी से अदायगी करें और मुआशरे को गुरबत से निज़ात दिलाने में अपना बेहतरीन किरदार अदा करें। यकीनन यह महीना रहमत,बरकत व मगफिरत वाला है इसलिए इसकी रहमतों, बरकतों व मगफिरतों से कोई महरूम न रहे।