रोजा इफ्तार के वक्त की दुआ रद्द नहीं की जाती – मौलाना मोहम्मद शहाबुद्दीन अशरफी जमीई
रोजा इफ्तार के वक्त की दुआ रद्द नहीं की जाती - मौलाना मोहम्मद शहाबुद्दीन अशरफी जमीई

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : जिला मुख्यालय पर स्थित मदरसा सैय्यदना तौकीर उलूम सैनिक बस्ती के सदरुल मुदररेसीन मौलाना मोहम्मद शहाबुद्दीन अशरफी जमीई की तरफ से माहे रमज़ान का छठा रोजा मुबारक हो आपने बताया कि माहे रमजान में हजरते अबू हुरेराह रदीअल्लाहो अनहु फरमाते हैं कि हमारे सरकार अहमदे मुख्तार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया जब रमजान आता है तो आसमान के दरवाजे खोल दिए जाते हैं एक रिवायत मे आता है कि जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते है एक रिवायत मे है कि रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं और जहन्नुम के दरवाजे़ बंद कर दिए जाते हैं और शैतान को जंजीरों में बांध दिए जाते हैं।
प्यारे नबी मुसतफा करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह पाक माहे रमजान में हर दिन इफ्तार के वक़त दस लाख गुनाह गारों को जहन्नुम से आजाद फरमाता है। जिन पर गुनाह हों की वजह से जहन्नम वाजिब हो चुका था । और जुमा मुबारकह की रात शुरू होने से लेकर जुमा का पूरा दिन सुरज डुबने तक हर सअत में दस लाख गुनाहगारों को जहन्नम से आज़ाद किया जाता है । जो जहन्नम के अजाब के मुस्तहिक़ हो चुके थे और जब रमजान शरीफ का आखरी दिन आता है तो पहले रमजान से अब तक जितने बखशे गये हैं उसकी मिक़दार संख्या के बराबर उस आखरी एक दिन में बख्शे जाते हैं। रमजान बख़्शिश के लिए आया है ।
हजरत मौला अली शेरे खुदा रदीअल्लाहु अनहु फरमाते हैं अगर अल्लाह तआला को उम्मते मुहम्मदी सलल्लाहो अलैहि वसल्लम को अजाब देना मक़सूद होता तो इस उम्मत को रमजान और सुरह क़ुलहु अल्लाहु अहद शरीफ ना अता फरमाता। एक रोजा छोड़ने का नुकसान हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया जिस शख्स ने रमजान के एक दिन का रोजा बगैर रूखसत बगैर मरज के इफ्तार किया यानी छोड़ दिया तो ज़माने भर का रोजा़ का बदला नहीं हो सकता। अगर चाहे बाद में रख भी ले। बुखारी व इब्ने माजा शरीफ वगैराह। इफ्तार के वक्त की दुआ रद्द नहीं होती ।
हजरत अबदुल्लाह बिन अमर बिन आस रदीअललाहु अनहु से रिवायत है कि हमारे प्यारे नबी मुसतफा करीम सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमाया कि रोजा़ की दुआ इफ्तार के वक़त रद्द नहीं कि जाती। और हजरत अबू हुरेराह रदीअल लाहो अनहु फरमाते हैं कि हमारे प्यारे नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम फरमाते हैं कि तीन शख्स की दुआ रद्द नहीं की जाती है 1 रोजा़ दार जिस वक्त इफ्तार करता है 2 आदिल बादशाह और 3 मज़लूम की दुआ। उसको अल्लाह तअला आसमान से उपर बुलंद करता है। और उसके लिए आसान के दरवाजे़ खोल दिया जाता है। माहे रमजान के बारे में हजारों हदीसे हैं जिन पर हमें अमल करना चाहिए।