गंगा जमुनी तहजीब हमारी अमूल्य धरोहर, इसे संजोये रखना हमारी जिम्मेदारी – डाॅ. शमशाद अली
गंगा जमुनी तहजीब हमारी अमूल्य धरोहर, इसे संजोये रखना हमारी जिम्मेदारी - डाॅ. शमशाद अली

जनमानस शेखावाटी संवाददाता : मोहम्मद अली पठान
चूरू : उर्दू शायरी में गंगा-जमुनी तहज़ीब: एकता और सद्भावना की खुशबू जश्न-ए-गणतंत्र दिवस के अवसर पर गवर्नमेंट पीजी कॉलेज, झालावाड़, राजस्थान के उर्दू विभाग के तत्वावधान में एक विस्तार व्याख्यान का आयोजन “उर्दू शायरी में गंगा-जमुनी तहज़ीब: एकता और सद्भावना की खुशबू” विषय पर आयोजित किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर फूल सिंह ने कहा कि उर्दू हमारी सांस्कृतिक विरासत की विशेष पहचान है जो राष्ट्रीय एकता को मजबूत करती है। मुख्य वक्ता गवर्नमेंट कॉलेज बारां के असि. प्रोफेसर डॉ. शमशाद अली ने कहा कि भारत को विकास के पथ पर आगे ले जाने के लि सांप्रदायिक सोहार्द और हिंदू मुस्लिम एकता की महत्ति आवश्यकता है। कार्यक्रम के संयोजक सहायक आचार्य फहीमुद्दीन टोंकी, विभागाध्यक्ष उर्दू, गवर्नमेंट पीजी कॉलेज झालावाड़ थे।कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण से किया गया।
इस अवसर पर डॉ. रामकिशन माली ने कॉलेज के प्राचार्य फूल सिंह को माला और साफा पहनाया, जबकि डॉ. कमलेश वर्मा ने मुख्य वक्ता डॉ. शमशाद अली को माला और साफा पहनाकर उनका अभिनंदन किया कार्यक्रम में प्रोफेसर हामिद अहमद ने मुख्य वक्ता का धन्यवाद ज्ञापित किया और इकबाल फातिमा ने सभी अतिथियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। यह व्याख्यान झालावाड़ के प्रसिद्ध कवियों और लेखकों की उपस्थिति में संपन्न हुआ, जिनमें राकेश नैयर, सुरेश निगम, हरीश चंद्र शर्मा, हबीब , कृष्ण सिंह हाड़ा, धनीराम , समर्थ, शामी सहित काफी तादाद मे विद्यार्थियों ने शिरकत की ।
यह आयोजन उर्दू भाषा की गंगा-जमुनी तहज़ीब को दर्शाने और इसके प्रचार-प्रसार के लिए एक स्मरणीय क्षण साबित हुआ। सभी उपस्थित लोगों ने इस कार्यक्रम को सफल और सार्थक बताया।