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तेरापंथ धर्म की साध्वी संगीतश्री का स्वर्ण दीक्षा महोत्सव:राजगढ़ में पहली बार चार साध्वी बेटियों का मिलन, वर्धापन संयम समारोह में जुटे लोग


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तेरापंथ धर्म की साध्वी संगीतश्री का स्वर्ण दीक्षा महोत्सव:राजगढ़ में पहली बार चार साध्वी बेटियों का मिलन, वर्धापन संयम समारोह में जुटे लोग

तेरापंथ धर्म की साध्वी संगीतश्री का स्वर्ण दीक्षा महोत्सव:राजगढ़ में पहली बार चार साध्वी बेटियों का मिलन, वर्धापन संयम समारोह में जुटे लोग

सादुलपुर : राजगढ़ में तेरापंथ धर्म संघ की साध्वी संगीतश्री की भागवती वैराग्य दीक्षा के 50 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में एक भव्य धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया। जसकरण सुराणा हवेली में आयोजित इस कार्यक्रम की अध्यक्षता आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी डॉ. शुभ प्रभा ने की।

समारोह में साध्वी संगीतश्री ने अपने गुरुजनों को याद करते हुए गणाधिपति गुरुदेव तुलसी, आचार्य महाप्रज्ञ और शासन माता साध्वी प्रमुखा कनक प्रभा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। मुख्य वक्ता साध्वी डॉ. शुभ प्रभा ने ‘संयम खलु जीवनम’ की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि वैराग्य युक्त संयम से ही जीवन को उच्च बनाया जा सकता है।

कार्यक्रम की विशेष उपलब्धि यह रही कि राजगढ़ की चार बेटियों और नातिनों का साध्वी रूप में पहली बार मिलन हुआ, जो स्थानीय जैन समाज के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना है। साध्वी कमल विभा और साध्वी कांति यशा ने भी अध्यात्म और अनुशासन पर अपने विचार रखे।

समारोह में साध्वियों द्वारा स्वनिर्मित अध्यात्म प्रतीक साध्वी संगीतश्री को भेंट किए जाने पर पूरा वातावरण ‘ओम अर्हम’ की ध्वनि से गुंजायमान हो उठा। कार्यक्रम की शुरुआत तेरापंथ महिला मंडल के मंगलाचरण से हुई। साध्वी शुभ प्रभा के नेतृत्व में साध्वियों ने वर्धापन गीतिका प्रस्तुत की, जबकि साध्वी संगीतश्री की सहयोगी साध्वियों ने पारंपरिक ढाल की प्रस्तुति दी। मुकेश गधैया के संयोजन में संपन्न हुए इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लिया।

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