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क्या परिवार को था बेटी पर भूत-बाधा का डर?:​​​​​​​मेहंदीपुर बालाजी में मिली थी माता-पिता, बेटा-बेटी की लाशें, 60 घंटे में छिपी मौत की मिस्ट्री


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क्या परिवार को था बेटी पर भूत-बाधा का डर?:​​​​​​​मेहंदीपुर बालाजी में मिली थी माता-पिता, बेटा-बेटी की लाशें, 60 घंटे में छिपी मौत की मिस्ट्री

क्या परिवार को था बेटी पर भूत-बाधा का डर?:​​​​​​​मेहंदीपुर बालाजी में मिली थी माता-पिता, बेटा-बेटी की लाशें, 60 घंटे में छिपी मौत की मिस्ट्री

देहरादून का चार सदस्यों का परिवार। सुरेंद्र कुमार उपाध्याय, पत्नी कमलेश, बेटा नितिन और बेटी नीलम। 12 जनवरी को मेहंदीपुर बालाजी दर्शन के लिए आए थे। मेहंदीपुर बालाजी की राम कृष्णा आश्रम धर्मशाला में कमरा नंबर 119 किराए पर लिया था। आए तो सभी खुश नजर आ रहे थे। मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन की उत्सुकता थी, लेकिन मंगलवार को उसी कमरा नंबर 119 में चारों की लाशें मिलीं।

मौत की वजह किसी को पता नहीं, पुलिस के पास भी है तो सिर्फ तीन थ्योरी…

  • हत्या
  • आत्महत्या
  • या गलती से किसी जहरीले पदार्थ का सेवन

लेकिन हर थ्योरी के साथ जुड़ा है एक सवाल, जिसका जवाब किसी के पास नहीं है…

हत्या हुई तो किसने की…

आत्महत्या की तो क्यों…

गलती से जहरीले पदार्थ का सेवन किया तो कैसे…

इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए हमारी मीडिया टीम मौके पर पहुंची। मृतकों के करीबियों, धर्मशाला संचालकों और पुलिस से बात की। पड़ताल में परिवार की बेटी नीलम पर भूत-बाधा का डर जैसी कई नई बातें सामने आईं।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

धर्मशाला के इसी 119 नंबर कमरे में देहरादून निवासी परिवार रुका हुआ था।
धर्मशाला के इसी 119 नंबर कमरे में देहरादून निवासी परिवार रुका हुआ था।

आंखें-मुंह खुले, मुट्ठियां भींची हुई थीं टोडाभीम एसएचओ देवेंद्र कुमार शर्मा ने बताया कि धर्मशाला में चार लोगों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचा था। कस्बे में संभवत: ये पहला मामला था, जब पूरे परिवार की इस तरह संदिग्ध परिस्थितियों में लाशें मिली हों।

कमरे में चारों के शव जिस कंडीशन में मिले, उसमें किसी बाहरी व्यक्ति के आने, संघर्ष या हमले के सबूत नहीं मिले। शरीर पर चोट के भी कोई निशान नहीं थे। कमरा और उसमें रखा सारा सामान भी पूरी तरह व्यवस्थित था।

शवों को देखकर ऐसा लग रहा था कि जो जहां बैठा या लेटा था वो वहीं निढाल होकर गिर गया। सुरेंद्र उपाध्याय बेड पर मृत मिले। उनके पैर नीचे लटके थे। बेटे नितिन का शव उन्हीं के पैरों के पास पड़ा था। सुरेंद्र की पत्नी कमलेश और बेटी नीलम का शव एक-दूसरे के पास पड़ा था।

चारों के मुंह और आंखें खुली थीं। मुट्ठियां भींची हुई थीं। नीलम के मुंह से झाग भी आ रहा था। कमरे में दो दिन पुरानी दाल की एक थैली बरामद हुई है। जिसे जांच के लिए एफएसएल को सौंपा गया है।

पूछताछ में पता चला कि कमरे से बाहर किसी के चीखने-चिल्लाने की आवाज या कोई भी शोर भी सुनाई नहीं दिया था। आसपास के लोगों से पूछताछ में पता चला कि मंगलवार सुबह 6.30 बजे परिवार आरती में भी शामिल हुआ था। इसके बाद सुबह 7 बजे चारों सदस्य धर्मशाला लौट आए थे।

इसके बाद सुबह 7 से शाम 7 बजे तक चारों में से कोई भी कमरे से बाहर नहीं निकला था। परिवार के कपड़ों, सामान या कमरे से कोई सुसाइड नोट भी पुलिस को नहीं मिला है।

देहरादून निवासी सुरेंद्र, पत्नी और बेटा-बेटी के साथ रविवार को ही मेहंदीपुर बालाजी दर्शन के लिए आए थे।
देहरादून निवासी सुरेंद्र, पत्नी और बेटा-बेटी के साथ रविवार को ही मेहंदीपुर बालाजी दर्शन के लिए आए थे।

परिवार का डर- नीलम पर थी भूत बाधा, इलाज के लिए आए थे पुलिस की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। एसएचओ देवेंद्र शर्मा ने कहा कि पूछताछ में धर्मशाला के प्रबंधक गुड्‌डू शर्मा ने बताया कि परिवार को डर था कि नीलम पर भूत बाधा और ऊपरी हवा का ‘संकट’ था। उसके इलाज के लिए ये लोग यहां आए थे।

परिवार पहले भी कई बार आ चुका था। करीब डेढ़ साल पहले भी परिवार इसी आश्रम में रुका था। वहीं इस बारे में जब मृतक सुरेंद्र के बड़े भाई मुकेश उपाध्याय से पूछा तो उन्होंने ऐसी किसी भी बात से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि परिवार की बालाजी में आस्था थी और बीते 8–10 सालों से वे लगातार यहां आ रहे थे।

हालांकि बीते 5–6 सालों से उनका यहां आने का सिलसिला बढ़ गया था। अनुमान लगाया जा रहा है कि इसकी वजह संभवत: बेटी की शादीशुदा जिंदगी में आ रही परेशानी हो सकती है।

धर्मशाला के आस–पास के लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर दावा किया कि परिवार के लोगों के सामान में ऐसी चीजें भी मिली हैं, जो ताबीज जैसी प्रतीत होती है। पिता और बेटी पर किसी अदृश्य शक्ति का साया था, जिसके इलाज–समाधान के लिए ये लोग हर साल आते थे। लोगों का कहना है कि इलाज करवाने के मकसद से आने वाले ही तीन–चार दिन रुकते थे।

सुरेंद्र उपाध्याय के बड़े भाई मुकेश ने बताया कि परिवार 8-10 साल से मेहंदीपुर बालाजी धाम आ रहा था।
सुरेंद्र उपाध्याय के बड़े भाई मुकेश ने बताया कि परिवार 8-10 साल से मेहंदीपुर बालाजी धाम आ रहा था।

दहेज के लिए प्रताड़ना, शादी के 15 दिन बाद ही पीहर आ गई थी नीलम नीलम की शादी करीब 6 साल पहले उत्तराखंड के चंबा के रहने वाले नरेश उपाध्याय से हुई थी। नरेश पुलिस में सिपाही था। सुरेंद्र ने अपनी हैसियत से बढ़कर बेटी की शादी में करीब 20–25 लाख रुपए खर्च किए। बुलेट बाइक के लिए एक लाख रुपए का चेक भी दिया गया था।

नीलम के चाचा के लड़के सतीश ने बताया कि इसके बावजूद लाखों रुपए का दहेज मांगा जा रहा था। शादी के 10-15 दिन में ही पति-पत्नी में झगड़े शुरू हो गए थे। सतीश ने बताया कि ससुराल में 15 दिन जैसे-तैसे काटने के बाद नीलम अपने मायके आ गई थी। बीते 6 साला से तलाक का केस लड़ रही थी। कोर्ट की ओर से तय किया भरण पोषण का 6000 रुपए बढ़ाकर 10,000 करने की अर्जी भी दी हुई थी।

60 घंटे से छिपा है मौत का राज धर्मशाला के प्रबंधक गुड्‌डू शर्मा ने बताया कि सोमवार को सुबह 9.30 बजे सुरेंद्र और उनकी बेटी नीलम की तबीयत बिगड़ गई थी। सुरेंद्र चक्कर आने और बदन दर्द से परेशान थे। नीलम को सिरदर्द और उल्टियां हो रही थी।

नितिन और कमलेश ई-रिक्शा से अस्पताल गए और दवा लेकर आ गए थे। मंगलवार को चारों सुबह की आरती में शामिल होने के लिए गए थे, लेकिन वापस आने के बाद कमरे से बाहर नहीं आए थे। शाम को कर्मचारी मोहन ने देखा कि कमरे का दरवाजा खुला हुआ था। उसने अंदर झांका तो चारों बेसुध पड़े थे।

ऐसे में बड़ा सवाल है कि 12 से 14 जनवरी की सुबह तक करीब 60 घंटों में यह परिवार कहां–कहां गया, किस-किस से मिला, क्या किया?

इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए पुलिस धर्मशाला, अस्पताल, बाजार और अन्य जगहों के सीसीटीवी फुटेज देख रही है। मौत की मिस्ट्री सुलझाने के लिए एक-एक कड़ी जोड़ रही है। करौली और भरतपुर की एफएसएल टीम ने भी मौके से साक्ष्य जुटाए हैं।

धर्मशाला का कर्मचारी कमरे में गया तो इसी तरह शव पड़े थे।
धर्मशाला का कर्मचारी कमरे में गया तो इसी तरह शव पड़े थे।

पहली बार चारों साथ आए थे बालाजी नितिन के चचेरे भाई कृष्णा और सतीश ने बताया कि परिवार कई साल से मेहंदीपुर बालाजी आता रहा है। अक्सर पूरा परिवार न आकर एक या दो जने ही आते थे। साल डेढ़ साल में कभी माता-पिता, तो कभी भाई-बहन आते थे।

यह पहली बार था, जब चारों एक साथ बालाजी आने को देहरादून से निकले थे। परेशानी क्या थी, हमें भी बहुत ज्यादा नहीं पता। वो अपनी परेशानी बालाजी से कहने आए थे। परिजनों ने बताया कि सुरेंद्र पहले 11 जनवरी को किसी और धर्मशाला में रुके थे। फिर इस धर्मशाला में शिफ्ट हुए थे।

देहरादून की जिस ऑर्नेस कंपनी में सुरेंद्र ड्राइवर थे। नितिन उसी कंपनी में कुछ साल पहले अच्छी पोस्ट पर नौकरी करने लगा था। बीते साल कंपनी की ओर से वह अंडमान निकोबार भी गया था। उसके इंस्टा पेज पर उसने वहां के कुछ वीडियो भी शेयर किए थे। बेटी नीलम भी आईटीआई कर रही थी।

पुलिस की 3 थ्योरी, हत्या से भी इनकार नहीं एसएचओ देवेंद्र शर्मा का कहना है कि अभी कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता। मेडिकल बोर्ड से गुरुवार सुबह शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया।

पोस्टमॉर्टम और एफएसएल की रिपोर्ट आने के बाद ही परिवार की मौत के असली कारणों से पर्दा उठ सकेगा। फिलहाल पुलिस हत्या, आत्महत्या और अनजाने में विषाक्त या अन्य किसी अपरिहार्य कारण से मौत के एंगल से तफ्तीश कर रही है।

हत्या होने की आशंका इसलिए कम है, क्योंकि उन पर किसी तरह का हमला नहीं हुआ है। न ही मृतकों के शरीर पर कोई चोट या निशान मिले हैं, जो ऐसा इशारा करते हों।

धर्मशाला के सीसीटीवी फुटेज में भी किसी के बाहर से कमरे के अंदर आने की पुष्टि नहीं हुई है। कमरे की खिड़कियां खुली थी। दरवाजा भी अंदर ये लॉक नहीं था। सुसाइड के एंगल से भी जांच कर रहे हैं। सारी जांच अब पोस्टमॉर्टम और एफएसएल की रिपोर्ट पर टिकी है।

मां कमलेश के साथ बेटा नितिन।
मां कमलेश के साथ बेटा नितिन।

नितिन के फोन से दी थी सूचना, 20 घंटे लगे आने में शव मिलने की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने मंगलवार रात 9 बजे परिवार को सूचना दी थी। पुलिस ने नितिन के फिंगर प्रिंट से उसके मोबाइल का लॉक खोला था। कॉल डिटेल में कृष्णा भैया नाम से नंबर मिला था। कृष्णा नितिन के चाचा का लड़का है।

सुरेंद्र के भाई सहारनपुर तो अन्य रिश्तेदार उत्तराखंड और यूपी के अलग-अलग शहरों में रहते हैं। एक जगह एकत्र होने के बाद कृष्णा की कार से खराब मौसम, कोहरे और बारिश के चलते परिवार को देहरादून से मेहंदीपुर बालाजी तक पहुंचने में 20 घंटे लग गए थे। परिजन बुधवार शाम साढ़े पांच बजे बालाजी चौकी पहुंचे थे।

यहां से उन्हें मॉर्च्युरी लाया गया, जहां अपने भाई, बहू, भतीजे-भतीजी की लाशों को देखकर परिजन फफक पड़े। मुकेश उपाध्याय को संभालना मुश्किल हो रहा था।

शरीर में मिला जहरीला पदार्थ सबसे पहले नीलम और उसकी मां कमलेश का पोस्टमॉर्टम हुआ। डॉक्टरों ने ऑफ रिकॉर्ड बताया कि शुरुआती जांच में कार्डियक अरेस्ट से मौत होना सामने आ रहा है। कार्डियक अरेस्ट किस वजह से हुआ, इसका कारण जानने के लिए सैंपल लिए गए हैं। सैंपल जांच के लिए भेजे जाएंगे। इसके अलावा चारों के शरीर में जहरीला पदार्थ के भी ट्रेसेज मिले हैं। हालांकि ये जहरीला पदार्थ कौनसा था, ये जांच रिपोर्ट के बाद ही सामने आ पाएगा।

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