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शाहे विलायत तुम्हारा भी अंदाज निराला, चाहने वालों पर अता का अंदाज भी निराला…जैसे कलाम पेश किए


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शाहे विलायत तुम्हारा भी अंदाज निराला, चाहने वालों पर अता का अंदाज भी निराला…जैसे कलाम पेश किए

शाहे विलायत तुम्हारा भी अंदाज निराला, चाहने वालों पर अता का अंदाज भी निराला...जैसे कलाम पेश किए

झुंझुनूं : झुंझुनूं शहर के मोहल्ला मुगलान में शाह विलायत दरगाह के सालाना उर्स में महफिले शमां हुई। जिसमें कव्वालों ने कव्वालों ने एक से बढ़कर एक सूफियाने कलाम पेश किए। दरगाह गद्दीनशीन खुशी मोहम्मद की सदारत में जयपुर के कव्वालों ने अल्लाह हू अल्लाह हू, नाना रहमते आलम नवासे रहबरे आलम, छुपाना अपनी कमली में रहमते आलम, अली मौला अली मौला, अली मोमिनो का ईमान है, वलियों के वली पीराने पीर है, बगदाद वाले हजरत सब के दस्तगीर है, ख्वाजा तुम्हारी शान बड़ी है, तुम्हारा अता करने का अंदाज भी बड़ा है, ख्वाजा तुम हिंद के वाली हो, या शाहे विलायत तुम्हारा भी अंदाज निराला, चाहने वालों पर अता का अंदाज भी निराला, या शाहे विलायत तुम्हारे करम का अंदाज निराला है, कलाम पेशकर दाद बटोरी।

इस मौके हाजी फारूक सब्जीफरोश,यूसुफ अंसारी, जफर मनियार, शौकिन रंगरेज, यूसुफ रंगरेज, हाजी इश्हाक, आरिफ खान तगाला, बिलाल तगाला, सलाउदीन खान तगाला, हनीफ खां, अकरम खान, पार्षद मकबूल चेजारा, रमजान सैय्यद, अमानत फारूकी, अहमद फारूकी,शब्बीर चाय वाला, बाबू खां चूरू, खेरूद्दीन चेजारा समेत अनेक अकीदतमंद थे। महफिल के बाद फातेहाखानी हुई, सलातो सलाम पढ़ा गया। कुल की रस्म के साथ उर्स का समापन हुआ। दरगाह गद्दीनशीन खुशी मोहम्मद ने इस्तकबाल किया।

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