अजमेर उर्स-होटल कम पड़े तो घरों में गेस्ट हाउस बनाए:पिछले साल से दोगुना जायरीन, सेक्रेटरी बोले- ‘किसी’ की चादर आने न आने से फर्क नहीं पड़ता
अजमेर उर्स-होटल कम पड़े तो घरों में गेस्ट हाउस बनाए:पिछले साल से दोगुना जायरीन, सेक्रेटरी बोले- 'किसी' की चादर आने न आने से फर्क नहीं पड़ता
अजमेर : बीते साल हुए दरगाह विवाद के बाद यह पहला उर्स था। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स में बड़ी संख्या में जायरीन पहुंचे। अजमेर के 6 हजार होटलों के कमरे कम पड़ गए तो लोगों ने घरों को गेस्ट हाउस बना दिया। दावा है कि ये आंकड़ा पिछले साल से दोगुना था। दुनियाभर से आए जायरीन में पाकिस्तान से आए 89 जायरीन भी शामिल थे।
अंजुमन कमेटी के अनुसार यहां चादर चढ़ाने का कोई ऑफिशियल रिकॉर्ड नहीं रखा जाता, लेकिन उर्स में अनुमानित हर दिन करीब 25 से 30,000 चादरें पेश की गईं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम भजनलाल शर्मा, अरविंद केजरीवाल, महाराष्ट्र के गवर्नर समेत देश और दुनिया के तमाम बड़े लोगों की ओर से चादरें पेश की गईं।
दरगाह में मंदिर विवाद होने का दावा करने के बाद इस साल उर्स में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी थी। पुलिस की सख्ती इस कदर थी कि छतों और बालकनी से फर्रियां और नोट उड़ाने वालों को भी पुलिस ने होटलों से निकालकर समझाइश की।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
दरगाह की अंजुमन कमेटी के सेक्रेटरी सैयद सरवर चिश्ती ने मीडिया से बातचीत में कहा कि दरगाह विवाद का यहां आने वाले जायरीन पर कोई फर्क नहीं पड़ा है। बल्कि इस साल पहले से ज्यादा जायरीन पहुंचे हैं।
वहीं दरगाह बाजार के दुकानदारों और होटल व्यवसायियों से बातचीत में सामने आया कि बीते साल यहां आने वाले जायरीन की संख्या से इस बार दोगुना आंकड़ा है।
आमतौर पर उर्स की शुरुआत के साथ ही छठी के बाद भीड़ छंटने लगती है, लेकिन इस बार बड़े कुल की रस्म के बाद भी होटल भरे हुए हैं और लोग दरगाह पहुंच रहे हैं। इससे पहले 786वें उर्स पर सबसे ज्यादा लोग आए थे।
सेक्रेटरी बोले- मुस्लिमों के खिलाफ इको सिस्टम का नतीजा है विवाद अं
जुमन कमेटी के सेक्रेटरी सैयद सरवर चिश्ती का कहना है कि दरगाह से जुड़ा यह विवाद मुस्लिमों के खिलाफ चलाए जा रहे इको सिस्टम का हिस्सा है।
मॉब लिंचिंग, लव जिहाद, एनआरसी, वक्फ अमेंडमेंट बिल, ट्रिपल तलाक, धारा 370, यूसीसी के बाद इस इको सिस्टम ने दरगाह की 813 साल पुरानी विरासत को भी अपना शिकार बनाने की कोशिश की है। इसमें भाजपा की आईटी सेल और साम्प्रदायिक ताकतों की भूमिका प्रमुख रही है। हालांकि इनके मंसूबे पूरे नहीं हो सके, यह गरीब नवाज का करम है।
हमारा सबसे बड़ा एतराज इस बात पर है कि 800 साल से ज्यादा पुरानी इस हेरिटेज और करोड़ों लोगों की श्रद्धा के केंद्र रहे दरगाह के खिलाफ लोअर कोर्ट एप्लिकेशन मंजूर कर लेता है। कोई भी क्रिमिनल बैक ग्राउंड का व्यक्ति जिस पर 17 से ज्यादा मामले चल रहे हैं, कोर्ट उसकी सुनवाई भी करती है। प्रशासन उसे पाबंद करने की बजाय सुरक्षा मुहैया कराता है। उन्होंने कहा कि वह इस मामले में हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
विवाद के बावजूद पीएम मोदी की ओर से चादर भेजे जाने पर सरवर चिश्ती ने कहा कि ये चादर पीएम प्रोटोकॉल के तहत आई थी। यह नया नहीं है। पंडित जवाहरलाल नेहरू के समय से आ रही है।
पाकिस्तानी जायरीन के लिए कड़ी सुरक्षा
इस साल पाकिस्तान से 89 जायरीन और एम्बेसी से 2 अधिकारी चादर पेश करने आए। तीन दिन दरगाह से करीब डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर केंद्रीय गर्ल्स स्कूल परिसर में रुके इन पाकिस्तानी जायरीन पर 24 घंटे सीआईडी और पुलिस की चुनिंदा टीमों की निगरानी रही।
पुलिसकर्मियों के घेरे में ही इन लोगों ने जियारत कर चादर पेश की। सुरक्षा और प्रोटोकॉल के चलते दरगाह और स्कूल दोनों ही जगह मीडिया से उन्हें बात नहीं करने दी गई।
मीडियाकर्मियों को देखकर जैसे ही पाकिस्तानी जायरीन कुछ बोलने के लिए आगे बढ़ते, उन्हें रोककर तुरंत आगे बढ़ा दिया जाता। दरगाह से स्कूल के बीच हर जायरीन के साथ हर वक्त एक पुलिसकर्मी साथ रहता था।
एडीएम भरतलाल गुर्जर ने बताया कि पाकिस्तानी जायरीन का चार दिन का दौरा था, जो शुक्रवार को जुम्मा की नमाज के साथ ही पूरा हो गया। अजमेर से करीब 3 बजे पाकिस्तानी जायरीन का जत्था अपने मुल्क के लिए रवाना हुआ।
सुरक्षा प्रोटोकॉल के चलते जुम्मे की नमाज में भी नहीं हुए शामिल
पाकिस्तानी जायरीन सुरक्षा कारणों के चलते बड़े कुल की रस्म और जुम्मा की नमाज में भी शामिल नहीं हो सके। रिटायर्ड सिटी मजिस्ट्रेट और बीते 30 साल से पाकिस्तानी जायरीन के लाइजन ऑफिसर का काम कर रहे सुरेश सिंधी ने बताया कि नियमों के तहत घूमने फिरने की इजाजत होती है।
वहीं दोनों देशों के बीच के हालात और रिश्तों के आधार पर प्रोटोकॉल फॉलो किया जाता है। 10–10 लोगों का जत्था बनाकर जियारत करवाई जाती है। इस दौरान 10–10 पुलिसकर्मी और सीआईडी के लोग भी साथ होते हैं। भारत-पाक समझौते के तहत उर्स के जायरीन की संख्या 500 तय की हुई है। वर्तमान हालात पर ही जायरीन को वीजा दिया जाता है।
लोगों ने घरों को बनाया गेस्ट हाउस
उर्स के दौरान अजमेर के 6000 से ज्यादा छोटे-बड़े होटल और गेस्ट हाउस फुल थे। बड़े कुल की रस्म के समय तक लोग होटल में कमरे खाली होने की इन्क्वायरी करते रहे। इन सभी होटलों और गेस्ट हाउसों को मिलाकर करीब 1 लाख से ज्यादा कमरे हैं।
दरगाह के आसपास की काॅलोनियों और घरों में भी लोगों ने 5 से 10 हजार रुपए में लोगों को ठहरने की जगह दी। होटल व्यवसायियों का कहना है कि इस साल फैमिली के साथ लोगों ने काफी शिरकत की। वहीं दोस्तों और ग्रुपों में आने वाले युवा जायरीन की संख्या में भी उछाल देखने को मिला।
क्या था दरगाह से जुड़ा हालिया विवाद
हाल ही में हिंदू सेना के अध्यक्ष एडवोकेट विष्णु गुप्ता ने 25 सितंबर, 2024 को याचिका दायर करते हुए दरगाह के अंदर संकटमोचन महादेव मंदिर होने का दावा किया। 38 पेज की याचिका का आधार 114 साल पहले रिटायर्ड जज हरबिलास सारडा की लिखी एक किताब अजमेर हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव है। इसी किताब में मौजूद दर्ज पर एक पूरे चैप्टर में में शिव मंदिर होने की जानकारी के आधार पर यह दावा किया था कि दरगाह की जगह पहले भगवान शिव का मन्दिर था, जिसे संकटमोचन महादेव मन्दिर कहते थे। इसके अलावा विष्णु गुप्ता का दावा है कि उन्होंने खुद दो साल तक दरगाह के अंदर जाकर मंदिर होने के प्रमाणों पर रिसर्च की है।