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चिड़ावा से भी रहा स्वामी विवेकानंद से नाता:विवेकानंद प्रतिमा स्थल पर होगा विरासत दिवस कार्यक्रम


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चिड़ावा से भी रहा स्वामी विवेकानंद से नाता:विवेकानंद प्रतिमा स्थल पर होगा विरासत दिवस कार्यक्रम

चिड़ावा से भी रहा स्वामी विवेकानंद से नाता:विवेकानंद प्रतिमा स्थल पर होगा विरासत दिवस कार्यक्रम

चिड़ावा : युग पुरुष स्वामी विवेकानंद का खेतड़ी आगमन को विरासत दिवस रूप में मनाया जा रहा है। चिड़ावा के इतिहासकारों की मानें तो स्वामी विवेकानंद खेतड़ी प्रवास के दौरान 1897 में एक दिन के लिए चिड़ावा भी आए थे।

आज शाम मनाएंगे विरासत दिवस

इस अवसर पर शहर के विवेकानंद चौक में स्थित सर्किल पर स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा के समक्ष श्री विवेकानंद मित्र मंडल द्वारा दीप प्रज्वलित कर विरासत दिवस मनाया जाएगा। इस दौरान परिषद के कार्यकर्ता और आम जन भी उपस्थित रहेंगे। इसके साथ ही स्वामी विवेकानंद के जीवन चरित्र को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प लिया जाएगा।

साहित्यकार महामहोपाध्याय डॉ. ओमप्रकाश पचरंगिया ने बताया कि उनकी दादी अक्सर बताया करती थीं कि स्वामी विवेकानंद अपने जीवनकाल में शिकागो से जब खेतड़ी आए थे, तो एक दिन के लिए भ्रमण के लिए स्वामी विवेकानंद महाराजा अजीत सिंह के साथ हाथी पर सवार होकर चिड़ावा जागीर भी आए थे।

चिड़ावा के गलियों में लोगों ने और प्राचीन हवेलियों के झरोखों से महिलाओं ने पुष्प वर्षा कर स्वामी जी का भव्य स्वागत किया था। उस समय पूरे शहर के लोगों में जबरदस्त उत्साह था।

स्वामी विवेकानंद ने उस समय गांधी चौक में कुछ देर तक लोगों से आध्यात्मिक विषयों पर चर्चा की और उन्हें राष्ट्र के प्रति प्रेम बनाए रखने का आह्वान किया। इसके बाद वे गढ़ वाला बालाजी मंदिर के सामने, जो वर्तमान में पुलिस थाना के स्थान पर स्थित है, जन सुनवाई में भी शामिल हुए।

गढ़ वाला बालाजी के प्रति महाराजा अजीत सिंह की विशेष श्रद्धा थी और वे चिड़ावा से जुड़े मामलों की सुनवाई गढ़ वाला बालाजी के सामने बैठकर ही करते थे। स्वामी जी का सरल स्वभाव और रहन-सहन लोगों पर गहरा प्रभाव डाल गया।

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