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गहलोत बोले-800 साल पुरानी अजमेर दरगाह पर कोर्ट केस गलत:पीएम मोदी चादर यहां चढ़ा चुके, उन्हीं की पार्टी के लोग केस कर रहे हैं


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गहलोत बोले-800 साल पुरानी अजमेर दरगाह पर कोर्ट केस गलत:पीएम मोदी चादर यहां चढ़ा चुके, उन्हीं की पार्टी के लोग केस कर रहे हैं

गहलोत बोले-800 साल पुरानी अजमेर दरगाह पर कोर्ट केस गलत:पीएम मोदी चादर यहां चढ़ा चुके, उन्हीं की पार्टी के लोग केस कर रहे हैं

अजमेर : पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने अजमेर दरगाह परिसर में शिव मं​दिर ​होने के दावे से उठे विवाद को लेकर बीजेपी, आरएसएस और पीएम नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए हैं। गहलोत ने कहा- 15 अगस्त, 1947 तक बने जो भी धार्मिक स्थान जिस स्थिति में हैं, वे उसमें रहेंगे, यह कानून बना हुआ है। उन पर सवाल उठाना गलत है।

गहलोत ने कहा- अजमेर दरगाह 800 साल पुरानी है। दुनियाभर से लोग यहां आते हैं। उनके एक्शन से कोर्ट में केस हो गया। दुनिया के मुल्कों के मुस्लिम भी आते हैं, हिंदू भी आते हैं। प्रधानमंत्री कोई भी हो, कांग्रेस, बीजेपी या किसी दल के हों, पंडित नेहरू के जमाने से मोदी जी तक तमाम प्रधानमंत्री की तरफ से दरगाह में चादर चढ़ती है। दरगाह की इतनी है। चादर चढ़ाने के अपने मायने होते हैं। आप चादर भी चढ़ा रहे हैं और आपकी पार्टी के लोग कोर्ट में केस भी कर रहे हैं। आप भ्रम पैदा कर रहे हैं तो लोग क्या सोच रहे होंगे?

‘जहां अशांति है वहां विकास नहीं हो सकता’

गहलोत ने क​हा- जहां अशांति है वहां विकास नहीं हो सकता, वहां विकास ठप हो जाता है। ये बात किसको कहनी चाहिए, ये बातें मोदी जी और आरएसएस को करनी चाहिए। देश अभी वो चला रहे हैं।

15 अगस्त, 1947 तक बने धर्मस्थलों पर सवाल उठाना गलत

पूर्व सीएम ने कहा- जहां तक मुझे जानकारी है धार्मिक स्थान किसी भी धर्म के हों, 15 अगस्त, 1947 तक जो बने हुए हैं उस पर सवाल नहीं होना चाहिए, इसका कानून बना हुआ है। जब से आरएसएस, बीजेपी सरकार आई है, आप देख रहे हो, देश में धर्म के नाम पर राजनीति चल रही है।

चुनाव चाहे महाराष्ट्र का हो, चाहे हरियाणा का हो, चाहे पार्लियामेंट का हो, सारे चुनाव ध्रुवीकरण के आधार पर जीते जा रहे हैं। खुलकर धर्म के आधार पर ये लोग टिकट बांट रहे हैं। देश में स्थिति तो बड़ी विकट है। यह स्थिति आसान नहीं है। यह तो इनको खुद को देखने की बात है जो आज शासन में हैं।

पक्ष और विपक्ष में बढ़ गईं दूरियां

गहलोत ने कहा- शासनकर्ता की जिम्मेदारी बहुत बड़ी होती है। सत्ता में जो हैं, उनकी जिम्मेदारी होती है कि विपक्ष को साथ लेकर चलें, विपक्ष की भावना का आदर करें, जो कि ये नहीं कर रहे हैं। पक्ष और विपक्ष में दूरियां बढ़ती जा रही हैं, वह अपनी जगह है।

देश के मूल मुद्दों का क्या होगा?

गहलोत ने कहा- जब 15 अगस्त 1947 की स्थिति में संसद में कानून पास हो गया, उसके बावजूद मंदिर दरगाह में क्या था, पहले क्या था उसी में फंसे रहेंगे तो देश के मूल मुद्दों का क्या होगा? मूल मुद्दे क्या हैं, यह ज्यादा महत्व रखता है? महंगाई, बेरोजगारी, विकास का मुद्दा है, अर्थव्यवस्था का है, सामाजिक न्याय और सामाजिक व्यवस्थाओं का मुद्दा है।

मोदी और आरएसएस को छुआछूत मिटाने का अभियान चलाना चाहिए

गहलोत ने कहा- आरएसएस कहता है कि हम सांस्कृतिक संगठन हैं। हिंदुओं की रक्षा करते हैं। सब जातियों को साथ लेकर चलते हैं। हिंदू चाहे वह दलित वर्ग के हों, चाहे ओबीसी के हों, चाहे कोई कास्ट के हों, सब हिंदू हैं। आरएसएस को छुआछूत, भेदभाव को मिटाने के लिए अभियान चलाना चाहिए।

जब मोदी कहते हैं कि मैं थाली और ताली बजवा सकता हूं। कुछ भी कर सकता हूं और देश उनकी बात सुनता है तो सबसे पहले काम उनको यही करना चाहिए था। एक तारीख देनी चाहिए थी कि इस तारीख के बाद में कोई छुआछूत नहीं होगा। सब एक समान हैं, यह होना चाहिए था। यह बात ये करते नहीं हैं।

महबूबा मुफ्ती बोलीं- इससे तनाव बढ़ सकता है

इधर, जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने X पर लिखा- सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 1947 में मौजूद सरंचनाओं पर यथास्थिति रहेगी। इसके बावजूद उनके आदेश ने इन स्थानों के सर्वे का रास्ता तैयार कर दिया। इससे हिंदुओं और मुसलमान के बीच तनाव की संभावना बढ़ गई है। मुफ्ती ने कहा- पहले मस्जिद और अब अजमेर शरीफ जैसे मुस्लिम दरगाहों को निशाना बनाया जा रहा है। इससे खून-खराबा हो सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने X पर ट्वीट कर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 1947 में मौजूद सरंचनाओं पर यथास्थिति रहेगी, इसके बावजूद उनके आदेश ने इन स्थानों के सर्वे का रास्ता तैयार कर दिया। इससे हिंदुओं और मुसलमान के बीच तनाव की संभावना बढ़ गई है। महबूब ने सीधे पूर्व सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ की ओर इशारा कर रही थी, जिन्होंने ज्ञानव्यापी के वैज्ञानिक सर्वे की अनुमति दी थी। महबूबा मुफ्ती ने यह भी लिखा कि संभल में हुई ताजा हिंसा उसे फैसले का नतीजा है।

मुफ्ती ने कहा पहले मस्जिद और अब अजमेर शरीफ जैसे मुस्लिम दरगाहों को निशाना बनाया जा रहा है। इससे खून खराबा हो सकता है। अब सवाल बना हुआ है कि विभाजन के दिनों को याद दिलाने वाली सांप्रदायिक हिंसा की जिम्मेदारी कौन लेगा।

नोटिस का इंतजार, मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को

सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में श्री संकटमोचन महादेव मंदिर के मामले में कोर्ट द्वारा पार्टी बनाई गई दरगाह कमेटी को गुरुवार तक नोटिस नहीं मिला है। इस नोटिस के मिलने के बाद ही कमेटी आगे कदम उठाएगी। कमेटी के नाजिम पद पर कार्यभार मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी दिल्ली से ही संभाल रहे हैं। यहां उनके अधीनस्थ कार्य देख रहे हैं। कमेटी के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक नोटिस के अध्ययन के बाद ही तय हो पाएगा कि कोर्ट कमेटी से क्या चाहती है। इस मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को है। ऐसे में अभी 20 दिन से अधिक का समय है।

नाजिम को ऑर्डर देगा कौन.., डेढ़ साल से दरगाह में कमेटी ही नहीं

ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह का प्रबंधन संभालने वाली दरगाह कमेटी का कार्यकाल 4 जून 2023 को पूरा हो गया था। इसके बाद से केंद्र सरकार ने अब तक कमेटी का गठन नहीं किया है। तत्कालीन केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलात मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के कार्यकाल में कमेटी का आखिरी बार गठन हुआ था। उनके बाद पूर्व मंत्री स्मृति ईरानी ने कमेटी का गठन नहीं किया। अब मौजूदा अल्पसंख्यक मामलात मंत्री किरण रिजिजू की ओर सब की निगाहें लगी है।

नाजिम लागू करते हैं कमेटी के निर्णय

दरगाह कमेटी के सूत्रों के मुताबिक दरगाह एक्ट में प्रावधान है कि दरगाह कमेटी ही दरगाह की व्यवस्थाओं आदि को लेकर फैसला लेती है। कमेटी के फैसलों को लागू करने का दायित्व दरगाह नाजिम व मुख्य कार्यकारी अधिकारी पर होता है। नाजिम केंद्रीय राज्य सरकार का अधिकारी होता है, जबकि कमेटी में पार्टी से जुड़े नेता और कार्यकर्ता होते हैं।

कोर्ट ने अल्पसंख्यक मंत्रालय समेत 3 को भेजा नोटिस

27 नवंबर को अजमेर की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में संकट मोचन महादेव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका अजमेर सिविल कोर्ट ने स्वीकार कर ली और इसे सुनने योग्य माना। हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की ओर से यह याचिका लगाई गई थी।

इसके बाद अल्पसंख्यक मंत्रालय, दरगाह कमेटी अजमेर और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) को नोटिस भेजा है। मामले में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होगी। विष्णु गुप्ता ने​​​​​​ दो साल की रिसर्च और ​रिटायर्ड जज हरबिलास शारदा की किताब ‘अजमेर: हिस्टॉरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ में दिए गए तथ्यों के आधार पर याचिका दायर की है।

हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता के दावे के तीन आधार…

दरवाजों की बनावट व नक्काशी :

दरगाह में मौजूद बुलंद दरवाजे की बनावट हिंदू मंदिरों के दरवाजे की तरह है। नक्काशी को देखकर भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां पहले हिंदू मंदिर रहा होगा।

ऊपरी स्ट्रक्चर :

दरगाह के ऊपरी स्ट्रक्चर देखेंगे तो यहां भी हिंदू मंदिरों के अवशेष जैसी चीजें दिखती हैं। गुम्बदों को देखकर आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किसी हिंदू मंदिर को तोड़कर यहां दरगाह का निर्माण करवाया गया है।

पानी और झरने :

जहां-जहां शिव मंदिर हैं, वहां पानी और झरने जरूर होते हैं। यहां (अजमेर दरगाह) भी ऐसा ही है।

गुप्ता कहते हैं- मुस्लिम आक्रांता जब एक विद्यालय को तोड़कर ढाई दिन का झोपड़ा बना सकते हैं तो फिर शिव मंदिर तो जरूर तोड़ा होगा। उन्होंने कहा- यहां तहखाने में शिव मंदिर का दावा है, क्योंकि शिव मंदिर के ऊपर ही दरगाह का निर्माण किया गया है।

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