बाल कल्याण समिति झुंझुनूं की रिपोर्ट पर चूरू महिला थाने में पोक्सो में दर्ज एफआईआर में आया नया मोड़
हाईकोर्ट के आदेश पर मां को सौंपी नाबालिग, बोली-मैंने दर्ज नहीं कराई एफआईआर, खाली कागज पर करवाए थे हस्ताक्षर
झुंझुनूं : नाबालिग बेटी की सुपुर्दगी के लिए डेढ़ माह से बाल कल्याण समिति झुंझुनूं, जिला कलेक्टर, बाल अधिकारिता विभाग व एसपी आदि के चक्कर लगा रही मां को आखिर हाईकोर्ट के दखल पर न्याय मिला।
नाबालिग जयपुर के आश्रय गृह में थी। नाबालिग की मां 14 अक्टूबर से बेटी की सुपुर्दगी के लिए बाल कल्याण समिति के चक्कर लगा रही थी। लेकिन बाल कल्याण समिति झुंझुनूं ने मां को उसकी बेटी की सुपुर्दगी देने की बजाय नाबालिग को पहले बीकानेर से चूरू और बाद में चूरू से जयपुर के आश्रय गृह में भेज दिया था। तब मां ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट के आदेश पर नाबालिग को मां के सुपुर्द कर दिया गया है।
गौरतलब है कि बाल कल्याण समिति झुंझुनूं के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 अक्टूबर को समाप्त हो गया था। नौ अक्टूबर को बाल अधिकारिता विभाग ने चूरू की बाल कल्याण समिति को झुंझुनूं का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया था। 10 अक्टूबर को चूरू बाल कल्याण समिति ने कार्यभार संभाला था।
बाल अधिकारिता विभाग ने पत्र लिखा, जिप कमेटी भी कर चुकी थी अनुशंषा
इस मामले को लेकर नाबालिग की मां ने अपनी बेटी का संरक्षण प्राप्त करने की अर्जी दी। लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई। समिति ने झुंझुनूं पुलिस से सामाजिक अन्वेक्षण रिपोर्ट मांगी। जो अकसर बाल अधिकारिता विभाग के परीविक्षा अधिकारी तैयार करते हैं। ऐसे में पुलिस ने बाल कल्याण समिति को इस तरह की कोई रिपोर्ट तैयार नहीं करने की बात कहते हुए पत्र। लिख दिया। इसके बाद समिति ने विभाग से सामाजिक अन्वेक्षण रिपोर्ट मांगी। विभाग ने नियमानुसार रिपोर्ट तैयार कर भिजवा दी। नाबालिग को मां को सुपुर्द करने के लिए बाल कल्याण समिति झुंझुनूं को बालअधिकारिता विभाग ने लिखा। विभाग के आदेश पर जिला परिषद सीईओ की अध्यक्षता में गठित अधिकारियों की कमेटी तक ने यह अनुशंषा की कि प्रकरण में बेटी को मां को सुपुर्द किया जाना चाहिए। लेकिन बाल कल्याण समिति ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया।
समिति की जल्दबाजी ही सबसे बड़ा सवाल: बाल कल्याण समिति झुंझुनूं के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 5 अक्टूबर को समाप्त हो गया था। नौ अक्टूबर को बाल अधिकारिता विभाग ने अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल समाप्त होने पर चूरू की बाल कल्याण समिति को झुंझुनूं का अतिरिक्त कार्यभार दे दिया था। इससे अगले ही दिन 10 अक्टूबर को चूरू की बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष कमला देवी, सदस्य शर्मिला पूनिया तथा हरफूल सिंह ने झुंझुनूं समिति का कार्य संभाल लिया था। 11 अक्टूबर को सदस्य शर्मिला बीकानेर पहुंची और बालिका आश्रय गृह बीकानेर में आवासित झुंझुनूं की की नाबालिग से मुलाकात की। वहीं पर उससे एक खाली कागज पर साइन करा लिए। 12 अक्टूबर को चूरू में नाबालिग के नाम से छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गई, जबकि 11 व 12 अक्टूबर को अवकाश था।
बेटी मां के पास भेजने के लिए कहती रही, सुनवाई नहीं
नाबालिग की मां ने अपनी बेटी का संरक्षण प्राप्त करने की अर्जी दी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। समिति ने मामले को अटकाने की नीयत से झुंझुनूं पुलिस से सामाजिक अन्वेक्षण रिपोर्ट मांगी, जो बाल अधिकारिता विभाग के परीवीक्षा अधिकारी तैयार करते हैं। ऐसे में पुलिस ने बाल कल्याण समिति को इस तरह की कोई रिपोर्ट तैयार नहीं करने की बात कहते हुए पत्र लिख दिया। समिति ने विभाग से सामाजिक अन्वेक्षण रिपोर्ट मांगी। विभाग ने नियमानुसार रिपोर्ट तैयार कर भिजवा दी। बावजूद इसके बाल कल्याण समिति ने मां के आवेदन को खारिज कर दिया। नाबालिग को मां को सुपुर्द करने के लिए बाल कल्याण समिति झुंझुनूं को बाल अधिकारिता विभाग ने लिखा। पुलिस ने भी मौखिक कहा। बाल कल्याण समिति ने किसी की नहीं सुनीं। विभाग के आदेश पर जिला परिषद सीईओ की अध्यक्षता में गठित अधिकारियों की कमेटी तक ने यह अनुशंषा की कि प्रकरण में बेटी को मां को सुपुर्द किया चाहिए, लेकिन बाल कल्याण समिति ने इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया
नाबालिग का आरोप: मैंने नहीं कराई FIR, मुझसे खाली कागज पर कराए थे हस्ताक्षर
आश्रय गृह से बाहर आने के बाद नाबालिग ने बयान दिया कि उसके नाम से चूरू के महिला थाने में जो एफआईआर दर्ज करवाई गई थी, वह उसने नहीं कराई। बल्कि उससे खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाए गए थे। नाबालिग ने बाल कल्याण समिति झुंझुनूं की कार्यवाहक सदस्य शर्मिला पूनिया पर बीकानेर के बालिका आश्रय गृह में आकर उससे एक खाली कागज पर हस्ताक्षर करवाने का आरोप लगाया है। इसी के आधार पर एफआईआर दर्ज करवा दी।
बालिका गृह की 3 कर्मचारियों की मौजूदगी में नाबालिग ने जो बोला, वो ही लिखा था : सदस्य
इस मामले में बाल कल्याण समिति झुंझुनूं की कार्यवाहक सदस्य शर्मिला पूनिया का कहना है कि बीकानेर बाल कल्याण समिति का पत्र आया था कि उक्त बालिका का झुंझुनूं समिति से से मिलने का बार-बार बोल रही है। समिति की अध्यक्ष के आदेश पर मैं बीकानेर गई थी। वहां पर बालिका गृह की तीन कर्मचारियों की उपस्थिति में बालिका ने जो बताया, वहीं लिखा गया था। बालिका के 161 व 164 में भी बयान हुए है। आरोप निराधार है।
चार्ज संभालने के दो दिन में ही दर्ज करवा दी थी एफआईआर
11 अक्टूबर को सदस्य शर्मिला पूनिया बीकानेर पहुंची और बालिका आश्रय गृह बीकानेर में आवासित झुंझुनूं की नाबालिग से मुलाकात की। वहीं पर पर उससे साइन करवा लिए। 12 अक्टूबर को चूरू में नाबालिग के नाम से छह लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी गई। जबकि 11 और 12 अक्टूबर को अवकाश था।
नाबालिग ने अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर खुद ने ही शिकायत की थी। मानवीय दृष्टिकोण को देखते हुए बच्ची को न्याय दिलवाने के लिए उसकी सहमति से एफआईआर करवाई गई थी। अब बच्ची किसी दबाब या अन्य किसी कारण से आरोप लगा रही है, तो कुछ कहा नहीं जा सकता।-कमला देवी गोदारा, कार्यवाहक अध्यक्ष, बाल कल्याण समिति, झुंझुनूं
बीकानेर बाल कल्याण समिति का पत्र आया था कि उक्त बालिका झुंझुनूं समिति से मिलने का बार-बार बोल रही है। समिति की अध्यक्ष के आदेश पर मैं बीकानेर गई थी। वहां पर बालिका गृह की तीन कर्मचारियों की उपस्थिति में बालिका ने जो बताया, वही लिखा था। बालिका के 161 व 164 में भी बयान हुए हैं। आरोप निराधार है। शर्मिला पूनिया, कार्यवाहक सदस्य, बाल कल्याण समिति, झुंझुनूं