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हाईकोर्ट ने कहा:आपराधिक मामले में ‘सम्मानजनक’ बरी न होने पर अवसर से वंचित करना उचित नही


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हाईकोर्ट ने कहा:आपराधिक मामले में ‘सम्मानजनक’ बरी न होने पर अवसर से वंचित करना उचित नही

हाईकोर्ट ने कहा:आपराधिक मामले में 'सम्मानजनक' बरी न होने पर अवसर से वंचित करना उचित नही

जोधपुर : राजस्थान हाईकोर्ट जस्टिस अरूण मोंगा की बैंच ने एक मामले में फैसला सुनाया कि बरी होना, चाहे किसी भी आधार पर हो, बरी होना ही है, जो याचिकाकर्ता की कानून का पालन करने वाले नागरिक के रूप में स्थिति को बहाल करता है। यह माना गया कि केवल एफआईआर के आधार पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति से वंचित करना, जिसमें उसे बरी किया गया था, उसे दंडित करने के समान है और यह उस व्यक्ति के समाज में पुनः एकीकरण के सिद्धांत के विरुद्ध है।

न्यायालय ने माना कि बरी किए गए व्यक्ति को अतीत में आपराधिक मुकदमे का हिस्सा होने के कारण कलंकित नहीं किया जा सकता। याचिकाकर्ता शंकरलाल की ओर से अधिवक्ता सुशील सोलंकी ने पैरवी करते हुए कहा कि पुलिस भर्ती में पुलिस अधीक्षक सिरोही ने कांस्टेबल के पद के लिए उसकी उम्मीदवारी इस आधार पर खारिज कर दी कि उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर में उसका बरी होना सम्मानीय नही था, बल्कि सबूतों के अभाव में बरी हुआ है। ऐसे में हाईकोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए पुलिस अधीक्षक सिरोही के आदेश को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता को अन्यथा योग्य होने पर नियुक्ति पत्र देने का आदेश दिया है।

राजस्व मामले : जनहित याचिका में नहीं दे सकते चुनौती

जोधपुर| जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायाधीश मुन्नुरी लक्ष्मण की खंडपीठ ने भूमि मामले से सम्बंधित एक जनहित याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि जो मामला लम्बे समय से स्थिर है उसे अस्थिर करने के लिए जनहित याचिका नही हो सकती है। हाईकोर्ट ने दस हजार रुपए की कॉस्ट के साथ जनहित याचिका को खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट में पाली जिले के निम्बली उर्रा ग्राम पंचायत के निवासी जोधाराम व घीसूलाल पालीवाल की ओर से जनहित याचिका दायर की गई। कोर्ट ने कहा कि यह मामला पूरी तरह से राजस्व अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में हैं। इसे जनहित याचिका के माध्यम से याचिकाकर्ता कई दशकों से चली आ रही स्थिति को अस्थिर करना चाहते हैं। हाईकोर्ट ने जनहित याचिका को दस हजार रुपए की कॉस्ट के साथ खारिज करते हुए इसको राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास जमा करवाने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने आईजी अजमेर को किया तलब, नागौर में मुकदमा

जोधपुर | हाईकोर्ट ने एक मामले में अजमेर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को व्यक्तिगत रूप से तलब किया है। जस्टिस फरजंद अली की एकलपीठ में याची उगमाराम की ओर से आपराधिक याचिका पेश की। याचिका में बताया गया कि रुपयों के लेने देने को लेकर केकडी सदर थाने में आत्म हत्या के मामला दर्ज हुआ था। जिसमें जयपुर हाईकोर्ट से दंडात्मक कार्यवाही नही करने के आदेश के साथ राहत मिली थी।

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