झुंझुनूं में इस बार ओला परिवार की विरासत दांव पर:राजेंद्र गुढा ने रोचक बनाया मुकाबला; क्या मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगा पाएंगे
झुंझुनूं में इस बार ओला परिवार की विरासत दांव पर:राजेंद्र गुढा ने रोचक बनाया मुकाबला; क्या मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगा पाएंगे

झुंझुनूं : झुंझुनूं विधानसभा सीट पर इस बार दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस सीट पर ओला परिवार का दबदबा रहा है। मुकाबला त्रिकोणीय है। अमित ओला, राजेंद्र भांबू और राजेंद्र गुढा में से किसके सिर पर वोटर जीत का सेहरा बांधेंगे, नतीजों के बाद ही तस्वीर साफ होगी।

फिलहाल कुछ सवाल बरकरार हैं…
- क्या इस बार उपचुनाव में सांसद बृजेंद्र ओला के बेटे अमित ओला सीट निकाल पाएंगे?
- क्या ओला परिवार का इस सीट पर वर्चस्व कायम रहेगा?
- क्या राजेंद्र भांबू जीत हासिल कर पाएंगे?
- क्या निर्दलीय राजेंद्र गुढ़ा से किसी चमत्कार की उम्मीद है?
- क्या राजेंद्र गुढ़ा मुस्लिम वोट बैंक में सेंधमारी कर पाएंगे?
बृजेंद्र ओला 4 बार विधायक रहे, अब सांसद, बेटा मैदान में
झुंझुनूं विधानसभा से बृजेंद्र ओला लगातार चार बार विधायक बने। अब वे झुंझुनूं लोकसभा सीट से सांसद हैं। उनके सांसद बनने से यह सीट खाली हुई। बृजेंद्र ओला के पिता शीशराम ओला लंबे समय तक विधायक और सांसद रहे।
जाहिर है, इस बार तीसरी पीढ़ी के अमित ओला के कंधों पर विरासत बचाने की जिम्मेदारी है। कांग्रेस जीती तो ओला परिवार की साख बची रहेगी।

भाजपा ने प्रचार में पूरी ताकत झोंकी, मैनेजमेंट बढ़िया
भाजपा ने राजेंद्र भांबू को मैदान में उतारा है। इसके बाद टिकट के बड़े दावेदार बबलू चौधरी नाराज हो गए थे। बबलू अगर बागी होकर मैदान में उतरते तो भाजपा की जीत के चांस लगभग खत्म हो जाते। लेकिन आलाकमान के स्तर पर मैनेजमेंट संभाला गया और बबलू चौधरी को मनाया गया।
अब चुनावी सभाओं के मंच से राजेंद्र भांबू बबलू चौधरी का शुक्रिया अदा करना नहीं भूलते। झुंझुनूं में इस बार भाजपा एकजुट नजर आ रही है। राज्य और केंद्र में भाजपा की सरकार है। भजनलाल सरकार ने राजेंद्र भांबू के प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी। ऐसे में राजेंद्र भांबू का पलड़ा हल्का नहीं है।

राजेंद्र गुढ़ा ने मुकाबले को बनाया त्रिकोणीय और रोचक
उपचुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी राजेंद्र गुढ़ा ने मुकाबला त्रिकोणीय और रोचक बना दिया है। सबसे बड़ा सवाल- राजेंद्र गुढ़ा को मुसलमानों के कितने वोट मिलेंगे? राजेंद्र गुढ़ा जब से चुनाव को लेकर एक्टिव हुए हैं, मुस्लिम वोटर की ओर उनका झुकाव साफ नजर आ रहा है।
चाहे नगर परिषद चेयरमैन के ससुर का मॉल गिराने का मसला हो या फिर सुलताना की सभा में पाकिस्तान को लेकर दिए गए बयान। उनकी हर सभा में मुस्लिम कम्युनिटी का जिक्र होता है। मुस्लिमों को लेकर वे लगातार कांग्रेस पर हमलावर हैं।
शहर के बड़ा मोहल्ला में एक सभा में उन्होंने कहा- 60 साल में कांग्रेस ने मुस्लिमों के लिए कुछ नहीं किया। जाहिर है कि गुढ़ा जानते हैं कि मुस्लिम वोट भाजपा में बिल्कुल नहीं जाएगा। मुस्लिम वोटर को लेकर उनका मुकाबला सिर्फ कांग्रेस से होना है। ऐसे में उनके निशाने पर कांग्रेस है और दिमाग में मुस्लिम वोटर।
अगर राजेंद्र गुढ़ा मुस्लिम वोट बैंक का रुख अपनी तरफ मोड़ने में कामयाब रहे तो सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस को होगा।

झुंझुनूं सीट पर गुढ़ा का पहला चुनाव
राजेंद्र गुढ़ा का झुंझुनूं सीट पर ये पहला चुनाव है। इससे पहले वे उदयपुरवाटी से चुनाव लड़ते आए हैं। राजेंद्र गुढ़ा एसी एसटी वोट बैंक में भी सेंध लगा सकते हैं। साथ ही भाजपा के कोर वोटर राजपूतों के वोट पर भी उनकी नजर है।
राजपूतों को लेकर उन्होंने डिप्टी सीएम दीया कुमारी तक पर बड़ा प्रहार किया था। कहा था- वे समाज की ठेकेदार बनती हैं। उनकी शादी में समाज धरने पर बैठा था।

क्या कहता है झुंझुनूं जिले का वोटर…
झुंझुनूं शहर, बगड़, इस्लामपुर, कालीपहाडी, जय पहाडी, माखर, सुलताना गांवों के वोटर मानते हैं कि मुकाबला रोचक होगा।
बगड़ निवासी राजेंद्र सिंह ने कहा- राजपूतों के गांवों में राजेन्द्र गुढा, जाटों गांवों में कांग्रेस और भाजपा दोनों का ही दबदबा है।
बगड चौकी से बुडाना के बीच मिले एक वोटर राहुल ने बताया- बुडाना के आसपास के गांव-ढाणियों में मालियों का बडा वोट बैंक हैं। यहां पर भाजपा ज्यादा मजबूत नजर आ रही है। सिटी में मुस्लिम वोट का रुझान राजेंद्र गुढ़ा की तरफ दिख रहा है।
शहरी वोटर इकबाल ने बताया- सिटी में भाजपा के वोट बैंक में कोई ज्यादा टूटत नजर नहीं आ रही। सिटी में कांग्रेस को गुढ़ा ज्यादा नुकसान पहुंचा सकते हैं।
भितरघात का खतरा बरकरार
भाजपा नेता नहर का पानी और रोजगार की बात कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ओला परिवार की ओर से कराए गए काम गिना रहे हैं। मुसलमानों में नाराजगी है। आरोप है कि ओला परिवार ने मुसलमानों को तवज्जो नहीं दी। इससे मुस्लिम वोटर कांग्रेस से नाराज है।
उधर, भाजपा बागियों को मनाने में सफल रही, लेकिन अभी भी उसे भितरघात का खतरा है।

जातीय समीकरण में उलझे नेता
जाट बहुल इस सीट पर भाजपा-कांग्रेस ने जाट उमीदवार मैदान में उतारे हैं। निर्दलीय राजेन्द्र गुढ़ा मुस्लिम, राजपूत, एससी वोट के जरिए दोनों पार्टियों के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। दोनों पार्टियों का जोर जातीय समीकरण साधने में ज्यादा है।
सीट पर ओला परिवार का दबदबा
दिग्गज जाट नेता शीशराम ओला और उनके परिवार का दबदबा इस सीट पर रहा है। शीशराम ओला पहली बार 1980 में विधायक बने थे। इसके बाद 1985 और 1993 में विधायक बने। उनके बाद उनके बेटे बृजेंद्र ओला ने 2008 से 2023 तक लगातार चार बार विधानसभा चुनाव जीता और विधायक बने।
शीशराम ओला 1996 में 11वीं लोकसभा के लिए चुने गए थे। उन्हें स्वतंत्र प्रभार के साथ केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। इस पद पर वह 1996 से 1997 तक रहे। 1997 से 1998 तक स्वतंत्र प्रभार के साथ केंद्रीय जल संसाधन राज्य मंत्री के रूप में भी उन्होंने कार्य किया।

1998 में 12वीं लोकसभा, 1999 में 13वीं लोकसभा, 2004 में 14वीं लोकसभा और 2009 में 15वीं लोकसभा के लिए वे फिर से चुने गए। 23 मई 2004 से 27 नवंबर 2004 तक उन्होंने केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री के रूप में काम किया।
अब ओला परिवार की तीसरी पीढ़ी के अमित ओला को कांग्रेस से टिकट मिला है।
वर्ष | विधायक | पार्टी |
1952 | नरोत्तम लाल जोशी | कांग्रेस |
1957 | नरोत्तम लाल जोशी | कांग्रेस |
1962 | सुमित्रा सिंह | कांग्रेस |
1967 | सुमित्रा सिंह | कांग्रेस |
1972 | सुमित्रा सिंह | कांग्रेस |
1977 | सुमित्रा सिंह | कांग्रेस |
1980 | शीशराम ओला | कांग्रेस |
1985 | शीशराम ओला | कांग्रेस |
1990 | मोहम्मद माहिर आज़ाद | जनता दल |
1993 | शीशराम ओला | कांग्रेस |
1998 | सुमित्रा सिंह | निर्दलीय |
2003 | सुमित्रा सिंह | भाजपा |
2008 | बृजेन्द्र सिंह ओला | कांग्रेस |
2013 | बृजेन्द्र सिंह ओला | कांग्रेस |
2018 | बृजेन्द्र सिंह ओला | कांग्रेस |
2023 | बृजेन्द्र सिंह ओला | कांग्रेस |