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पायलट बोले-हमारा हक मध्यप्रदेश को दिया, ERCP एमओयू सार्वजनिक करें:पेपर लीक का 11 महीने में कौनसा मगरमच्छ पकड़ा, यह भी बताएं


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पायलट बोले-हमारा हक मध्यप्रदेश को दिया, ERCP एमओयू सार्वजनिक करें:पेपर लीक का 11 महीने में कौनसा मगरमच्छ पकड़ा, यह भी बताएं

पायलट बोले-हमारा हक मध्यप्रदेश को दिया, ERCP एमओयू सार्वजनिक करें:पेपर लीक का 11 महीने में कौनसा मगरमच्छ पकड़ा, यह भी बताएं

दौसा : कांग्रेस महासचिव और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने पेपर लीक और पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के मुद्दे पर भाजपा सरकार पर जुबानी हमला किया। उन्होंने कहा – पेपर लीक के बारे में कहते थे कि बड़ी मछलियों को पकड़ेंगे, लेकिन 11 महीने में कौन सा मगरमच्छ पकड़ लिया, यह बात भी बतानी चाहिए।

वे दौसा विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी दीनदयाल बैरवा के समर्थन में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा- हम बोलते थे और सरकार किसी की भी हो मजबूती से बात रखनी चाहिए। नौजवानों का भविष्य खराब होगा तो खुलकर बोलना चाहिए। मैंने कई बार मुद्दे उठाए और बाकी लोग भी बोलते थे, लेकिन आज नहीं बोल रहे।

उन्होंने कहा- पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर भाजपा के लोग बड़े-बड़े दावे कर एमओयू के नाम पर जनता को भ्रमित कर रही है। यदि वास्तव में सही एमओयू किया है तो उसे सार्वजनिक किया जाना चाहिए। जिससे जनता को पता चले की आखिरकार क्या समझौता हुआ है। हमारा(राजस्थान) हक मध्यप्रदेश को देकर आ गए। समझौते की कॉपी किसी के पास नहीं है कि उसमें क्या लिखा है। मैं सरकार को चैलेंज के साथ कहना चाहता हूं कि मध्य प्रदेश के साथ समझौता हुआ है, उसे अखबार में छपवाओ, जिससे जनता को पता चले कि उसमें सच्चाई कितनी है।

पायलट ने कहा- इस सरकार में अफसर हावी हैं और सत्ता के कई बड़े केंद्र बने हुए हैं। आपस में ब्लैकमेल करने व धमकी देने जैसे कई काम किए जा रहे हैं। सरकार कुछ बोल रही है और संगठन कुछ अलग ही बोल रहा है। उन्होंने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा- सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग कर मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला जा रहा है। स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह अच्छी बात नहीं है।

मंच पर सांसद मुरारी लाल मीणा से चर्चा करते सचिन पायलट।
मंच पर सांसद मुरारी लाल मीणा से चर्चा करते सचिन पायलट।

एक भी युवा को नौकरी नहीं मिली

पायलट ने कहा- आज देश में इंडिया गठबंधन के 230, जबकि भाजपा व सहयोगी दलों के करीब 290 सांसद हैं। यह बदलाव जनता की बदौलत आया है। देश व प्रदेश की जनता ने फिर से कांग्रेस पार्टी पर भरोसा जताया है। यह उपचुनाव दो दल व विचारधाराओं का है, किसी जाति-बिरादरी का नहीं। आज मुख्यमंत्री दौसा में आए और सरकार का कोई मंत्री नहीं बचा होगा, जो प्रचार करने नहीं आया होगा। जो लोग शुरू में कहते थे डीसी बैरवा कमजोर कैंडिडेट है। आज वहीं भाजपा के लोग और पूरी सरकार यहां डेरा डाले हुए हैं। बजट में बहुत सारी घोषणा हुई, लेकिन कोई यह नहीं बता सकता कि एक भी युवा को सरकारी नौकरी मिली हो। सरकार ने 11 महीने में ऐसा कोई काम नहीं किया, जिसकी बदौलत वोट मांग रहे हैं।

प्रचार करने देवली-उनियारा क्यों नहीं गए

पायलट ने कहा- वो देवली-उनियारा प्रचार करने क्यों नहीं जा रहे। यह उपचुनाव जातियों का नहीं, बल्कि दो विचारधाराओं का है। चुनाव में प्रचार के लिए मंत्रियों की भीड़ लगी हुई है और लोगों से वादा कर रहे हैं कि हम बिजली-पानी की सुविधा दे देंगे। लेकिन पिछले 11 महीने से सरकार को काम करने से किसने रोका था। मंत्री और मुख्यमंत्री कितनी ही बार आए, लेकिन जनता के काम किए बिना मन नहीं जीता जा सकता है।

उन्होंने कहा- दौसा कांग्रेस का गढ़ रहा है, इसलिए जीत का अंतर भी सबसे ज्यादा होना चाहिए। दौसा के लोग उसे ही वोट करेंगे जिसने दौसा को मान सम्मान व पहचान दिलाई।

सभा को सांसद मुरारी लाल मीणा, पूर्व मंत्री ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास, बस्सी विधायक लक्ष्मण मीणा, युवा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अभिमन्यु पूनिया, पूर्व विधायक ओमप्रकाश हुड़ला, जीआर खटाना, टोडाभीम विधायक घनश्याम महर समेत कई नेताओं ने भी संबोधित किया।

मुरारीलाल कह चुके, बात खराब नहीं होनी चाहिए

दो दिन पहले सांसद मुरारीलाल मीणा ने कार्यकर्ताओं से कहा था- हाथ जोड़कर निवेदन करता हूं कि यह अपने वजूद की लड़ाई है। मैंने एक चुनाव 51 हजार और दूसरा 32 हजार से जीता था, इसलिए अब कम से कम 50 हजार से डीसी बैरवा को चुनाव जिताना होगा। जिस तरह मेरे चुनाव में मेहनत करके बीजेपी को सबक सिखाया था, अब उसी तरह एक बार फिर से मैदान में डटना होगा। हम प्रत्याशी को चुनाव जिताकर भेजेंगे, इसलिए अपनी बात खराब नहीं होनी चाहिए।

हालांकि दौसा उपचुनाव में भाजपा से एसटी और कांग्रेस के एससी वर्ग के प्रत्याशी आमने-सामने हैं। ऐसे में सामान्य व ओबीसी मतदाताओं पर सबकी नजरें टिकी हैं। उपचुनाव के प्रचार में सचिन पायलट की दूसरी बार एंट्री को जातीय समीकरण साधने से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे प्रचार के आखिरी वक्त में गुर्जर मतदाताओं को एकजुट किया जा सके।

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