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जिला अदालतों का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत:उप राष्ट्रपति धनखड़ बोले- न्यायपालिका महत्वपूर्ण अंग, इसमें सबऑर्डिनेट शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए


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जिला अदालतों का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत:उप राष्ट्रपति धनखड़ बोले- न्यायपालिका महत्वपूर्ण अंग, इसमें सबऑर्डिनेट शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए

जिला अदालतों का इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने की जरूरत:उप राष्ट्रपति धनखड़ बोले- न्यायपालिका महत्वपूर्ण अंग, इसमें सबऑर्डिनेट शब्द का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए

जयपुर : उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि अगर हमें आमजन को जल्दी और गुणवत्तापूर्णन्याय उपलब्ध कराना है तो हमें हमारे जिला न्यायालयों, मजिस्ट्रेट कोर्ट्स की ओर ध्यान देना होगा। ऊपर की अदालतों (हाई कोर्ट-सुप्रीम कोर्ट) में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ता जा रहा है, लेकिन हमारे जिला न्यायालयों और मजिस्ट्रेट कोर्ट में जजों और वकीलों के सामने काम करने की भी चुनौती है। उन्होंने कहा कि मैं आग्रह करता हूं कि हमें हमारे जिला न्यायालयों, हमारे मजिस्ट्रेट, हमारे जिला न्यायाधीशों, हमारे युवा वकीलों पर प्रमुखता से ध्यान देना होगा।

उप राष्ट्रपति धनखड़ ने यह बात आज दी बार एसोसिएशन जयपुर की ओर से आरआईसी में आयोजित ई-लाइब्रेरी एवं लॉयर्स डायरी-2025 के लोकार्पण कार्यक्रम में कही। कार्यक्रम के दौरान सीजे एमएम श्रीवास्तव ने जयपुर मेट्रो द्वितीय परिसर के नौ मंजिला भवन के लिए 10 करोड़ रुपए की लागत से एक्सलेटर बनाने की घोषणा की।

कोई न्यायालय सबऑर्डिनेट नहीं, प्रचलित शब्दों में बदलाव जरूरी

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि न्यायपालिका हमारे देश का महत्वपूर्ण अंग है, इसमें सबऑर्डिनेट शब्द की कोई जगह नहीं है। कोई भी न्यायालय सबऑर्डिनेट नहीं होता है। इसमें बदलाव होना चाहिए। उन्होंने न्यायपालिका पर टिप्पणी करते हुए कहा जब मजिस्ट्रेट या जिला जज फैसला लिखता है उनके मन में शंका रहती है कि मेरे फैसले पर क्या टिप्पणी होगी। वह फैसला उसके भविष्य को निर्वहन करता है। हमें इनके लिए सहानुभूति रखनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि उद्योगपति एवं कॉर्पोरेट समूहों को न्यायालयों के कार्यान्वयन में भी सहायता करनी चाहिए। कॉर्पोरेट्स के पास सीएसआर फंड होता है जिसे उन्हें लोकल कोर्ट में इंवेस्ट करना चाहिए। देश के युवा वकीलों में भी निवेश जरूरी है। उन्होंने वकीलों से कहा कि भारत में डिजिटल लेन-देन अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस व जर्मनी से भी चार गुना है। ऐसे में वकील एआई, मशीन लर्निंग व ब्लॉकचैन का उपयोग कर समय बचाएं और न्याय की गुणवत्ता को बढ़ावा दें।

बार-बैंच में गतिरोध पर बोले धनखड़

उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बार और बैंच के बीच गतिरोध को लेकर कहा कि बार और बैंच दो शब्द जरूरी हैं, लेकिन इनकी आत्मा एक ही है। बार और बैंच में मतभेद तो रहेंगे, पर दूरी नहीं होनी चाहिए। समस्या हमेशा रहेगी। हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट हमेशा समस्याओं को हल करने का प्रयास करते हैं, लेकिन सब कुछ उनके हाथ में भी नहीं है। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब हाई कोर्ट जयपुर बार और मुख्य न्यायाधीश में गतिरोध बना हुआ है। गुरुवार को हाई कोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर ने मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सीजेआई को शिकायती पत्र लिखा था।

कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़, जस्टिस इन्द्रजीत सिंह, बीसीआर चेयरमैन भुवनेश शर्मा, दी बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष पवन शर्मा व महासचिव राजकुमार शर्मा व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर के अध्यक्ष प्रहलाद शर्मा सहित अन्य न्यायिक अफसर व वकील मौजूद रहे।

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