जनमानस शेखावाटी संवाददाता : रतन कुमावत
बबाई : एडवोकेट उत्सव शर्मा ने बताया की -भारतीय न्याय संहिता: इसमें 358 धाराएं है, जबकि IPC में 511 धाराएं थी। BNS में कुल 20 नए अपराध जोड़े गए है और 33 अपराधों के लिए कारावास की सजा बढ़ाई गई है। 83 अपराधों में जुर्माने की राशि बढ़ाई गई है और 23 अपराधों में अनिवार्य सजा की शुरुआत की गई है। 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड लागू किया गया है। साथ ही 19 धाराओं को निरस्त किया या हटाया गया है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता
इसमें 531 धाराएं है,जबकि CrPC में 484 धाराएं थी। इसमें कुल 177 प्रावधानों में बदलाव किया गया है। 9 नई धाराओं के साथ -साथ 39 नई उप-धाराएं जोड़ी गई है।44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए है। 35 धाराओं में समयसीमा जोड़ी गई है। 35 स्थानों पर ऑडियो – वीडियो प्रावधान जोड़ा गया है। 14 धाराओं को हटाया या निरस्त किया गया है।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम
इसमें 170 प्रावधान होंगे, पहले 167 प्रावधान थे। एक्ट के कुल 24 प्रावधान में बदलाव किया गया है। 2 नए प्रावधान तथा 6 उप-प्रावधान जोड़े गए है। अधिनियम में 6 प्रावधानों को हटाया या निरस्त किया गया है। नए कानून में प्रमुख बदलाव
गंभीर मामले
- नाबालिक से रेप के दोषी को उम्रकैद या फांसी होगी।
- पहले रेप की धारा 375, 376 थी, अब 63,69, होगी।
- हत्या की धारा 302 थी, अब यह 101 होगी।
- गैंगरेप के दोषी को 20 साल तक जेल की सजा होगी
- मॉब लिचिंग में फांसी सजा होगी।
एक्सीडेंट के मामले
- वाहन से किसी के घायल होने पर ड्राइवर अगर पीड़ित को पुलिस स्टेशन या अस्पताल ले जाता है तो उसे कम सजा दी जाएगी।
- हिट एंड रन केस में 10 साल की सजा मिलेगी।
- स्नैचिंग के लिए कानून नही है, अब कानून बन गया है।
- सिर पर लाठी मारने वाले पर अभी सामान्य झगड़े की धारा लगती है। अब विक्टिम के ब्रेन डेड की स्थिति में दोषी को 10 साल की सजा मिलेगी।
ट्रायल के मामले
- किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने पर पुलिस को उसके परिवार को जानकारी देनी होगी। पहले यह जरूरी नहीं था।
- किसी भी केस में 90 दिनों में क्या हुआ, इसकी जानकारी पुलिस विक्टिम को देगी।
- अगर आरोपी 90 दिनों के भीतर कोर्ट के सामने पेश नही होता है तो उसकी गैरमौजूदगी में भी ट्रायल होगा।
- गंभीर मामलों में आधी सजा काटने के बाद रिहाई मिल सकती है।