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मुंबई में एक्टर बनने गए, जिम में काम करना पड़ा:अब खुद फिल्म बना रहे; डायरेक्टर जगत सिंह बोले- कुछ भी काम करके वहां टिका रहा


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मुंबई में एक्टर बनने गए, जिम में काम करना पड़ा:अब खुद फिल्म बना रहे; डायरेक्टर जगत सिंह बोले- कुछ भी काम करके वहां टिका रहा

मुंबई में एक्टर बनने गए, जिम में काम करना पड़ा:अब खुद फिल्म बना रहे; डायरेक्टर जगत सिंह बोले- कुछ भी काम करके वहां टिका रहा

जयपुर : जयपुर के एक्टर जगत सिंह अब डायरेक्टर और राइटर बन गए हैं। उन्होंने बॉलीवुड फिल्म ‘क्रिस्पी रिश्ते’ बनाई है। इसे ओटीटी पर रिलीज किया जा रहा है। जगत सिंह ने बताया- बॉलीवुड में सत्याग्रह, जय गंगाजल, चक्रव्यूह और लिपिस्टिक अंडर माई बुर्का जैसी फिल्मों में काम करने के बाद खुद की लिखी फिल्म पर काम शुरू किया। पांच साल बाद इसे रिलीज कर पा रहा हूं।

उन्होंने कहा- मुंबई में बतौर जिम ट्रेनर काम कर चुका हूं। बहुत मेहनत की। अब राजस्थान के लिए काम करना मकसद है। यहां के टैलेंट को मौका देना है। यह फिल्म 18 अक्टूबर को जियो सिनेमा पर रिलीज होगी।

जगत सिंह ने प्रकाश झा के साथ कई फिल्मों में काम किया है।
जगत सिंह ने प्रकाश झा के साथ कई फिल्मों में काम किया है।

सवाल: ‘क्रिस्पी रिश्ते’ किस तरह की फिल्म है। इसके बारे में बताएं?

जगत सिंह: ‘क्रिस्पी रिश्ते’ एक पारिवारिक भावना प्रधान फिल्म है। फिल्म में 15 गाने हैं। यह 18 अक्टूबर को रिलीज हो रही है। मुझे उम्मीद है कि आप सभी को पसंद आएगी।

सवाल: डायरेक्शन और राइटिंग का साथ भी इस फिल्म में आपने रखा है, एक्टिंग आप पिछले कई साल से कर रहे हैं तो क्या खास इसमें नजर आने वाला है?

जगत सिंह: यह कहानी जब मेरे जेहन में आई तो मन किया कि इस पर मैं शॉर्ट फिल्म बनाऊं, लेकिन वह बढ़ते-बढ़ते ग्रो हो गई। पहले एक गाना आया, दो गाने आए, फिर वह कहानी 1 घंटे से 2 घंटे में तब्दील हो गई। पूरी फिल्म का शेप ले लिया। कहानी जेहन में थी, इसलिए डायरेक्शन करने में ज्यादा कठिनाई नहीं आई। कहानी मेरी लिखी हुई थी, एक्टर मैं पहले से ही था तो मेरे हिसाब से बहुत ही आसान था। लोग कहते हैं कि तीनों भूमिकाएं एक साथ निभाना यह बहुत चैलेंजिंग होता है। अगर अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर और अच्छी टीम हो। अच्छा प्रोड्यूसर हो सागर जी जैसा तो यह पॉसिबल है। यह कन्वेनिएंट था। यह मैंने कर दिखाया और आगे भी मैं ऐसा करने वाला हूं।

जगत ने बताया कि श्याम कौशल ने सेट पर मुझे ऑब्जर्व करते रहे थे। उसके बाद कहा था कि तुम डायरेक्टर जरूर बनोगे।
जगत ने बताया कि श्याम कौशल ने सेट पर मुझे ऑब्जर्व करते रहे थे। उसके बाद कहा था कि तुम डायरेक्टर जरूर बनोगे।

सवाल: इस फिल्म को रिलीज करने में 5 साल का समय लग गया। बड़ा संघर्ष वाला समय रहा होगा, उसके बारे में जरा बताएं?

जगत सिंह: किसी भी चीज को पहली बार करना मुश्किल होता है। फिल्म इंडस्ट्री में अलग तरह का संघर्ष है। वह सभी जानते हैं। इतने बड़े नाम में एक नाम बनाने की कोशिश करना और अपने काम को आगे लेकर जाना। यह अपने आप में बहुत चैलेंजिंग था। 15 गानों की फिल्म को 2 घंटे तक पहुंचाना। फिर बीच में कोविड का आ जाना। हर तरह की हर संभव रुकावट मैंने महसूस की। मैंने उसे फेस किया है। मैंने और सागर ने दोनों ने उसका मुकाबला भी किया है। उसका अगर बखान किया जाए तो एक पूरी पुस्तक की लिखी जा सकती है।

सवाल: आपकी जयपुर की जर्नी जानना चाहेंगे, कैसे आप जयपुर से मुंबई पहुंचे और काम शुरू किया?

जगत सिंह: आज से 22 साल पहले कॉलेज से पास होकर हीरो बनने मुंबई चला गया, क्योंकि जयपुर में कुछ सीरियल में काम कर लिया था। लगा था कि स्टार बन गया। मुंबई जाने के बाद असलियत का सामना हुआ। वहां रोल अच्छे मिले, लेकिन पता लगा हम कहीं नहीं हैं। फिर जो संघर्ष हुआ, उसकी दास्तां ऐसी है कि पूछिए मत। अपने आप को मोल्ड (स्थिति के अनुसार बदलना) किया। वहां पर हर तरह के काम किए। गुजारा करने के लिए छोटे-छोटे काम किए। थिएटर में काम किया। फेमस फिल्म निर्माता प्रकाश झा का मुझे सपोर्ट मिला।

राजनीति, चक्रव्यूह, जय गंगाजल, लिपस्टिक अंडर माय बुर्का जैसी फिल्मों में काम मिला। धीरे-धीरे अनुभव बढ़ता रहा। उसके बाद ‘क्रिस्पी रिश्ते’ की बारी आ गई। जब ऐसा महसूस हुआ कि जो किरदार मैं करना चाहता हूं, वह मिल नहीं पा रहे तो सोचा कि अपनी ही कहानी बनाकर के शॉर्ट फिल्म बना ली जाए। भगवान की कृपा से पूरी कॉमर्शियल फिल्म के रूप में आज वह सबके सामने आ गई है। संघर्ष तो बहुत रहे हैं।

'क्रिस्पी रिश्ते' की शूटिंग जयपुर और राजस्थान के कई जिलों में हुई है।
‘क्रिस्पी रिश्ते’ की शूटिंग जयपुर और राजस्थान के कई जिलों में हुई है।

सवाल: आप मुंबई में जिम ट्रेनर के रूप में भी काम करते दिखे, कैसे फिल्में ढूंढते थे। किस तरह ऑडिशन देते थे, कैसे आगे बढ़े, उसके बारे में बताएं?

जगत सिंह: हारना नहीं है, छोड़ना नहीं है। करो या मरो। यही तीन सिद्धांत थे। मुंबई में टिके रहना है तो उसके लिए जो भी करना है। कॉल सेंटर में जॉब करना है, जिम ट्रेनर बन जाएं, कुछ भी ऐसा कीजिए जो आपको वहां टिके रहने के लिए सहयोग करता है। मैंने भी हर तरह के काम किए। एक जिम ट्रेनर की जिंदगी बहुत मुश्किल होती है। सुबह 4 बजे से शुरू हो जाती है, जब वह खत्म होती है तो एक एक्टर की जिंदगी शुरू हो जाती है। जब वह खत्म होती है तो रात को एक लेखक की जिंदगी शुरू हो जाती है। मेरी जिंदगी के अंदर हर रोल एक एक्सपीरिएंस को लेकर आया है। इसीलिए मैं एक फिल्म बना पाया, आगे भी मैं कुछ कहानी को सोचता हूं तो सारे अनुभव जो मैंने अपनी जिंदगी में देखें वह मेरे काम आते हैं।

सवाल: प्रकाश झा के साथ आपके खास रिश्ते रहे हैं। उन्होंने काफी काम भी दिया है। विस्तार से बताइए?

जगत सिंह: प्रकाश झा जी से मैंने सबसे ज्यादा सीखा है, हालांकि मैंने उन्हें कभी ऑफिशियल किसी फिल्म में असिस्ट नहीं किया है। कहते हैं की संगति से ही इंसान बहुत कुछ सीख जाता है। लकी था सत्याग्रह में मैं उनके बहुत क्लोज काम किया था। चक्रव्यूह और जय गंगाजल में भी वैसा ही साथ मिला।

एक दिन विकी कौशल के पिता और एक्शन डायरेक्टर श्याम कौशल ने मुझे सेट पर ऑब्जर्व किया। मैं जय गंगाजल के सेट पर मॉनिटर पर बैठा हुआ था। इसके लिए मुझे प्रकाश जी ने इंस्ट्रक्शन दिए हुए थे। श्याम कौशल ने कहा- यह लड़का 2 साल में डायरेक्ट बन जाएगा। तब मैंने उनसे कहा कि पाजी आपने मेरे लिए कुछ कहा? तब उन्होंने कहा कि मैंने कह दिया कि आप डायरेक्टर जरूर बनेंगे, क्योंकि मैं अभी आपको कुछ वैसा ही काम करते हुए देखा है। जब मैं डायरेक्ट के रूप में काम कर रहा था, तब मुझे वह बात क्लिक हुई।

2015 में मैंने सोचा नहीं था कि मैं फिल्म बनाऊंगा। प्रकाश जी की वजह से ही मैं इतनी बड़ी-बड़ी फिल्मों का हिस्सा रहा। मुझे ऑब्जर्व करने का मौका मिला, मैं एक्टर के तौर गया था। मैं कभी भी वैनिटी में बैठकर या होटल में बैठकर अपना समय खराब नहीं करता था। मैं अपना सीन करता था। फिर कैमरा या डायरेक्शन टीम में जो भी मुझे काम मिले वहां ऑब्जर्व करने लग जाता था। उसके कारण शायद कुछ बदलाव मेरे में आने लग गए।

जगत ने बताया कि अगली फिल्म चाबुक पान भंडार के नाम पर बना रहा हूं।
जगत ने बताया कि अगली फिल्म चाबुक पान भंडार के नाम पर बना रहा हूं।

सवाल: आपका मानना है कि आप एक चाबी राजस्थान में लेकर आए हैं, जिसका फायदा यहां के लोगों को होने वाला है, यह कैसे संभव होगा?

जगत सिंह: मुझे अभी एक सवाल पूछा गया की आप किस तरह की अपॉच्यूनिटीज लेकर आए हैं? मैंने कहा कि अब मेरे पास एक चाबी आ गई है। इसकी शुरुआत कर दी है, इस फिल्म को बनाकर। इससे आगे के रास्ते खुल जाएंगे। अगली फिल्म राजस्थान में बनाएंगे, यहां के कलाकारों को लेंगे। मुझे बार-बार पूछा गया कि राजस्थानी फिल्मों को लेकर आपके क्या प्लान है। मैं हमेशा यही कहता हूं कि मैं राजस्थानी फिल्म बनाऊंगा, यहां के टैलेंट को मौका दूंगा। यहां की कहानी को आगे लेकर जाऊंगा, सरकार भी सपोर्ट करे।

हमारा राजस्थानी सिनेमा दूसरे रीजनल सिनेमा के मुकाबले पिछड़ा हुआ है। हम सब का फर्ज बनता है कि हम उसको आगे लाने के लिए सहयोग करें। मैं यहां डायरेक्शन करूंगा, एक्टिंग करूंगा, प्रोड्यूस करूंगा। जो शुरुआत होती है, इसका आगाज हो चुका है। फिल्म को पर्दे तक ले आए हैं। आगे का रास्ता यहां से खुल जाएगा, दूसरी-तीसरी फिल्म यहां जरूर बनेगी।

मेरी आने वाली फिल्म चाबुक पान भंडार के रूप में होगी, जो मैं बनाना चाहूंगा। वह एक सोशल सटायर है। यह राजस्थान बेस्ड कहानी है। जिसे यहीं पर शूट करने वाला हूं। वह मेरे दिल के बहुत करीब है। पिछले 5 साल से इसके बारे में सोच रहा था, उसे तैयार कर रहा था। स्पिरिचुअलिटी और मेडिकल साइंस को लेकर एक थॉट है। इसे मैं बयां करने वाला हूं। हालांकि टाइटल से थोड़ा अजीब लगता है, लेकिन सिनेमा का यही मजा है।

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