सनातनी परम्पराओं व मान्यताओं का व्यवसायीकरण
सनातनी परम्पराओं व मान्यताओं का व्यवसायीकरण

आज कल भारत को हिन्दू राष्ट्र व सनातन धर्म की रक्षा की बड़ी बड़ी बाते सुनने को मिलती है । एक कथावाचक जो खुद को सनातन धर्म का रक्षक होने का दावा करने के साथ ही आमजन को अपने प्रवचनों से माया से दूर रहने के उपदेश देता नजर आता है । उसको देश के सबसे अश्लील सिरियल बिग बॉस में देखा गया व सलमान खान के साथ मंच साझा करता नजर आ रहा है । यदि सनातन धर्म को किसी ने नुकसान पहुंचाया है तो इन ढोंगी और पाखंडियों ने पहुंचाया है ।
सनातनी परम्पराओं व मान्यताओं का व्यवसायीकरण होना भी हमारे सुसंस्कृत समाज का सनातन धर्म से विमुख होने का कारण है । शारदीय नवरात्र जो एक सनातनी का प्रमुख धार्मिक आयोजन में से एक है । अनेक संतों व महात्माओं ने इन नौ दिनों में मां दुर्गा की कठोर उपासना करके लोक कल्याण के लिए सिध्दियां अर्जित की थी उनमे से शेखावाटी शिव नगरी के नाम से विख्यात पंडित गणेश नारायण जो बावलियां बाबा के नाम से विख्यात है उनका नाम भी आता है । लेकिन आधुनिक परिवेश में डाडिया की आड़ में फूहड़ता का रूप धारण कर लिया है । फिल्म के फूहड गानों बजाए जाते हैं । इनके बड़े बड़े आयोजक होते हैं कुछ स्थानों पर तो इन पांडालों में प्रवेश के लिए टिकट भी लगाया जाता है । राजनितिक लोग इन आयोजनों की आड़ में अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं । नेता भी ऐसे आयोजनों को आर्थिक सहायता देते हैं । रस उनका एक तरह से निवेश होता है जिसका फायदा उनको चुनावों में मिलने की आशा की जाती है ।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गरबा देवी दुर्गा और महिषासुर के बीच हुए युद्ध का प्रतीक है । डाडिया नृत्य के दौरान खेली जाने वाली छड़ियां मां दुर्गा की तलवार का प्रतीक है जो बुराई का विनाश करती है । गरबा का शाब्दिक अर्थ होता है गर्भ या अदर का दीपक । यह देवी शक्ति आराधना का प्रतिक है । गरबा नृत्य मां दुर्गा की स्तुति में गाए जाने वाले लोकप्रिय लोकगीतों पर आधारित होता है । लेकिन दुर्भाग्य इन धार्मिक परम्पराओं का व्यवसायीकरण करने के साथ ही फूहड़ता परोसी जा रही है । ऐसी सनातन विरोधी ताकतों से सावधान रहने की जरूरत है जो युवा पीढ़ी को सनातन धर्म की बहुमूल्य धरोहर से विमुख कर रही है ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक