राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक
झुंझुनूं विधानसभा में उपचुनाव सिर पर है। झुंझुनूं सीट पर ओला परिवार का एकाधिकार रहा है । पिछले दो विधानसभा चुनावो पर नजर डालें तो भाजपा की टिकट वितरण प्रणाली व भाजपा में मची गुटबाजी कांग्रेस की जीत में संजीवनी का काम किया है । लगता है पिछले दो चुनावों से स्थानीय नेताओं ने सबक नहीं लिया जो सार्वजनिक रूप से पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं । जब प्रदेश स्तर पर पद पर आसीन व्यक्ति पार्टी मंच पर अपने विचार न रखकर सार्वजनिक रूप से पार्टी की आलोचना करें तो आयुष अंतिमा हिन्दी समाचार पत्र के उन आलेखो पर मोहर लगती है कि झुंझुनूं में गुटबाजी चरम पर है । विदित हो इसको लेकर भाजपा के नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष ने झुंझुनूं का दौरा किया था उनको भी ढाणियों में बंटी भाजपा का अहसास हो गया और उन्होंने नसीहत दी थी कि संगठन सर्वोपरि है व टिकट एक ही व्यक्ति को मिलेगी । इसको लेकर सभी नेताओं को एकजुट होकर भाजपा को विजयी बनाना है । लेकिन शायद यह नसीहत भी उस नेता को नागुवार गुजरी और सार्वजनिक रूप से बयान बाजी करके पार्टी को नुक्सान पहुंचाने का काम कर रहे हैं । उन्होंने अपने बयान में जिन दो नेताओं को टिकट का प्रबल दावेदार बताया वे नेता काफी बड़े अंतर से चुनाव हार चुके हैं । जातिवाद को बढ़ावा देकर चुनाव नहीं जीते जा सकते ऐसा उनको समझना होगा । चुनावों में छतीश क़ौम का समर्थन जिस उम्मीदवार को मिलेगा वहीं चुनावों में विजय प्राप्त कर सकता है । उनके इस बयान से जो उन्होंने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक किया है भाजपा के परम्परागत वोट खिसकने का डर है । टिकट वितरण का अधिकार भाजपा आलाकमान को है लेकिन उस बयान ने गुटबाजी को हवा देने का काम किया है । सूत्रों की मानें तो भाजपा टिकट रिपीट के मूड में नहीं है । गुटबाजी को लेकर भी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने अपने विचारों से आलाकमान को अवगत करवा दिया है ।
गुटबाजी का आलम यह है कि लोकसभा में भाजपा प्रत्याशी ने अपनी हार का कारण भी इसी बीमारी को बताया था । उस हार से भी स्थानीय नेताओं ने सबक नहीं लिया । जिस वंशानुगत राजनीति के खात्मे की बात वह नेता कर रहे हैं शायद उसको खात्मे की बजाय उसके समर्थन में यह बयान दिया है ।
राजेन्द्र शर्मा झेरलीवाला, वरिष्ठ पत्रकार व सामाजिक चिंतक