डॉ. जुल्फिकार का कायमखानियों पर पहला शोध पत्र प्रकाशित
डॉ. जुल्फिकार का कायमखानियों पर पहला शोध पत्र प्रकाशित

झुंझुनूं : युवाओं के प्रेरणा स्रोत स्वामी विवेकानंद पर शोध कार्य करने वाले तथा उनके संदेश को देश-विदेश में प्रचार-प्रसार करने वाले भीमसर गांव के युवा लेखक व चिन्तक डॉ. जुल्फिकार का शोध पत्र इंटरनेशनल मल्टीफोकल रिसर्च जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह शोध पत्र कायमखानियों की पूर्वकथा और सभ्यता विषय पर प्रकाशित किया गया है। इस शोध पत्र में कायमखानी इतिहास, उनके रीति-रिवाज, भाषा, परिधान, आभूषण, भोजन उत्सव आदि विशेषताओं का सुविस्तार से वर्णन किया है। यह शोध पत्र भविष्य में इस विषय के संदर्भ में किये जाने वाले शोध कार्य एवम् शोधकर्ताओं को यह अध्ययन कार्य की पूर्णता में सहयोग प्रदान करेगा। डॉ. जुल्फिकार अध्ययन व अनुसंधान के क्षेत्र में कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं। कायमखानी कौम का इतिहास करीब 668 साल पुराना है लेकिन इतिहास में हुए कई युद्धों में कौम के इतिहास का जल जाना, वंशावली का सही से अंकित नहीं होना जैसे कई कारण है जिनके चलते आज मार्शल कौम ‘कायमखानी’ के बारे में लोगों की जानकारी बहुत कम है। इसी कौम से ताल्लुक रखने वाले डॉ. जुल्फिकार कायमखानियों के 668 सालों के इतिहास एवं संस्कृति पर काम कर रहें हैं। डा. जुल्फिकार ने बताया कि कायमखानियों के 668 साल पुराने इतिहास एवं संस्कृति पर 14 विषयों पर दो चरणों में पूरा होगा।
कायमखानी कौन है ?
कायमखानी वंश का उदभव करीब 668 वर्ष पूर्व हुआ था। चूरु जिले में एक ‘ददरेवा’ नामक स्थान है जहां मोटेराव चौहान नामक राजा शासन करता था, उनके पुत्र राणा कर्मचंद फिरोजशाह तुगलक के समय 1356 ई. में इस्लाम धर्म कबूल कर कायम खां बने। बाद में कायम खां के दो भाई जैनुदीन खां व जुबैरुदीन खां ने इस्लाम धर्म अपनाया, इन्हीं की सन्तान आगे चलकर कायमखानी कहलाई। कायमखानी समाज दो रिति-रिवाजों का मेल है इसमें छठी की रस्मों,भात,आरता जैसे कई संस्कार और रिति-रिवाज राजपूतों से है। इसका कारण यह बताया जाता है कि कर्मचंद कायम खां तो बन गये लेकिन राजपूताना गौरव से नाता जोड़े रखा। 13 वीं सदीं से लेकर अब तक राजपूतों के साथ कायमखानीयों का अटूट रिश्ता बना हुआ हैं।
कायमखानी मनाते है कायम खां डे
कायमखानी समाज के प्रथम पुरुष और महान योद्धा नवाब कायम खां 1419 ई. को शहीद हुए थे, उनकी याद में ही कायमखानी कौम हर वर्ष नवाब कायम खां डे मनाती है।
झुंझुनूं जिले के पहले कायमखानी रत्न
राजस्थान कायमखानी शोध संस्थान जोधपुर द्वारा डॉ. जुल्फिकार कायमखानी समाज के सर्वोच्च सम्मान ‘कायम रत्न’ से सम्मानित हो चुके है। उन्हें यह सम्मान 2015 में पूर्व मंत्री युनूस खां व पूर्व आईजी व मंत्री लियाकत खां ने कायमखानी समाज को गौरवान्वित करने पर दिया। झुंझुनूं जिले में यह सम्मान प्राप्त करने वाले डॉ. जुल्फिकार पहले कायमखानी है।
एक्सपर्ट व्यू ………. मार्शल कौम है कायमखानी
कायमखानी मार्शल कौम है | इस कौम का इतिहास करीब 668 साल पुराना है । अब यह ऐतिहासिक काम 14 विषयों पर दो चरणों में पूरा होगा | इससे समाज के कई अनछुए पहलुओं को सामने लाने का प्रयास किया जा रहा है। ~ डॉ. जुल्फिकार, शोधकर्ता
