बाड़मेर : बाड़मेर में हिरणों का शिकार करने वाली गैंग का मास्टर माइंड किराने की दुकान चलाने वाला निकला। उसने हिरणों के शिकार में मोटे मुनाफे के लालच में आकर एक साल पहले लोकल शिकारियों के साथ मिलकर गैंग बनाई थी। गैंग का मास्टर माइंड आईदान सिंह इतना शातिर था कि उसकी तीन गैंग में कोई भी शख्स एक दूसरे का नाम तक नहीं जानता था, ताकि कभी कोई पकड़ा भी जाए तो पुलिस को अपने साथियों का नाम न बता पाए।
शिकारी हर दिन 6 से 7 हिरणों का शिकार कर रहे थे। शिकार के बाद आईदान और उसका एक साथी हिरण के मांस को अलग-अलग जगहों पर बेच देते थे। मीट बेचने के लिए गैंग में महिलाओं को भी शामिल कर रखा था। अब तक गैंग के 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। चार फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है।
एक साल पहले गैंग बनाई थी
बाड़मेर डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि मांगता गांव में रहने वाला आईदान सिंह एक साल पहले तक लोकल शिकारियों से हिरण का मांस खरीदता था। इसके बाद उसने लोकल शिकारियों को अपने साथ शामिल कर गैंग बनाई।
आईदान ने अपने दो बेटों को भी गैंग में शामिल कर रखा था। इनमें से एक बेटा उसकी किराने की दुकान चलाता है। उसने शिकार के लिए तीन गैंग बना रखी थी। ये गैंग अलग-अलग जगहों पर हिरणों का शिकार करती थी। हर गैंग में पांच में से छह लोग थे।
गैंग के साथियों को आईदान रात के समय जंगल में अलग-अलग जगह छोड़कर आता था। एक शिकारी तेज आवाज करके हिरणों के झुंड को भगाता। दूसरे साथी सामने से घेरकर हिरणों को लाठियों से पीटकर मार देते थे। रात में बंदूक की आवाज सुनकर ग्रामीण न आ जाएं, इसलिए शिकार के लिए लाठी इस्तेमाल करते थे।
दिन में हिरणों के पानी पीने और रहने की जगह की रेकी करते थे
आईदान सिंह और उसकी गैंग बाड़मेर के लीलसर और चौहटन के आस-पास के गांवों के सुनसान इलाकों में हिरणों का शिकार करते थे। शिकार से पहले आईदान अपनी गाड़ी से दिन के समय हिरणों के पानी पीने की जगह की रेकी करके आता था।
हिरण झुंड बनाकर रहते हैं। ऐसे में आईदान उनके रहने की जगह भी चिन्हित करके आता था। आईदान अपनी गाड़ी से शिकारियों को रात करीब 11 बजे जंगल में छोड़कर आता था। तीन गैंग को अलग-अलग इलाकों में छोड़ता था।
शिकारी रात को 11 बजे से सुबह 4 बजे तक हिरणों का शिकार करते थे। शिकार के बाद वो लोग आईदान को फोन करते और वो अपनी गाड़ी में उन्हें लेने आ जाता था।
कई बार लेट हो जाने पर शिकारी हिरणों के चारों पैर बांधकर उन्हें वहीं झाड़ियों के पास छोड़कर आ जाते थे। पैर बंधे होने से हिरण दिनभर भाग नहीं पाते। रात को अंधेरा होने पर शिकारी दोबारा आते और हिरणों को गाड़ी में डालकर ले जाते।
एक हिरण के शिकार पर 500 रुपए देता
आईदान अपने साथियों को एक हिरण के शिकार करने पर 500 रुपए देता था। शिकार के बाद गैंग के भोमाराम भील और किशन देशांतरी को हिरण का मांस निकालने का काम देता था।
मांस निकालने के बाद भोमाराम आस-पास के इलाकों में हिरण का मीट 200 से 300 रुपए किलो में बेचता था। वहीं किशन देशांतरी मीट को बाहर भी भेजता था। टीम को संदेह है कि किशन हिरण का मीट होटल मालिकों को भी बेचता था।
टीम किशन की तलाश कर रही है। उसके पकड़े जाने पर ही पता लग पाएगा कि वो मीट कहां-कहां और किन लोगों को बेचता था।
मीट बेचने में महिलाएं भी शामिल
वन विभाग की टीम ने भोमाराम के घर से मीट काटने के औजार और तौलने के उपकरण भी बरामद किए हैं। मीट बेचने में उसके घर की महिलाएं भी शामिल थीं।
कई बार वो ग्राहकों को मीट सप्लाई करने के लिए महिलाओं को भेजता था, ताकि किसी को शक न हो। टीम इन महिलाओं के खिलाफ भी कार्रवाई करने की तैयारी कर रही है।
होटल मालिकों के लिए एडवाइजरी जारी करेगा वन विभाग
डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि क्षेत्र के लोगों में हिरण के शिकार और मीट को लेकर जागरूकता नहीं है। ऐसे में वन विभाग जल्द ही होटल मालिकों और मीट बेचने वाले दुकान संचालकों के लिए एक एडवाइजरी जारी करेगा। इसमें हिरण के शिकार और मीट को बेचने पर पाबंदी, नियम और उस पर होने वाली कार्रवाई के बारे में बताया जाएगा।
गांव वालों ने मृत हिरणों को साधु-संतों की तरह समाधि दी थी
बाड़मेर से करीब 56 किलोमीटर दूर लीलसर गांव से महज 1 किलोमीटर दूर शेरपुरा गांव में हिरणों का शिकार किया गया था। साधु-संतों की तरह मृत मिले हिरणों की समाधि बनाई गई थी। हिरणों की समाधि के बाद लीलसर गांव की ओर से महाप्रसादी रखी गई। गांव की आबादी करीब 4 हजार की है। प्रसादी के लिए पूरे गांव ने चंदा किया था।
सैकड़ों की तादाद में हिरण थे, अब 100 के आस-पास
लीलसर गांववालों के अनुसार, इलाके में दो साल पहले तक करीब 700 हिरण थे। गांव में करीब 200 बीघा ओरण भूमि है, जिस पर केवल वन्य जीवों का अधिकार है।
इनके संरक्षण के लिए गांववालों ने जगह-जगह हौदी बनाई थी, ताकि उन्हें कोई परेशानी न हो। ग्रामीण हिरणों को बड़े दुलार के साथ रखते थे। अब महज 100 के करीब ही हिरण बचे हैं।
हिरण शिकार में चार मामले दर्ज किए, 9 आरोपी गिरफ्तार
वन विभाग डीएफओ सविता दहिया ने बताया कि रेंजर चंद्रप्रकाश कोशिक, जगदीश विश्नोई, फोरेस्ट गार्ड त्रिलोक सिंह, प्रियंका चौधरी, प्रेमाराम, प्रकाश कोचरा की टीम ने हिरण शिकार मामले में गैंग के मास्टरमाइंड बाड़मेर के धोरीमन्ना में मांगता निवासी आईदान पुत्र उतमाराम, उसके साथी उडासर निवासी गुलाबराम पुत्र भेराराम भील, वहीं के आम्बाराम पुत्र कुम्पाराम भील, अन्नाराम पुत्र नरसिंगराम, बरजंगाराम पुत्र भूराराम, पूसाराम पुत्र मंगलाराम भील सहित 9 आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
बाड़मेर जिले में चिंकारा हिरणों की संख्या
वर्ष 2022 में 193
वर्ष 2024 में 1548
धोरीमन्न इलाके में चिंकारा हिरणों की संख्या
वर्ष 2022 में 22
वर्ष 2024 में 457
5 अगस्त की सुबह मृत मिले थे हिरण
बाड़मेर के लीलसर के पास दो धोरों की पाल है। इसके नजदीक किसी का घर नहीं है। शिकारी यहां रात के समय विचरण करने वाले हिरणों का शिकार करते हैं। 5 अगस्त की सुबह 3 हिरण एक जगह और 4 हिरण दूसरी जगह पैर बंधे हुए मिले थे। एक हिरण के बाल, सींग और मांस मिला था। कुल 10 हिरणों का शिकार किया गया था। इसके बाद वन विभाग की टीम ने हिरण का शिकार करने वाली गैंग के मास्टरमाइंड सहित 9 साथियों को गिरफ्तार किया था। गैंग के अन्य चार फरार शिकारियों की तलाश की जा रही है।