चूरू : ‘जिस इंसान को ये बच्चा मिले तो इसको अनाथालय में छोड़ दें, भगवान आपका भला करेगा। इसका दुनिया में कोई नहीं है। आप ही इसके भगवान है।’ कागज के टुकड़े पर अपनों ने ही यह लिखकर 3 साल के मासूम को ट्रेन में छोड़ दिया।
ट्रेन चूरू स्टेशन पर पहुंची तो RPF जवानों को बच्चा मिला। उन्होंने चाइल्ड हेल्पलाइन को सूचना दी। मामला मंगलवार सुबह साढ़े 4 बजे का दिल्ली-बीकानेर एक्सप्रेस ट्रेन का है। बच्चे के बैग में दो जोड़ी कपड़े, बिस्किट और दो चिप्स के पैकेट मिले।
चाइल्ड हेल्पलाइन के परियोजना अधिकारी पन्ने सिंह ने बताया कि मासूम काउंसलिंग के लायक नहीं था। उससे पूछताछ की गई तो उसने अपना नाम अंकित और पिता का नाम मनोज बताया। वह बिहार का रहने वाला है। उसके पिता चाय की शॉप करते हैं।
बच्चे को यह नहीं पता कि उसे कब और कैसे ट्रेन में बैठा दिया गया है। उसके पास बैग भी मिला है, जिसमें उसके दो जोड़ी कपडे़, बिस्किट, चिप्स मिली है। जब बच्चे हेल्पलाइन सेंटर लाया गया तो वह वहां मौजूद कर्मचारियाें के साथ खेलने लग गया।
उन्होंने बताया कि बच्चा अपने बारे में ज्यादा नहीं बता पा रहा है। उसका मेडिकल करवाकर बाल कल्याण समिति के समक्ष पेश किया गया है। जहां से उसे नंद गृह में भेजा गया है।
साइकिल खोने पर मां-बाप ने पीटा तो घर से निकला 13 साल का नाबालिग
साइकिल कहीं खो गई तो माता-पिता ने पीटा। इससे नाराज होकर 13 साल का बच्चा ट्रेन में बैठकर मंगलवार को चूरू पहुंच गया। डीटीओ ऑफिस के पास मंगलवार सुबह लावारिस हालत में घूमते हुए मिलने पर चाइल्ड हेल्पलाइन की टीम ने नाबालिग को संप्रेषण गृह भिजवाया। नाबालिग गुजरात के पाटण का रहने वाला है।
चाइल्ड हेल्पलाइन की काउंसलर वर्षा कंवर ने पूछताछ की तो बच्चे ने पिता का नाम प्रकाश भाई बताया। बच्चे ने बताया कि उसके पास छोटी साइकिल थी। वह साइकिल कहीं खो गई तो माता-पिता ने उसके साथ मारपीट की। नाराज होकर वह घर से निकल गया और पाटण से ट्रेन में बैठकर जोधपुर और वहां से चूरू पहुंच गया।