शहीद सितेंद्र का सैन्य सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार:पैतृक गांव डांगर तक निकलेगी तिरंगा यात्रा; INS-ब्रह्मपुत्र में आग लगने से हुए शहीद
शहीद सितेंद्र का सैन्य सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार:पैतृक गांव डांगर तक निकलेगी तिरंगा यात्रा; INS-ब्रह्मपुत्र में आग लगने से हुए शहीद

पिलानी (झुंझुनूं) : मुंबई में भारतीय नौ सेना के शिप आईएनएस ब्रह्मपुत्र में लगी आग में जलने से शहीद हुए जवान सितेंद्र सिंह सांखला (23) की पार्थिव देह आज पैतृक गांव डांगर पहुंचेगी। यहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। इससे पहले शहीद के सम्मान में तिरंगा यात्रा निकाली जाएगी।
बुधवार शाम को पार्थिव देह दिल्ली पहुंची। पार्थिव देह के साथ उनके पिता पूरण सिंह सांखला मौजूद है। नौसेना के दिल्ली हेडक्वार्टर में सुबह सलामी दी जाएगी। इसके बाद दिल्ली से सड़क मार्ग से पार्थिव देह चिड़ावा से दो किलोमीटर पहले अडूका पहुंचेगी आएगी। यहां से तिरंगा यात्रा निकलेगी और सूरजगढ़ तहसील के डांगर गांव पहुंचेगी।

शव ढूंढने में 48 घंटे से ज्यादा लगे
सितेंद्र सिंह सांखला के चाचा पवन सिंह सांखला ने बताया- रविवार 21 जुलाई को आईएनएस ब्रह्मपुत्र के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद अगले दिन नेवी के अधिकारियों ने सूचना दी कि दुर्घटना के बाद से ही सितेंद्र लापता है। उसकी तलाश की जा रही है। बुधवार 24 जुलाई को तड़के 3 बजे सितेंद्र का शव नेवी के गोताखोरों ने निकाला।

भाई से कहा था- घर बात कर लेना, अब मैं बात नहीं कर पाउंगा
शहीद के भाई मनेंद्र ने बताया कि रविवार रात को भाई सितेंद्र से आखिरी बार बात हुई थी। तब उसने कहा था कि जहाज पर आग लग गई है। तू घर पर बात कर लेना। अब मैं बात नहीं कर पाऊंगा। क्या पता था कि उसके इन शब्दों के साथ ही जिंदगी भर उसके बिना रहना पड़ेगा।
हादसे के वक्त 300 अधिकारी मौजूद थे
बता दें कि आग लगने की घटना के बाद आईएनएस ब्रह्मपुत्र एक तरफ झुक गया था। जहाज पर लगी आग को 16 घंटे बाद बुझाया जा सका था। जिस वक्त हादसा हुआ, तब आईएनएस ब्रह्मपुत्र पर लगभग 300 अधिकारी और अन्य कर्मचारी मौजूद थे। सभी को सुरक्षित निकाल लिया गया लेकिन सितेंद्र लापता था।

तीन महीने पहले हुई थी चचेरे भाई की मौत
डांगर गांव के मधुप सिंह ने बताया- सितेंद्र सिंह सांखला 2018 में नेवी में नाविक के पद पर भर्ती हुए थे। अभी 3 महीने पहले मार्च में ही चचेरे भाई की हादसे में मौत के बाद सितेंद्र गांव आकर गए थे। उनके परिवार में पिता पूर्ण सिंह और माता प्रेम देवी हैं, जो कि गांव में ही रहते हैं। आजीविका खेती-बाड़ी पर निर्भर है। सितेंद्र का एक बड़ा भाई मनेन्द्र सिंह (25) है, जो जोधपुर में निजी शिक्षण संस्था में शिक्षक है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है।