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BJP विधायक ने विधानसभा में लव-मैरिज पर सवाल उठाया:बोले- बेटी के पैरों में मां-बाप को रोते देख बुरा लगता है, बच्ची पहचानती तक नहीं है


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BJP विधायक ने विधानसभा में लव-मैरिज पर सवाल उठाया:बोले- बेटी के पैरों में मां-बाप को रोते देख बुरा लगता है, बच्ची पहचानती तक नहीं है

BJP विधायक ने विधानसभा में लव-मैरिज पर सवाल उठाया:बोले- बेटी के पैरों में मां-बाप को रोते देख बुरा लगता है, बच्ची पहचानती तक नहीं है

पाली : पाली-मारवाड़ जंक्शन विधायक केसाराम चौधरी ने शुक्रवार को पर्ची के माध्यम से विधानसभा में अनूठा मामला उठाया। मामला था- माता-पिता को बताए बिना प्रेम विवाह करने का था। विधायक ने ऐसे मामलों में माता-पिता का दर्द बताते हुए कहा कि ऐसी घटनाएं रोकने के लिए कानून में संशोधन जरूरी है।

बेबस माता-पिता कई बार बेटी के पैरों में गिरकर रोते हुए गिड़गिड़ाने पर मजबूर हो जाते हैं और बेटी पहचानने से ही इनकार कर देती है। उन्होंने 4 थानों में दो साल में दर्ज मुकदमों की जानकारी देते हुए कहा कि अंदाजा लगा सकते है पूरे प्रदेश में कितने मुकदमे दर्ज होते होंगे।

पिता को भी नहीं पहचानती है बेटी- विधायक

उन्होंने कहा कि सुखद दांपत्य जीवन के लिए माता-पिता अपने जीवन की सारी कमाई दांव पर लगा देता है। लेकिन उस समय उसके अरमान चूर-चूर हो जाते हैं जब उसको पता चलता है कि मेरी पुत्री किसी के साथ भाग गई है। परिवार को इस बात का पता चलता है तो पूरा परिवार सदमे में आ जाता है।

कितने मां-बाप ने अपनी जीवन लीला खत्म कर दी होगी। न्यायालय में बच्ची से पूछा जाता है और पिता कहता है बेटी में तेरा पिता हूं, तो बच्ची कहती है मैं आपको नहीं पहचानती हूं, आप कौन हैं? मेरे लिए उनके यह वचन सुनकर मां-बाप रोते बिलखते बच्ची के पैर पकड़ते हैं, लेकिन बच्ची टस से मस नहीं होती। और यही कहती है कि मैं आपको पहचानती नहीं हूं।

गुजरात में बने कानून की तर्ज पर कोई व्यवस्था हो – केसाराम

मैं आप सबसे अनुरोध करता हूं कि इस विषय में पक्ष-विपक्ष मिलकर ऐसे कानून में संशोधन करें। पुलिस भी परेशान रहती है। कोर्ट भी परेशानी में डालते हैं। ऐसी सूरत में हम सभी ​मिलकर इस विषय पर चिंतन कर कोई न कोई कानून ऐसा लाएं कि मां-बाप की बिना स्वीकृति के वह बच्ची अपनी मर्जी से किसी के साथ नहीं भागे।

पूरे प्रदेश में इतनी घटनाएं हो रही हैं । अब तो कोई सीमा नहीं रह गई। इसलिए प्रत्येक मां-बाप के लिए इस कानून का संशोधन किया जाए। ऐसा ही कानून गुजरात में भी बना है। उसकी तर्ज पर हमें भी ऐसी व्यवस्था करें ताकि बच्चियों, परिवार को संबल मिले।

चार केस, बेटी ने माता-पिता को पहचनाने से इनकार किया

केस 1 : पाली शहर में एक युवती ने परिजनों को बिना बताए शादी कर ली। मां-बाप ने पुलिस के सामने युवती से हाथा-जोड़ी की, युवती के पैर पकड़े, मां का रो रोकर बुरा हाल हो गया, लेकिन इसके बाद भी युवती नहीं मानी। इससे आहत होकर मां-बाप ने दोनों ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी।

केस 2 : रानी क्षेत्र में एक युवती ने दूसरे राज्य के लड़के साथ शादी कर ली। शिकायत पर पुलिस पकड़ लेकर आई। माता-पिता ने युवती के पैर पकड़े, लेकिन युवती नहीं मानी, मां का इतना बड़ा सदमा लगा की वो बेहोश हो गई। जो करीब 10 से 15 दिन तक हॉस्पिटल में भर्ती रही।

केस 3 : भीलवाड़ा जिले में एक युवती प्रेमी के साथ भाग गई। इस बात से आहत होकर माता-पिता ने युवती को परिवार के लिए मरा हुआ मानकर अंतिम संस्कार की रस्में निभाकर हमेशा-हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया।

केस 4 : निकुंभ क्षेत्र में एक विवाहित लड़की अविवाहित युवक के साथ चली गई। बाप बेटी को घर लौट आने की गुहार लगाते रहे, लेकिन उसने माता-पिता को पहचानने से मना कर दिया।

स्पीकर देवनानी बोले- मामला गंभीर

इस पर विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने कहा- सरकार भी इस पर विचार करे। जो हर घर परिवार की एक सच्चाई है। मां-बाप बेटी लाड़-प्यार से लालन-पालन करता है। उसकी पढ़ाई-लिखाई करवाता है। अरमान सजाता है मेरी बेटी उच्च शिक्षा प्राप्त कर उच्च पद पर पदासीन होगी।

क्या कहता है कानून

राजस्थान हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट एके जैन ने कहा- आर्टिकल 19 के तहत मिले अधिकारों और मौजूदा कानून के तहत 18 साल की लड़की और 21 साल का युवक मर्जी से शादी कर सकते हैं। हालांकि, समाज में इस मुद्दे पर बहस जरूर होती रहती है।

मारवाड़ जंक्शन विधायक की तरह गुजरात में भी यह मांग उठ चुकी है कि प्रेम विवाह में माता-पिता की सहमति पूछी जाए। बालिग हो चुके लड़के-लड़की मर्जी से शादी के लिए स्वतंत्र बालिग हो चुके लड़की या लड़का मर्जी से पसंद की शादी के लिए स्वतंत्र हैं।

हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 5 के तहत कुछ प्रावधान हैं, लेकिन ऐसा एक भी नहीं है, जिसमें माता-पिता का हस्तक्षेप या उनकी सहमति का कोई मायने रखती है। कई बार ऐसे मामलों में बेटी के रिश्ते से असहमत माता-पिता अपहरण, गुमशुदगी जैसे केस दर्ज करवा देते हैं, लेकिन 164 अब 183 के तहत होने वाले बयान के बाद वो केस भी खत्म हो जाता है।

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