सीकर में सीएसीपी को संवैधानिक दर्जा देने की उठी मांग:किसान नेता बोले- आयोग की सिफारिशों की केंद्रीय कैबिनेट व संसद में चर्चा हो
सीकर में सीएसीपी को संवैधानिक दर्जा देने की उठी मांग:किसान नेता बोले- आयोग की सिफारिशों की केंद्रीय कैबिनेट व संसद में चर्चा हो

सीकर : भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की सीकर जिला इकाई की ओर से केंद्रीय कृषि एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) को संवैधानिक दर्जा देने सहित अनेक मांगों को लेकर जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंपा। कृषि मंत्री के नाम दिए ज्ञापन में आयोग की सिफारिशों पर केंद्रीय केबिनेट और संसद में चर्चा करवाए जाने, मनरेगा को कृषि से जोड़ने, एमएसपी गारंटी कानून बनाने तथा सीएसीपी के द्वारा कृषि, किसान व देशहित में की गई सभी सिफारिशों को लागू किए जाने की मांग की गई |
किसान यूनियन (टिकैत) के सीकर जिलाध्यक्ष दिनेश सिंह जाखड़ ने बताया कि कृषि एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) भारत सरकार के कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्य करने वाली एजेंसी है। जिसका प्रमुख कार्य भारत में उगाई जाने वाली फसलों में से 23 अधिसूचित फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करना है।
कृषि एवं मूल्य आयोग प्रत्येक वर्ष रबी और खरीफ सीजन की फसलों की एमएसपी तय करने के लिए देश के प्रमुख किसान संगठनों, किसान नेताओं, कृषि अधिकारियों, प्रगतिशील किसानों समेत तमाम स्टेट होल्डर के साथ मीटिंग आयोजित करता है और मीटिंग में मिले सुझावों के बाद गणना करके फसलों की एमएसपी निर्धारित करता है। निर्धारित की गई एमएसपी को लागू करवाने की सिफारिश को आयोग एक रिपोर्ट के तौर पर कृषि मंत्रालय को देता है। कृषि मंत्रालय यह रिपोर्ट केंद्रीय केबिनेट के पास भेजता है।
जाखड़ ने बताया कि आयोग (सीएसीपी) की भूमिका सिर्फ फसलों की एमएसपी तय करने तक ही सीमित नहीं है। बल्कि आयोग अपनी रिपोर्ट में कृषि लागत, कृषि नीतियां, उपज खरीद, कृषि उपजों का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट संबंधी नीतियों पर भी अपने सुझाव देता है। इन्हीं के तहत केन्द्रीय कृषि एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) द्वारा एमएसपी गारंटी कानून बनाने, मनरेगा को कृषि से जोड़ने सहित कृषि व किसान हित की अनेकों सिफारिशें की गई हैं। वर्ष 2015, 2016 और 2017 की अपनी रिपोर्ट में आयोग (सीएसीपी) ने फसलों की सही कीमत नहीं मिलने पर फसल बेचने से होने वाले नुकसान से किसानों को बचाने के लिए देश में एमएसपी गारंटी कानून बनाने की सिफारिश की थी। लेकिन विडम्बना है कि भारत सरकार ने अब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बनाया और ना ही आयोग की अन्य सिफारिशों पर केन्द्रीय मंत्रीमण्डल की केबिनेट और संसद में चर्चा की गई है |
जाखड़ ने बताया कि इसीलिए देश के किसान यह सवाल पूछ रहे हैं कि कृषि एवं मूल्य आयोग की सिफारिशों पर अभी तक किसान हित व देश हित में फैसले क्यों नहीं हुए हैं ? यह सवाल और इसका उत्तर बेहद जरूरी है। देश के किसानों की मांगों के समर्थन में भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) की सीकर जिला इकाई ने केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का ध्यान आकर्षित करने के लिए यह ज्ञापन भिजवाया है।