JEE स्टूडेंट ने रोशनदान से फंदा लगाकर किया सुसाइड:बिहार के मोतिहारी का निवासी था; PG में रहकर कर रहा था तैयारी
JEE स्टूडेंट ने रोशनदान से फंदा लगाकर किया सुसाइड:बिहार के मोतिहारी का निवासी था; PG में रहकर कर रहा था तैयारी

कोटा : कोटा के महावीर नगर थाना इलाके में एक और कोचिंग छात्र ने फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। छात्र कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहा था। पुलिस ने शव को पोस्टमॉर्टम रूम में रखवाया है। फिलहाल पुलिस मामले में जांच की बात कह रही है।
महावीर नगर थाने के एसएचओ महेन्द्र मारू ने बताया- शनिवार रात 10 बजे कंट्रोल रूम से एक छात्र के सुसाइड की जानकारी मिली थी। इसके बाद मौके पर पहुंचे।
मामले के अनुसार बिहार के मोतिहारी निवासी 17 साल का छात्र आयुष कोटा में रहकर जेईई की तैयारी कर रहा था। वह महावीर नगर इलाके में सम्राट चौक के पास एक पीजी में रह रहा था। शनिवार रात तक वह कमरे से बाहर नहीं आया।

इस पर उसके साथियों ने दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। महावीर नगर थानाधिकारी महेन्द्र मारू के अनुसार छात्र के दरवाजा नहीं खोलने पर पीजी संचालक ने पुलिस को जानकारी दी। जानकारी मिलने पर महावीर नगर पुलिस मौके पर पहुंची। जहां पीजी में कमरे का दरवाजा तोडा।
अंदर स्टूडेंट फंदे पर रोशनदान में मिला। पुलिस ने उसे उतारकर न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
मामले में महावीर नगर एसएचओ महेन्द्र मारू के अनुसार कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। स्टूडेंट जेईई की तैयारी कर रहा था। उसके घरवालों के आने के बाद ही और ज्यादा जानकारी सामने आ सकेगी। पुलिस के अनुसार मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।
कोटा में नहीं थम रहे सुसाइड केस
सरकारी डेटा के अनुसार भारत में साल 2021 में सबसे ज्यादा 13,000 सुसाइड हुए हैं। ये साल 2020 के डेटा से 4.5% ज्यादा हैं। इसके साथ ही पिछले साल यानी 2023 में 29 स्टूडेंट्स ने कोटा में सुसाइड किया था, जो कि 10 सालों में सबसे ज्यादा है।
कमेटी ने बताए थे सुसाइड के कारण
कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड मामलों को लेकर राजस्थान सरकार ने 20 अक्टूबर 2023 को एक कमेटी बनाई थी। कमेटी ने स्टूडेंट्स के सुसाइड करने के कई प्रमुख कारण बताए थे।
- कॉम्पिटिटिव एग्जाम में एक-दूसरे से आगे निकलने की होड़ और अच्छी रैंक लाने का प्रेशर।
- कोचिंग के प्रैक्टिस टेस्ट में अच्छा परफॉर्म न कर पाने से होने वाली निराशा।
- बच्चों की योग्यता, रुचि और क्षमता से ज्यादा पढ़ाई का बोझ और पेरेंट्स की उम्मीदों पर खरा उतरने का प्रेशर।
- टीनएज में होने वाले मानसिक और शारीरिक बदलाव, परिवार से दूर रहना, काउंसिलिंग और सपोर्ट सिस्टम का अभाव।
- बार-बार होने वाले असेसमेंट टेस्ट और रिजल्ट की चिंता, कम स्कोर करने पर डांट या टिप्पणी सुनना, रिजल्ट के आधार पर बैच बदलने का डर।
- कोचिंग इंस्टीट्यूट का टाइट शेड्यूल, को-करिकुलर एक्टिविटीज न होना और छुट्टियां न मिलना।