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झुंझुनूं : भटकने को मजबूर किसान:किसानों को नहीं मिल रही डीएपी व यूरिया, निकलता जा रहा बुआई का वक्त


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झुंझुनूं : भटकने को मजबूर किसान:किसानों को नहीं मिल रही डीएपी व यूरिया, निकलता जा रहा बुआई का वक्त

भटकने को मजबूर किसान:किसानों को नहीं मिल रही डीएपी व यूरिया, निकलता जा रहा बुआई का वक्त

झुंझुनूं : रबी फसल की बुआई का सीजन चल रहा है। इस वक्त किसानों को सबसे ज्यादा जरूरत डीएपी खाद की है। लेकिन किसी भी क्रय-विक्रय सहकारी समिति व ग्राम सेवा सहकारी समितियों के पास एक बैग डीएपी का नहीं है। ऐसे में किसान भटकने को मजबूर हैं। सरसों, चना, जौ व गेहूं की बुआई के समय डीएपी की जरूरत होती है।

डीएपी नहीं होने पर एसएसपी के साथ यूरिया मिलाकर डाली जाती है। लेकिन दोनों ही नहीं होने के चलते किसान समय पर सरसों व गेहूं की बुआई नहीं कर पाए। अब भी उन्हें डीएपी व यूरिया उपलब्ध कराने में प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। उधर किसान उम्मीद लगाए बैठा है, इधर जिम्मेदार यह कह कर पल्ला झाड़ रहे हैं कि डीएपी व यूरिया की सप्लाई आगे से नहीं आ रही है। जिले में रबी सीजन में आठ हजार मेट्रिक टन डीएपी व 25 हजार मेट्रिक टन से अधिक यूरिया की जरूरत होती है। क्रय-विक्रय सहकारी समिति के महाप्रबंधक धर्मेन्द्र रेपस्वाल ने बताया कि फिलहाल समिति के पास यूरिया और डीएपी उपलब्ध नहीं है। 26 अक्टूबर को 840 बैग आए थे। मांग कर रखी है। 20 लाख रुपए आरटीजीएस भी करा रखे हैं।

450 मेट्रिक टन यूरियां

जिले में दिवाली के बाद यूरिया आई थी। अधिकारियों के मुताबिक 450 मैट्रिक टन यूरिया पहुंची थी लेकिन वह कब की ही उठ चुकी है। इसमें से झुंझुनूं क्रय-विक्रय सहकारी समिति को 26 अक्टूबर को 840 बैग मिले थे।

अब बढ़ेगी डिमांड

जिले के कई खेतों में सरसों व चने की बुआई की जा चुकी है और आने वाले कुछ ही दिनों में किसानों को सरसों में यूरिया की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में जिले में यूरिया की डिमांड बढ़ेगी। वर्तमान में जिले की एक-दो सहकारी समितियों के पास नाममात्र के बैग को छोड़कर यूरिया नहीं है।

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