पुलिस या प्रशासन को तत्काल दें बाल विवाह की सूचना
पुलिस या प्रशासन को तत्काल दें बाल विवाह की सूचना

चूरू : महिला अधिकारिता विभाग, चूरू की ओर से घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 एवं बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 को लेकर जागरुकता के क्रम में उपनिदेशक कार्यालय परिसर में गुरुवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला को संबोधित करते हुए उप निदेशक विप्लव न्यौला ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 नाबालिग लड़के व लड़की की शादी पर रोक लगाने का कानून है। बाल विवाह की स्थिति में न केवल माता-पिता, अपितु बाल विवाह में किसी भी रूप में शामिल होने वाले तथा सहयोग करने वाले व्यक्तियों पर कानूनी कार्यवाही का प्रावधान है। बाल विवाह की सूचना मिलने पर कोई भी व्यक्ति निकटतम पुलिस थाने में सूचना दे सकता है या महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र पर शिकायत कर सकता है। बाल विवाह समाज के लिए एक अभिशाप है। बाल विवाह गैर कानूनी है, बाल विवाह करने वालों एवं करवाने वालों के लिए सजा का प्रावधान है।
संरक्षण अधिकारी जयप्रकाश ने बताया कि घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 2005 महिलाओं के साथ घर में होने वाली हिंसा को रोकने के लिए है। घरेलू हिंसा संरक्षण अधिनियम 26 अक्टूबर, 2006 से लागू है। आमतौर पर देखा जाता है कि सबसे ज्यादा हिंसा महिला के साथ घर में ही होती है। महिलाओं के शारीरिक, मानसिक, मौखिक व भावनात्मक, आर्थिक शोषण एवं यौनिक हिंसा (शादी से पहले, शादी के बाद) पर नियंत्रण के लिए यह कानून बनाया गया है। यह कानून महिला का हक सुरक्षित रखने के लिए बना है।
जेण्डर स्पेशलिस्ट ज्ञान प्रकाश ने बताया कि महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध एवं प्रतितोष) अधिनियम, 2013 लागू किया गया था। इस कानून का मकसद महिलाओं के लिए काम करने वाली जगहों का माहौल सुरक्षित बनाकर उन्हें रोजगार के समान अवसर देना है तथा यह तय करना है कि काम करने वाली जगहों पर महिलाएं शोषण का शिकार ना हों। इस मौके पर कृष्णा, पूजा, शकुन्तला, संगीता, अंकिता, सुशीला, निशा सहित समस्त सुपरवाईजर, महिला सुरक्षा एवं सलाह केन्द्र की समस्त परामर्शदाता व वन स्टॉप सेन्टर से भूपेन्द्र सिंह आदि मौजूद रहे। इस दौरान कार्यशाला के समापन पर सभी अधिकारियों, कर्मचारियों ने बाल विवाह रोकथाम की शपथ ली।