कोटा के हॉस्टल में मात्र 3 दिन रही थी छात्रा:रूम खाली करने से पहले मां से कराई बात; MP की लड़की के अपहरणकांड में चौंकाने वाला खुलासा
कोटा के हॉस्टल में मात्र 3 दिन रही थी छात्रा:रूम खाली करने से पहले मां से कराई बात; MP की लड़की के अपहरणकांड में चौंकाने वाला खुलासा

कोटा : कोटा में इंदौर की रहने वाली छात्रा के झूठे किडनैपिंग केस में नई बात सामने आई है। छात्रा ने कोटा आने के 6 महीने पहले ही यहां से इंदौर जाने की प्लानिंग कर ली थी। हालांकि किडनैपिंग और फिरौती उसकी झूठी कहानी का हिस्सा नहीं था। ये बाद में जोड़ा गया था।

जांच में सामने आया था कि छात्रा 3 दिन कोटा के एक हॉस्टल में रही थी, लेकिन परिजनों के बताए हॉस्टल में उसका रिकॉर्ड नहीं मिला था। अब उस हॉस्टल का पता पुलिस को चल गया है, जहां छात्रा रही थी। उस हॉस्टल की जानकारी पुलिस ने अभी गोपनीय रखा है। संचालक ने पुलिस को बताया कि छात्रा ने हॉस्टल खाली करने से पहले अपनी मां से बात करवाई थी। मां के कहने पर ही उसे हॉस्टल से जाने दिया था।

छात्रा और उसका दोस्त अब भी फरार
शिवपुरी (MP) के बैराड़ की रहने वाली काव्या धाकड़ (20) पुत्री रघुवीर धाकड़ के अपहरण का मामला 19 मार्च को कोटा के विज्ञान नगर थाने में दर्ज करवाया गया था। कोटा पुलिस की टीम इंदौर भी गई थी। तब छात्रा के एक दोस्त के जरिए खुलासा हुआ था कि उसने विदेश में पढ़ने के लिए अपने अपहरण की झूठी साजिश रची थी। उसका एक दोस्त हर्षित भी इसमें शामिल था। पुलिस टीम दोनों की तलाश कर रही है।
हॉस्टल संचालकों ने अपने रिकॉर्ड खंगाले तो सच्चाई सामने आई
पुलिस पूछताछ में घरवालों ने बेटी के पारस हॉस्टल में रहने की बात कही थी। जांच में इस हॉस्टल में उसका कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। मामला सामने आने के बाद कोटा के दूसरे हॉस्टल संचालक भी आश्चर्य में थे। पुलिस भी लगातार पता कर रही थी कि आखिर छात्रा कोटा में किस हॉस्टल में रही। इस बीच हॉस्टल संचालकों ने भी अपने-अपने रिकॉर्ड को खंगाला। तब एक हॉस्टल में छात्रा का रिकॉर्ड मिला। इसके बाद संचालक ने पुलिस को सूचना दी।

मां की बात करवाकर खाली किया था हॉस्टल
नाम न छापने की शर्त पर हॉस्टल संचालक ने बताया- 3 अगस्त 2023 छात्रा काव्या धाकड़ अपनी मां और अपने दो रिश्तेदारों के साथ हमारे हॉस्टल में आई थी। हॉस्टल में रहने के लिए उसका फॉर्म भी भरवाया गया था। छात्रा और उसकी मां ने ढाई हजार रुपए देकर बाकी बाद में देने को कहा था। बेटी को छोड़कर शाम करीब चार बजे कोटा से रवाना हुए थे। इसके बाद 3 दिन (4, 5 और 6 अगस्त) छात्रा हॉस्टल में रही लेकिन वह कोचिंग नहीं जा रही थी। 6 अगस्त को छात्रा ने कहा कि वह हॉस्टल का कमरा खाली करेगी। उसने अपनी मां से भी बात करवाई।
छात्रा की मां ने कहा कि उनकी बेटी को कमरा और हॉस्टल का खाना पसंद नहीं आया। उसने पारस हॉस्टल में कमरा देख लिया है और वहीं जाकर रहेगी। इस पर वार्डन ने उसकी मां से कहा था कि ढाई हजार रुपए आपने दिए है। आपके बिना बात के पैसे लग जाएंगे। इस पर छात्रा की मां ने कहा था कि आप कोई रुपए मत लो, हमारे पास अभी रुपए नहीं है।
इस कारण कोचिंग में भी बेटी का एडमिशन नहीं हो पाया है। रुपयों की वजह से बच्ची नीट की तैयारी नहीं कर पा रही है। इस पर वार्डन ने कहा था कि जो रुपए आपने दिए है, उसके हिसाब से चार-पांच दिन छात्रा को रहने दो ताकि रुपए एडजस्ट हो जाएं। लेकिन मां ने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि छात्रा दूसरे हॉस्टल में जाएगी, उसका कमरा खाली करवा दो।
इसके बाद 6 अगस्त की दोपहर को वापस उसकी मां से बात हुई और शाम करीब 5 बजे छात्रा ने रूम खाली कर दिया था। इसमें वह अंडरटेकिंग देकर गई थी कि मैं हॉस्टल से रूम खाली कर रही हूं।

कोटा में रहने का इरादा नहीं था
मामले में कड़ी से कड़ी जुड़ती रही। जांच में साफ हो गया कि छात्रा का कोटा में रहने का कोई इरादा नहीं था। वह मन बनाकर आई थी कि कोटा में कितने दिन रूकना है। काव्या ने इस पूरे प्रकरण को लेकर कोटा आने से 6 महीने आगे की प्लानिंग कर ली थी। हालांकि इस प्लानिंग में अपहरण की कहानी और फिरौती मांगने की बात नहीं थी। लेकिन कोटा आकर वापस इंदौर जाने की प्लानिंग छात्रा ने कर रखी थी। कोटा से हॉस्टल खाली करने के बाद छात्रा के इंदौर में होने की जानकारी मिली। सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया, जिसमें वह एक हॉस्टल से निकलते हुए अपने दोस्त हर्षित के साथ दिखी थी।

कोटा आने से पहले इंदौर में पढ़ी थी
कोटा आने से एक साल पहले छात्रा ने इंदौर में रहकर ही नीट की तैयारी की थी। ये परिजनों से पूछताछ में साफ हो गया था। इंदौर में उसकी दोस्ती हर्षित और उसके दोस्त से हुई थी। इस दौरान काव्या का किसी अन्य युवकों से विवाद हो गया था। तब घरवालों को हर्षित के बारे में भी पता चला था।
विवाद होने पर पिता काव्या को शिवपुरी लेकर आ गए थे। 6 महीने तक उसे घर पर ही रखा था। छात्रा ने परिवार से आगे पढ़ाई की बात कही और अच्छी पढ़ाई के लिए कोटा जाने की जिद की थी। जिसके बाद घरवालों ने उसे कोटा भेजा था। छात्रा की इस दौरान हर्षित और अन्य दोस्तों से बात होती रहती थी।

हर्षित के दोस्त ने अपहरण को बताया था झूठा
एमपी पुलिस के सूत्रों के अनुसार हर्षित का बृजेन्द्र नाम का दोस्त है, जिसे इस साजिश का पता था। वह खुद 20 मार्च को इंदौर के भंवरकुआ थाने पहुंचा था और बताया था कि कोटा में जिस छात्रा के अपहरण की बातें हो रही है, उसके साथ कोई वारदात नहीं हुई है। छात्रा ने खुद ही अपहरण की कहानी रची है। इसके बाद कोटा पुलिस भी उसे पूछताछ के लिए यहां लेकर आई थी। उससे मिली जानकारी के बाद ही कोटा पुलिस ने खुलासा किया था कि छात्रा का अपहरण नहीं हुआ बल्कि विदेश जाने के लिए उसने यह साजिश रची।
इंदौर के एडिशनल डीसीपी राजेश दंडोतिया ने इस मामले में बताया था कि कोटा के विज्ञाननगर थाने के पुलिस की टीम इंदौर में छात्रा की तलाश कर रही है। एक युवक बृजेन्द्र को पुलिस कोटा लेकर गई थी, जिससे पूछताछ के बाद जो इनपुट मिले उसके आधार पर छात्रा की तलाश की जा रही है।
छात्रा का मोबाइल बंद
कोटा पुलिस की टीम इंदौर में छात्रा की तलाश में जुटी है। उसका मोबाइल भी बंद है। ऐसे में अब उसकी लोकेशन को ट्रेस करने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
दोनों के एमपी से बाहर निकलने की संभावना
कोटा के विज्ञान नगर थानाधिकारी सतीशचंद ने बताया कि उसके दोस्त हर्षित का मोबाइल भी बृजेन्द्र के कमरे पर ही था। हर्षित के एरिया में भी तलाश की जा रही है। छात्रा की लास्ट लोकेशन के आधार पर इंदौर और आस-पास के इलाकों में तलाश की जा रही है।
थानाधिकारी ने बताया कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि वह इंदौर से दूसरे जिले या एमपी से बाहर निकल गए हो, ऐसे में एक टीम इस दिशा में भी काम कर रही है। उज्जैन में भी छात्रा की तलाश की जा रही है। हालांकि अभी छात्रा का पता नहीं लग सका है। वहीं अब छात्रा के पिता ने भी इस मामले में छात्रा के मिलने के बाद ही कुछ कहने की बात कही है।
इंदौर के हॉस्टल के बाहर दिखी थी
इंदौर के भंवरकुआ के भोलाराम उस्ताद मार्ग स्थित दीक्षा हॉस्टल के सामने से एक वीडियो भी आया था। वीडियो में छात्रा काव्या अपने दोस्त के साथ दिखी थी। इसके फुटेज के आने के बाद ही वह इंदौर से चली गई।
बेटी मिलने के बाद ही मैं कुछ कह पाऊंगा: पिता
इंदौर पहुंचे काव्या के पिता का कहना है अभी बेटी का पता नहीं चला है। पुलिस जो कहानी बता रही है, तब तक यकीन नहीं कर सकते, जब तक बेटी नहीं मिल जाए। अब हम भी इंदौर में उसे खोजने आए हैं। पुलिस अपहरण फर्जी बता रही है। हो सकता है बेटी की गलती न हो। उसके मिलने के बाद ही पुलिस को सच्चाई सामने लाना चाहिए थी।