Holi 2024: होली पर ही क्यों बनते हैं ये 3 व्यंजन? जानें क्या है इन्हें बनाने के पीछे की कहानी
Holi 2024: इस साल होली का पर्व 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। होली के दिन विभिन्न तरह के पकवान बनाए जाते हैं, लेकिन इस त्योहार पर खासतौर पर 3 व्यंजन बनाए जाते हैं। आज हम आपको उन्हीं तीनों व्यंजनों के बारे में बताएंगे।
Holi 2024: हिंदू धर्म में होली का बहुत महत्व है। लोग इस दिन आपसी बैर भुलाकर एक दूसरे को रंग लगाते हैं। साथ ही हर्षोल्लास के साथ त्योहार मनाते हैं। इस साल होली का पर्व 25 मार्च 2024 को मनाया जाएगा। होली के दिन रंगों का त्योहार मनाने के साथ-साथ लोग कुछ खास व्यंजन भी घर पर बनाते हैं। आज हम आपको बताएंगे कि होली के दिन खासतौर पर कौन-कौन से प्रसिद्ध व्यंजन बनाए जाते हैं। साथ ही इनसे जुड़ी कहानियों के बारे में भी बताएंगे।
बता दें कि होली के दिन लोग खासतौर पर पकौड़े, गुजिया और ठंडाई बनाते हैं। इन तीनों व्यंजनों को खासतौर पर होली के दिन ही खाया जाता है।
गुजिया
बता दें कि गुजिया सबसे पहले 13वीं शताब्दी में तुर्की में बनाई गई थी। उस समय इसे बकलावा नाम से जाना जाता था, जिसे तेल में फ्राई करने की जगह शहद में डाल कर खाया जाता था। उस समय शहद के अलावा बकलावा को मक्खन में डुबोकर भी खाया जाता था। हालांकि जब इसकी जानकारी उत्तर प्रदेश पहुंची, तो इसे यहां पर शहद और मक्खन की जगह तेल में डीप फ्राई करके बनाया गया। इसलिए आज भी इसे तेल में डीप फ्राई करके बनाया जाता है। वहीं इसके नाम पर भी भारतीय लोगों ने एक्सपेरिमेंट किया और इसे गुजिया का अस्तित्व मिल गया। आज विशेषतौर पर गुजिया को होली पर खाया जाता है।
ठंडाई
बता दें कि ठंडाई एक भारतीय पेय है, जिसे भारत के लोग सदियों से पीते आ रहे हैं। खासतौर पर होली और शिवरात्रि पर इसे पीया जाता है। हालांकि ठंडाई का इतिहास भी बहुत पुराना है। इसमें कई औषधीय गुण होते हैं। इसके अलावा इसे पीने के बाद शरीर को ठंडक पहुंचती है। इसलिए ठंडाई शब्द को ‘ठंडा’ शब्द से ही लिया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सबसे पहले ठंडाई को भगवान शिव को अर्पित किया गया था, जिसके बाद देशभर में इसे पीने का सिलसिला शुरू हो गया। कहा जाता है कि ये देश की सबसे पुरानी ड्रिंक है।
पकौड़े
होली के दिन आलू से लेकर पनीर और गोभी आदि सभी सब्जियों के पकौड़े बनाए जाते हैं। लेकिन क्या आपको इसके इतिहास के बारे में पता है। अगर नहीं, तो आइए जानते हैं। जानकारी के अनुसार, पहले के समय में पकौड़े को ‘परीका’ और ‘पक्कावत’ कहा जाता था। पक्कावत को ‘पक्का’ शब्द यानी ‘पका हुआ’ और ‘वात’ शब्द यानी ‘छोटे टुकड़े’ को जोड़कर बनाया गया है। पहले के समय में इसे ‘तेल में तले हुए पकौड़े’ के नाम से भी जाना जाता था। जानकारों के अनुसार, सबसे पहले मुगलों के शासन काल में पक्कावत को बनाया गया था।