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अमेरिका को चकमा देने के लिए पोकरण को चुना था:50 किलोमीटर में फैली इस रेंज में असली युद्ध का मैदान, आज गरजेंगे राफेल-सुखोई


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अमेरिका को चकमा देने के लिए पोकरण को चुना था:50 किलोमीटर में फैली इस रेंज में असली युद्ध का मैदान, आज गरजेंगे राफेल-सुखोई

अमेरिका को चकमा देने के लिए पोकरण को चुना था:50 किलोमीटर में फैली इस रेंज में असली युद्ध का मैदान, आज गरजेंगे राफेल-सुखोई

जोधपुर/जैसलमेर : भारत-पाकिस्तान बॉर्डर से सटा पोकरण फायरिंग रेंज एक बार फिर चर्चा में है। यहां शनिवार यानी 17 फरवरी को वायु शक्ति एक्सरसाइज होने जा रही है। इससे पहले 14 फरवरी को इसी फायरिंग रेंज में फुल ड्रेस रिहर्सल की गई।

शनिवार को करीब शाम 5 बजे राफेल के सोनिक बूम के साथ ये एक्सरसाइज शुरू होगी। शाम साढ़े सात बजे तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में राफेल-सुखोई समेत 121 लड़ाकू एयर क्राफ्ट अपनी ताकत दिखाएंगे।

लेकिन, रेगिस्तानी इलाके से सटा ये एरिया 1974 में जब चर्चा में आया तक यहां भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया गया था। लेकिन, जब 1998 के परमाणु परीक्षण की बात आई तो अमेरिका ने कई पाबं​दियां लगा दी थीं।

कहा जाता है- अमेरिका को चकमा देने के लिए दूसरी बार पोकरण को चुना गया। दावा किया जाता है कि यहां के रेतीले धोरों और यहां के 50 डिग्री तापमान की वजह से अमेरिका के जासूस सैटलाइट इस परीक्षण को पकड़ नहीं पाए थे।

इसी के बाद से सेना ने इसे अपने कब्जे में लिया और आज ये देश की सबसे बड़ी 50 किलोमीटर में फैली फायरिंग रेंज है, जिसे असली युद्ध स्थल के जैसा बनाया गया है।

फोटो फुल ड्रेस रिहर्सल का है। आसमान में चिनूक भी उड़ान भरते हुए दिखाई दिए थे।
फोटो फुल ड्रेस रिहर्सल का है। आसमान में चिनूक भी उड़ान भरते हुए दिखाई दिए थे।

लोगों की बसावट नहीं थी, इससे पहले परीक्षण के लिए चुना गया था

1974 के परमाणु परीक्षण के लिए पोकरण को इसलिए चुना गया था क्योंकि उस समय यहां लोगों की बसावट नहीं थी। जमीन बंजर थी और यहां पानी भी नहीं था। कहा जाता है कि परमाणु परीक्षण के इस ऑपरेशन को स्माइलिंग बुद्धा नाम दिया गया लेकिन विदेश मंत्रालय ने इसे पोकरण कहा और तब से ये नाम चर्चा में आ गया।

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने रेगिस्तान एरिया और मौसम की वजह से इस ​एरिया को सिलेक्ट किया गया। क्योंकि यहां रेतीले तूफान उठते थे। जानकारों के मुताबिक अमेरिका के जासूसी उपग्रह से नजर बचाने के लिए इस रेगिस्तान को चुना गया। साथ ही 50 डिग्री से ज्यादा टेम्परेचर होने से इंफ्रा रेड सेंसर भी ऐसी गतिविधियां नहीं पकड़ पाते थे।

1998 में हुए सिलसिलेवार परमाणु परीक्षण के बाद इस रेंज को डिफेंस ने रिजर्व रख लिया और इसी के बाद शुरू हुआ यहां हथियारों, मिसाइल के साथ युद्धाभ्यास का सिलसिला।

कॉइस बार स्वदेशी हेलिकॉप्टर प्रचंड को भी शामिल किया गया है।
इस बार स्वदेशी हेलिप्टर प्रचंड को भी शामिल किया गया है।

लाठी में थल व चांधन में वायु सेना करती है अभ्यास

पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज करीब 50 किलोमीटर एरिया में फैली है। रेंज के अलग-अलग स्थानों को अलग-अलग हथियारों के परीक्षण के लिए तैयार कर रखा है। एयरफोर्स जब अपनी ताकत का परिक्षण करती है तब चांधन एरिया का उपयोग करती है।

थल सेना के लिए खेतोलाई, धोलिया व लाठी क्षेत्र हैं। पूरी फायरिंग रेंज को चार भाग में बांटा गया है। जिसमें खेतोलाई क्षेत्र को डबल ए नाम दिया गया है। वहीं धोलिया को बीए व लाखी को सी व चांधन को डी कहा जाता है।

चांधन एरिया लाठी एरिया के बीच करीब 20 किलोमीटर का अंतर है। जैसलमेर से चांधन करीब 45 किलोमीटर की दूरी है। चांधन क्षेत्र हवाई एक्सरसाइज के अनुसार तैयार किया गया है। 20 हजार एकड़ डेजर्ट लैंड पर इस रेंज को तैयार किया गया है।

यहां वायुसेना अपने हथियारों का परीक्षण करती है और हर तीन साल में वायु शक्ति एक्सरसाइज होती है। 20 हजार एकड़ में फैली यह रेंज बंजर भूमि पर स्थित है। एयर एक्सरसाइज में हवा से बम बरसाए जाते हैं।

ये पोकरण फायरिंग रेंज है का वह इलाका है जहां वायु सेना की अभ्यास करती है।
ये पोकरण फायरिंग रेंज है का वह इलाका है जहां वायु सेना की अभ्यास करती है।

वास्तविक रण क्षेत्र, इंटरनेश्नल लेवल की रेंज भी

फायरिंग रेंज में वास्तविक रण क्षेत्र बनाए गए हैं, ताकि युद्धाभ्यास के दौरान असली युद्ध जैसा नजर आए। इसके लिए रेंज में वेपन पिट्स, गन पिट्स, टावर, पॉपिंग अप टारगेट , बड़े रेत के टीले व छोटी पहाड़ी, पानी के नाले, सिम्युलेटर, काल्पनिक आबादी क्षेत्र, मूविंग टारगेट, सैन्य क्षेत्र, आयुध डिपो, हवाई पट्टी सहित कई आधुनिक सुविधाएं है।

इसके साथ ही इंटरनेश्नल लेवल की रेंज में इसे डेवलप किया गया है । यहां रूस, अमेरिका, फ्रांस जैसी बड़ी शक्तियां भारत के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास कर चुकी हैं। सेना को मिले आधुनिक हथियार का आधुनिक प्रशिक्षण इस रेंज में होता है, जिससे सेना मजबूत होती है। थल सेना के बड़े युद्धाभ्यास के लिए यहां काल्पनिक ठिकाने बने हुए है।

फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान अपने टारगेट को अटैक करता हुआ सुखोई।
फुल ड्रेस रिहर्सल के दौरान अपने टारगेट को अटैक करता हुआ सुखोई।

अब तक के प्रमुख परीक्षण

-रक्षा अनुसंधान विकास संगठन की ओर से देश में विकसित तीसरी पीढ़ी की एंटी टेंक गाइड मिसाइल नाग के मॉडर्न वर्जन का परीक्षण।

-ब्रह्मोस मिसाइल- 2 का परीक्षण पोकरण क्षेत्र के 58 किलोमीटर दूर अजासर क्षेत्र में हुआ।

-एम 777 अल्ट्रा लाइट हॉविट्जर्स तोपों का मुख्य परीक्षण। दूसरे चरण के अंतर्गत इन डायरेक्ट फायर का परीक्षण।

-भारतीय सेना ने टी- 90 भीष्म टैंक का परीक्षण।

-वायुसेना की ओर से वायु शक्ति युद्धाभ्यास के तहत फ्रिंट लाइन एयरक्राफ्ट ने ताकत का परीक्षण।

-रेगिस्तान में दुश्मन को घेरकर मारने की नीति को लेकर युद्धाभ्यास।

-पिनाक, स्मर्च व होवित्जर, धनुष, आकाश जैसे युद्ध हथियारों का परीक्षण

-पोकरण फायरिंग रेंज में अर्जुन टैंक के अपग्रेड वर्जन का परीक्षण।

-पोकरण फायरिंग रेंज में अर्जुन टैंक के अपग्रेड वर्जन का परीक्षण।

– पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में स्वदेशी एडवांस टोड आर्टिलरी गन सिस्टम (ATAGS) का परीक्षण किया गया।

– DRDO ने हाल ही में पोकरण में 155×52 ATAGS को BEML के ऑर्मर्ड ट्रक पर लगाकर उसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया।

– स्वदेशी बोफोर्स कहलाई जाने वाली धनुष गन के सफल परीक्षण हुए।

-पिनाका एमके-I रॉकेट सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया।

-टाटा एडवांस डिफेंस सिस्टम लिमिटेड द्वारा निर्मित एएलएस 50 एमनुएशन ड्रोन सिस्टम का पहली बार परीक्षण किया गया।

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