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बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पिता को जेल:20 साल की सजा सुनाई; जज ने फैसले में लिखा- जब पिता के साथ बच्चियां सुरक्षित नहीं तो फिर कहां?


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झुंझुनूंटॉप न्यूज़देशराजस्थान

बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पिता को जेल:20 साल की सजा सुनाई; जज ने फैसले में लिखा- जब पिता के साथ बच्चियां सुरक्षित नहीं तो फिर कहां?

बेटी से दुष्कर्म के आरोपी पिता को जेल:20 साल की सजा सुनाई; जज ने फैसले में लिखा- जब पिता के साथ बच्चियां सुरक्षित नहीं तो फिर कहां?

झुंझुनूं : झुंझुनूं की विशेष न्यायालय ने नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में बच्ची के पिता व उसके सहयोगी को 20 साल की सजा सुनाई है। जज सोनिता पुरोहित ने फैसले में लिखा- बच्चियां अपने पिता के साथ ही सुरक्षित नहीं है तो फिर कहां सुरक्षित हैं। कोर्ट ने आरोपी पिता अब्दुल अजीज व उसके सहयोगी सोनू उर्फ स्मार्ट उर्फ वसीम खां 10 -10 हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है। इसके साथ ही राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम के तहत जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झुंझुनूं को पीड़ित को 4 लाख रुपए की सहायता राशि दिलाने के आदेश दिए हैं।

बच्ची ने हिम्मत दिखाते हुए पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था।
बच्ची ने हिम्मत दिखाते हुए पिता के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया था।

सहयोगी से भी गलत काम करवाता था पिता

मामले के अनुसार वर्ष 2019 में पीड़िता ने अपने पिता व उसके सहयोगी सोनू स्मार्ट उर्फ वसीम खां व देव के खिलाफ मलसीसर थाना में दुष्कर्म करने का मामला दर्ज करवाया था। जिसमें पीड़िता ने बताया था कि उसके पिता अब्दुल अजीज खुद तो उसके साथ गलत करता था। साथ ही अपने सहयोगी वसीम व देव से भी गलत काम करवाता था।

पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। घटना के दौरान अभियुक्त वसीम नाबलिग के कारण मामला किशोर न्याय बोर्ड में चला। उसके बाद मामले को विशेष न्यायालय में ट्रांसर्फर कर दिया। जहां करीब साढे़ चार साल बाद पीड़िता के पक्ष में फैसला आया है।

कोर्ट ने फैसले में लिखा-

विशेष न्यायाधीश सोनिता पुरोहित ने फैसला सुनाते हुए लिखा की अपराध छोटा मोटा नहीं था। पीड़ित के साथ इस अपराध को तब अंजाम दिया गया जब बच्चियां अपनी मां के बिना अपने पिता के साथ रह रही थी। पिता अकेला ही संरक्षक था। अपने घर में पिता ही बच्चों के लिए सुरक्षित माना जाता है, परन्तु जब बच्चियां अपने पिता के साथ ही सुरक्षित नहीं है तो फिर कहा सुरक्षित रह पाएगी। अभियुक्त के कृत्य उसकी मानसिक विकृतियों को दर्शाता है।

ऑफिसर केस स्कीम में हुई जांच

ये मामला केस ऑफिसर स्कीम में चुनिंदा केस में शामिल था। पुलिस के द्वारा नियमित कोट में गवाह के साथ साक्ष्य पेश करवाए गए। प्रभावी मॉनटरिंग की गई थी। पीड़िता की ओर से मामले की पैरवी अभियोजक ओमप्रकाश सैनी ने की।

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