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गणेश्वर, टपकेश्वर और बालेश्वर का होगा विकास:कलेक्टर ने 31 जनवरी तक मंगवाई सर्वे रिपोर्ट, बजट की गणना कर राज्य सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव


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गणेश्वर, टपकेश्वर और बालेश्वर का होगा विकास:कलेक्टर ने 31 जनवरी तक मंगवाई सर्वे रिपोर्ट, बजट की गणना कर राज्य सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव

गणेश्वर, टपकेश्वर और बालेश्वर का होगा विकास:कलेक्टर ने 31 जनवरी तक मंगवाई सर्वे रिपोर्ट, बजट की गणना कर राज्य सरकार को भेजा जाएगा प्रस्ताव

नीमकाथाना : नीमकाथाना जिले में धार्मिक पर्यटन के विकास को लेकर कलेक्ट्रेट सभागार में उच्च स्तरीय अधिकारियों की बैठक हुई। बैठक में पर्यटन विभाग की निदेशक डॉ. रश्मि शर्मा और सचिव राजकुमार वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से जुड़े। बैठक में गणेश्वर, बालेश्वर और टपकेश्वर स्थलों को पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करने को लेकर चर्चा की गई।

जिला कलेक्टर श्रुति भारद्वाज ने संबंधित विभागों के अधिकारियों को आपसी समन्वय से 31 जनवरी तक विस्तृत कार्य योजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने बताया कि कार्य योजना तैयार कर बजट की गणना की जाएगी और जल्द ही प्रस्ताव राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा। कलेक्टर श्रुति भारद्वाज ने बताया कि धार्मिक स्थलों के विकास का रोड मैप तैयार किया जा रहा है। जिसके तहत श्रद्धालुओं के लिए आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा, गणेश्वर में प्राचीन कुंड का जीर्णोद्धार, शौचायलयों का निर्माण, धर्मशालाओं और मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार करवाया जाएगा।

धार्मिक सर्किट के विकास के लिए ड्रोन के द्वारा सर्वे करवाया जाएगा। बैठक में जिला स्तरीय अधिकारी, मंदिर कमेटी के सदस्य, गणेश्वर ग्राम पंचायत के सरपंच सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद रहे ।

पीडब्ल्यूडी, जिला परिषद और ग्राम पंचायत से भी मिलेगा बजट

पीडब्ल्यूडी विभाग, जिला परिषद और स्थानीय ग्राम पंचायत के बजट से भी तीर्थ धाम के विकास में बढ़ावा मिलेगा। पीडब्ल्यूडी विभाग और जिला परिषद के बजट से भी तीर्थ धामों को विकसित किया जाएगा साथ ही ग्राम पंचायत के बजट से सौंदर्यीकरण और शौचालयों का काम होगा।

सावन माह से पहले होंगे सभी तीर्थ धाम विकसित

जिला कलेक्टर ने कहा कि उम्मीद हैं कि सावन माह से सभी तीर्थ धाम विकसित हो जाएंगे। 31 जनवरी तक सर्वे रिपोर्ट मंगवाई हैं। फिर प्लान तैयार किया जाएगा उसके बाद राज्य सरकार को रिपोर्ट भेजी जाएगी। फिर बजट के आधार पर धामों को विकसित किया जाएगा।

पर्यटन बढ़ने से ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार
अगर इन तीर्थ धर्मों को विकसित किया जाता है तो विकास को बढ़ावा मिलेगा। पर्यटन सर्किट बनाकर तैयार हो जाएगा और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु और पर्यटकों के लिए बेहतर सुविधाएं होंगी। वही विकसित तीर्थ धामों से ग्रामीणों को कई प्रकार के रोजगार भी मिलेंगे।

शिव मंदिर में स्थापित शिवलिंग पर प्राकृतिक झरने का पानी एक साफ नाले के माध्यम से आकर गिरता है। यह जलधारा दिन-रात प्रवाहित होती रहती है। प्राचीन किवदंती है कि अत्यंत प्राचीन काल में एक नाग झरने से पानी लाकर रोज शिवजी को चढ़ाता था। इस मंदिर की दीवारों पर सुंदर चित्रांकन किया गया है। गर्म पानी के बहते झरने को झीणवन कहते हैं।

गणेश्वर धाम में देवी देवताओं के कई मंदिर हैं। जिस पहाड़ का यह हिस्सा है, वह खोखला और शास्त्रविदों के अनुसार सुमेरु पर्वत का हिस्सा बताया जाता हैं। मान्यता के मुताबिक ऋषि गालव के आदेश पर राजा रायसलसिंह ने यह गांव बसाकर यहां भगवान गणेश की आराधना की थी। इसी से यह पूरा गांव गणेश्वर कहलाया। गणेश्वर को ताम्रयुगीन सभ्यता का जनक कहा जाता है।

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