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पूर्व महिला जज का FIR के लिए मिन्नतें करते ऑडियो:SHO बोला- मैं सिस्टम का सबसे छोटा पार्ट, वकील बोले- खुद को न्यायपालिका की बॉस समझती थी


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पूर्व महिला जज का FIR के लिए मिन्नतें करते ऑडियो:SHO बोला- मैं सिस्टम का सबसे छोटा पार्ट, वकील बोले- खुद को न्यायपालिका की बॉस समझती थी

पूर्व महिला जज का FIR के लिए मिन्नतें करते ऑडियो:SHO बोला- मैं सिस्टम का सबसे छोटा पार्ट, वकील बोले- खुद को न्यायपालिका की बॉस समझती थी

नागौर : CJI को लेटर लिखकर न्याय की गुहार लगाने वाली नागौर की पूर्व महिला जज एलिजा गुप्ता ने बर्खास्त होने के बाद कोतवाली SHO को FIR दर्ज करने की गुहार लगाई थी। उन्होंने इस कार्रवाई को द्वेषतापूर्ण बताया था।

पूर्व जज ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग भी शेयर की है। उनका दवा है कि ये ऑडियो रिकॉर्डिंग नागौर कोतवाली एसएचओ रमेंद्र हाड़ा और उनके बीच मोबाइल पर हुई बातचीत का है। जिसमें वे FIR दर्ज करवाने के लिए रोते हुए गुजारिश कर रही हैं।

एसएचओ रमेंद्र उन्हें खुद को इस सिस्टम का बहुत छोटा पार्ट बताते हुए इसे अपनी लिमिट्स से बाहर का मामला बता रहे हैं।

पढ़िए- पूर्व महिला जज एलिजा गुप्ता द्वारा हमें शेयर की गई हूबहू ऑडियो रिकॉर्डिंग और मुद्दे पर आरोपों में घिरे वकील पक्ष का क्या कहना है ….

ऑडियो के कुछ अंश

एलिजा गुप्ता की 16 सितंबर 2023 को ACJIM-प्रथम के रूप में नागौर में नियुक्ति हुई थी।
एलिजा गुप्ता की 16 सितंबर 2023 को ACJIM-प्रथम के रूप में नागौर में नियुक्ति हुई थी।

पूर्व जज : हैलो रमेंद्र जी, इतना क्या खौफ हो गया आपको वकीलों का?

रमेंद्र हाड़ा (नागौर कोतवाली एसएचओ) : अरे अरे, नहीं नहीं मैम… मैं ड्राइव कर रहा था और फादर साथ थे उन्हें हॉस्पिटल लेकर आया था मैम उनको

पूर्व जज : आपने मेरे फादर का भी कॉल नहीं उठाया और उन्हें ब्लॉक लिस्ट में डाल दिया है।

रमेंद्र हाड़ा – नहीं नहीं मैम।

पूर्व जज – इतना हमने क्या कर दिया?

रमेंद्र हाड़ा – नहीं नहीं मैम, आप जानती ही हैं कि मेरी क्या लिमिट्स हैं मैम … मैं तो बहुत निचले स्तर का आदमी हूं मैम …मेरे लेवल की ये कोई चीज नहीं है मैम।

पूर्व जज – आपकी पोस्ट पर तो आप ही बैठे हो न।

रमेंद्र हाड़ा – वो तो है मैम

पूर्व जज – आपने ये कहा था कि….आपके इस कारण ने मेरी नौकरी खराब कर दी (रोते हुए)

रमेंद्र हाड़ा – नहीं नहीं मैम …में सिस्टम का बहुत छोटा पार्ट हूं मैम …और हमेशा जो है मैम मैं तो आपका प्रसंशक रहा हूं मैम.. एवं मैं तो सिस्टम का बहुत छोटा पार्ट हूं मैम… अब क्या बोलू आपको मैं ?

महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट एलिजा गुप्ता को राज्य सरकार ने राजस्थान हाई कोर्ट की अनुशंसा पर दो महीने पहले न्यायिक सेवा से मुक्त कर दिया था।

पूर्व जज – तो मेरी FIR क्यों दर्ज नहीं हुई?

रमेंद्र हाड़ा – अब मैम वो तो आपको भी पता है कि क्यों नहीं दर्ज हुई? क्या कारण थे?

पूर्व जज – नहीं मेरे को कुछ पता नहीं है मेरे को तो एपीओ करके उन्होंने वहां बैठा दिया।

रमेंद्र हाड़ा – सर सर ..

पूर्व जज – और अब रात को मेरे को टर्मिनेट कर दिया।

रमेंद्र हाड़ा – जी, अब आप बताए मैम मेरे लिए .. मैं क्या कर सकता हूं? आदेश करें आप

पूर्व जज – मैं तो यहीं चाहूंगी न कि FIR दर्ज हो मेरी।

रमेंद्र हाड़ा – सर सर… अब उसमे ऑलरेडी कॉग्निजेंस ले लिया जा चुका है मैम आपके द्वारा।

पूर्व जज – वो तो कोर्ट मैटर अलग है न मतलब फिर आपका काम क्या है? आपको तो FIR करनी है

रमेंद्र हाड़ा – जी जी जी

पूर्व जज – वो तो कोर्ट देखेगा न… सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट जो भी आगे है यह वो देखेंगे कि क्या होना है और क्या नहीं होना है? आपकी इन्वेस्टिगेशन देखेगी कि आगे केस में क्या होता है? आपका मेन काम क्या होता है कि आप एक FIR तो दर्ज कर ही सकते हो न।

रमेंद्र हाड़ा – जी

पूर्व जज – (सिसकते हुए लम्बी सांस ली) मतलब मैंने तो अपनी नौकरी भी गंवा दी।

रमेंद्र हाड़ा – (थोड़ी देर साइलेंस के बाद) सर सर एक बार मैं बात कर लेता हूं सर अपने जो सीनियर्स हैं और सीओ सर हैं।

पूर्व जज – ठीक है

रमेंद्र हाड़ा – सर सर

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में पूर्व महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट एलिजा गुप्ता ने वकीलों और पुलिस के साथ ही पूरे ज्यूडिशियल सिस्टम पर सवाल उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में पूर्व महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट एलिजा गुप्ता ने वकीलों और पुलिस के साथ ही पूरे ज्यूडिशियल सिस्टम पर सवाल उठाए हैं।

दावा : बर्खास्त होने के बाद का ऑडियो

महिला जज द्वारा उपलब्ध कराया गया ऑडियो 7 अक्टूबर 2023 का बताया जा रहा है। एलिजा गुप्ता को 6 अक्टूबर 2023 को टर्मिनेट कर दिया गया था। हालांकि इसकी पुष्टि के लिए जब हमारी मीडिया टीम ने नगौर के कोतवाली SHO को फोन लगाया तो उन्होंने इस मुद्दे पर बातचीत करने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने इस मामले में बात करने से इनकार कर दिया।

न्यायपालिका में कहीं भी फिट होने वाली पुर्जा नहीं थी एलिजा गुप्ता : एडवोकेट महावीर बिश्नोई

नागौर कोर्ट के एडवोकेट महावीर बिश्नोई ने मीडिया में बयान जारी कर कहा कि एलिजा गुप्ता का पदस्थापन से लेकर डिस्चार्ज ऑफ ड्यूटी तक हमेशा वकीलों के साथ बुरा व्यवहार रहा। अधिवक्ता जब भी उनसे न्याय मांगने गए तो गलत तरीके से उनका अपमान करना, कलंकित भाषा का इस्तेमाल करना और डायस पर बैठकर न्यायिक शुचिता के विरुद्ध कार्य करने का ही उनका स्वभाव रहा। उन्होंने जानबूझकर न्यायिक प्रक्रिया को दूषित करने के क्रम में दावे, अदम पैरवी और सिविल दावे खारिज किए।

जयपुर के पास बस्सी में एलिजा गुप्ता की पहली पोस्टिंग थी। यहां भी उनका सीनियर जज के वकील पति के साथ विवाद हुआ था।
जयपुर के पास बस्सी में एलिजा गुप्ता की पहली पोस्टिंग थी। यहां भी उनका सीनियर जज के वकील पति के साथ विवाद हुआ था।

एक्यूज कोर्ट में मौजूद था तो भी उसका जमानत प्राप्ति का हक मारने के लिए जमानत मुचलके जब्त किए और उनको जान बूझकर जेल भेजने का प्रयास किया। जब भी कोई 446 में आया तो उस पर अधिकतम जुर्माना लगाने का प्रयास किया। एमवी एक्ट के मामलों में 15 दिन तक जान बूझकर गाड़ियां नहीं छोड़ती थी। कोई भी अधिवक्ता डायस के पास जाकर न्याय के लिए कहता तो वो तत्काल चालानी गार्ड बुला कर अधिवक्ता को प्रताड़ित करती। उनके विरुद्ध ऑर्डर शीटें ड्रा की जाती और उनको पूरी तरीके से प्रताड़ित करने का काम किया जाता।

जब भी कोई भी अधिवक्ता कोर्ट में सम्पूर्ण ड्रेस में मौजूद होता तो उन्हें आई कार्ड लटकाने के लिए कहती। रोजाना कोर्ट में आने वाले अधिवक्ताओं को कहा गया कि बिना आई कार्ड एंट्री नहीं होगी। जैसे ही उसे आई कार्ड बताया जाता तो वो उसकी कॉपी लेकर हाईकोर्ट और हायर अथॉरिटी को उस कार्ड के आधार पर अधिवक्ता की शिकायत कर देती।

ऐसे में एलिजा गुप्ता के व्यवहार से प्रताड़ित होकर हमारा एक डिटेल प्रजेंटेशन जिला अधिवक्ता संघ को भेजा गया। जिला अधिवक्ता संघ ने इसकी जांच कर अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को भेजी। बाद में ये शिकायतें डीजे साहब और हमारे इंस्पेक्टिंग जज को भी गई। इसके बाद इंस्पेक्टिंग जज नागौर आए। उन्होंने भी एलिजा गुप्ता को समझाया।

एलिजा गुप्ता मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं।
एलिजा गुप्ता मूल रूप से दिल्ली की रहने वाली हैं।

खुद को समझती थी न्यायपालिका की बॉस

इतना होने के बावजूद इसके दिमाग के अंदर ये गलतफहमी पैदा हो गई कि मैं सर्वोच्च हूं, और मैं ही न्यायपालिका की बॉस हूं। इसी के चलते इन्होने हर अधिवक्ता को अपमानित करने का प्रयास किया। राजस्थान की न्यायपालिका और अवाम को कलंकित करने के लिए ट्विटर (अब X) पर पोस्ट कर लिखा कि- राजस्थान में महिला न्यायिक अधिकारी सेफ नहीं हैं। अगर न्यायपालिका में रहते हुए एक महिला जज ने राजस्थान और न्यायपालिका की अस्मिता को गिराने वाली बात की तो राजस्थान ज्यूडिशियरी और सुप्रीम कोर्ट ज्यूडिशियरी ने इस पर बड़ा सीरियस नॉट लिया।

इसके बाद डिटेल जांच करके इसको डिस्चार्ज ऑफ़ ड्यूटी किया। जो इसी की हकदार थी। वे न्यायपालिका के अंदर कहीं पर भी फिट होने वाला पुर्जा नहीं थी। ये न्यायपालिका के अंदर अपना ईगो सेटिसफाई करने के लिए आई थीं। इसका कतई उद्देश्य न्याय डिलीवर करने का नहीं था। हमेशा ही इनका व्यवहार पुलिस, एडवोकेट्स और सीनियर्स के अलावा जो कोई भी इसे समझाने का प्रयास करता ये उसी के खिलाफ आरोप जड़ देती। यही कारण है कि इसने ऑनरेबल से लेकर कांस्टेबल तक पर एलिगेशन लगाए हैं।

अब कल को कोई बड़ी बात नहीं जब ये सुप्रीम कोर्ट पर भी आरोप लगा दे कि ये भी वकीलों से मिले हुए हैं। तो अब इसको क्या विदेश में न्याय मिलेगा? आप सिस्टम में रहते हुए न्याय अकॉर्डिंग टू लॉ ही ले सकते हैं। वो तो इन्हें लेना है नहीं। अपने ईगो सेटिस्फेक्शन के लिए सभी को परेशान करना है।

नागौर में विवाद की शुरुआत कैसे हुई?….पढ़िए- पूर्व महिला जज का पूरा इंटरव्यू

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