‘फर्जी’ वेबसीरीज देख खोला नकली नोट छापने का कारखाना:सरकारी नौकरी नहीं लगी तो ढूंढा अमीर बनने का शॉर्टकट, 50 लाख के नोट छापे
‘फर्जी’ वेबसीरीज देख खोला नकली नोट छापने का कारखाना:सरकारी नौकरी नहीं लगी तो ढूंढा अमीर बनने का शॉर्टकट, 50 लाख के नोट छापे

नागौर : नागौर के एक युवक की 7 साल कोशिशों के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं लगी तो उसने नकली नोट छापने का कारखाना शुरू कर दिया। आरोपी ने 6 महीने में 50 लाख के नकली नोट छाप दिए। नकली नोट छापने का आइडिया मिला, इसी साल आई शाहिद कपूर की वेब सीरीज ‘फर्जी’ से।
अपने साथियों के साथ नागौर का मास्टरमाइंड राजस्थान, दिल्ली सहित पूरे देश में ये नकली नोट सप्लाई कर रहा था। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने इस गैंग का खुलासा किया है। गिरफ्त में आए 5 आरोपी अजमेर में किराए के मकान में नकली नोट छापने का कारखाना चला रहे थे। मीडिया ने मामले में पड़ताल कर जाना कि ये गैंग कैसे ऑपरेट कर रहा था और इतने समय तक पुलिस को भनक कैसे नहीं लगी।
पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

मास्टरमाइंड शकूर : वेब सीरीज ‘फर्जी’ देखने के बाद बनाया प्लान
गिरोह का मास्टरमाइंड नागौर के भैरुन्दा का रहने वाला 25 साल का शकूर मोहम्मद है। बीए पास शकूर पेंटर का काम करता है। उसके पिता दिलदार मोहम्मद किसान हैं। साल 2015-16 में कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी के लिए वो अजमेर आया था। सात साल की कोशिशों के बाद भी सरकारी नौकरी के लिए उसका सिलेक्शन नहीं हुआ। उसके बाद वो अलग-अलग काम करता रहा, लेकिन इसी साल रिलीज हुई शाहिद कपूर की वेब सीरीज ‘फर्जी’ देखने के बाद उसे नकली नोट छापकर जल्दी अमीर बनने का आइडिया आया।
उसने अपने साथी राधे और शिवलाल गोदारा को ये आइडिया बताया। तीनों ने मिलकर नकली नोट छापने का कारखाना लगाने का फैसला कर लिया। तीनों ने इसके लिए अजमेर के पंचशील नगर के गणेश ग्वाड़ी में एक मकान भी किराए पर ले लिया। पेंटर होने के चलते शकूर को नोटों में काम में आने वाली स्याही और कलर की बढ़िया नॉलेज थी। वहीं इन नोटों की सप्लाई के लिए उसने डूंगरपुर के सागवाड़ा के रहने वाले हिमांशु जैन को भी अपने गिरोह में मिला लिया।
शिवलाल : कमाई देख भाई को भी गिरोह में शामिल किया
शकूर का साथी 30 साल का शिवलाल गोदारा नागौर के रलियावता का रहने वाला है। उसके पिता छीतरराम गांव में ही खेती करते हैं। उसके एक भाई और एक बहन है। 12वीं के बाद आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते उसकी ग्रेजुएशन कंप्लीट नहीं हो पाई थी। बीए ड्रॉपआउट होने से पहले ही उसे NCC में C सर्टिफिकेट मिला था।
साल 2011 में कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी के लिए शिवलाल अजमेर आया था। शकूर की तरह उसका भी सरकारी नौकरी के लिए सिलेक्शन नहीं हुआ। शिवलाल लगातार कर्जे में डूब रहा था। ऐसे में कर्जमुक्त होने व जल्द अमीर बनने के लिए वो शकूर और राधे के प्लान में शामिल हो गया। जब कमाई होने लगी तो उसने सगे छोटे भाई संजय गोदारा को भी नकली नोट छापने के अवैध कारोबार में शामिल कर लिया ।

संजय : छपाई के बाद नोटों की कटिंग करता
22 साल का संजय गोदारा 12वीं पास है। साल 2018 में कॉम्पिटिशन एग्जाम की तैयारी के लिए अजमेर आया था, लेकिन सिलेक्शन नहीं हुआ। वो नकली नोटों को छपने के कारखाने में प्रिंटेड शीटों की कटिंग का काम करता था।
हिमांशु : नकली नोट खपाने के लिए ढूंढता कस्टमर
डूंगरपुर के सागवाड़ा का रहने वाला 47 साल का हिमांशु जैन शकूर और लोकेश के साथ मिलकर नकली नोटों के लिए कस्टमर ढूंढता था। हिमांशु के पिता शांतिलाल गांव में खेती करते हैं। एक छोटा भाई है, जो मानसिक रूप से कमजोर है। हिमांशु ने बीए पास कर टेली कोर्स किया था। उसने कई दुकानों में अकाउंटिंग का काम भी किया था।
लोकेश : हाल ही में ग्रेड थर्ड टीचर पद पर सिलेक्शन
डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा तहसील के पादरा गांव के रहने वाले 28 साल के लोकेश यादव को हिमांशु ने गैंग में मिलाया था। उसका काम भी नोटों की डिलीवरी के लिए कस्टमर ढूंढना और शकूर के साथ डिलीवरी देना था। लोकेश के पिता रंजीत यादव बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन में लेबर का काम करते हैं। उसके एक भाई और एक बहन है। लोकेश बीए बीएड है और गांव में ई-मित्र चलाता है। हाल ही में उसका ग्रेड थर्ड टीचर के पद पर सिलेक्शन हुआ था, लेकिन जॉइंनिंग से पहले गिरफ्तारी हो गई।

अब पढ़िए कैसे हुआ इस अवैध कारोबार का खुलासा…
दिल्ली क्राइम ब्रांच के इंस्पेक्टर दीपक पांडे ने बताया कि हमारी टीम दिल्ली में चल रहे सभी क्राइम सिंडिकेट पर कड़ी नजर रखती है। उन्हें ये इनपुट लगातार आ रहा था कि राजस्थान से कुछ युवक नकली नोटों की सप्लाई लेकर दिल्ली आ रहे हैं। ये जानकारी उच्च अधिकारियों को साझा की जा रही थी। निर्देशों पर इनपुट को पूरी तरह से कन्फर्म किया गया। इसके बाद इंस्पेक्टर दीपक पांडे की अगुवाई में स्पेशल टीम का गठन किया गया। टीम ने नकली नोटों के लिए एक डमी कस्टमर तैयार किया। इंटेलिजेंस के जरिए नकली नोट के सप्लायरों से कॉन्टेक्ट कर 6 लाख रुपए के नकली नोटों की डील डेढ़ लाख रुपए के असली नोटों से फाइनल की गई।
नोटों की सप्लाई लेकर आरोपियों को दिल्ली बुलाया
नकली नोटों के सप्लायरों से डील फाइनल होने के बाद क्राइम ब्रांच के डमी ने आरोपियों को नोटों की सप्लाई लेकर दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर के इलाके में बुलाया। 22 सितंबर की रात को इनपुट मिला कि राजस्थान से दो युवक शकूर मोहम्मद और लोकेश यादव नकली नोटों की सप्लाई लेकर दिल्ली आ गए हैं। इसके बाद दिल्ली के अक्षरधाम इलाके में छापा मारकर दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने शकूर मोहम्मद पुत्र दिलदार मोहम्मद (25) व लोकेश पुत्र रतन यादव (28) को पकड़ लिया। दोनों की तलाशी ली गई तो 6 लाख के नकली नोट मिले। ये 500-500 के नोट थे। नोट जब्त कर दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

कारखाने से 11 लाख के नकली नोट जब्त, 3 गिरफ्तार
शकूर और लोकेश से पूछताछ में मिली सूचना के आधार पर क्राइम ब्रांच टीम ने कारखाने पर छापा मारा। यहां से डूंगरपुर के पुरणवास का रहने वाले हिमांशु जैन पुत्र शांतिलाल जैन (47) व नागौर के रलियावता के रहने वाले दो भाइयों शिवलाल व संजय गोदारा पुत्र छीतर राम गोदारा को पकड़ लिया।
इनके पास से 11 लाख रुपए के 500-500 रुपए के नकली नोट भी जब्त किए। इसके अलावा किराए के मकान से 2 लेपटॉप, 3 रंगीन प्रिंटर, 2 लेमिनेटर, 2 पेन ड्राइव, पेपर शीट्स, इंक व केमिकल्स, नकली नोट छापने के लिए 2 गेज व नोटों पर सुरक्षा धागे व चमकदार स्याही आदि बरामद हुए। इसके अलावा आरोपियों के कब्जे से मोबाइल, सिमकार्ड और नकली नोटों की सप्लाई में इस्तेमाल होने वाली क्रेटा व स्विफ्ट गाड़ी जब्त की।
राधे हो गया फरार, फिलहाल पुलिस के पास कोई सुराग नहीं
दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की कार्रवाई से पहले ही शकूर और शिवलाल के साथ मिलकर गिरोह को चलाने वाला आरोपी राधे मौके से फरार हो गया। आरोपियों से हुई पूछताछ में भी पुलिस टीम को फिलहाल उसके बारे में सिवाय ‘राधे’ नाम के कुछ भी पता नहीं चल पाया है। इंस्पेक्टर पांडे ने बताया कि वो बार-बार सिम कार्ड बदलकर और फर्जी नामों के सहारे काम कर रहा है। टीम उसके पीछे लगी है, जल्दी ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।