मिलादुन्नबी : क्यों मनाई जाती है ईद मिलाद उन नबी, जानें इसका महत्व, परंपरा और इतिहास
पैगंबर मुहम्मब को इस्लाम धर्म का मार्गदर्शक माना जाता है. यही कारण है उनके यौम एक पैदाइश का दिन मुसलमानों के लिए खास होता है. इस दिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी कहा जाता है.

Eid-e-Milad Un Nabi 2023 Date: इस्लामिक कैलेंडर के प्रमुख त्योहारों में से एक ईद-ए-मिलाद. जो बस अब कुछ ही दिनो में आने वाला है. देशभर के मुस्लिम समुदाय के लोग इसकी तैयारी में डूबे हुए हैं. ईद मिलाद-उन-नबी मुस्लिम समुदाय में एक विशेष अवसर है जो अल्लाह के दूत पैगंबर मुहम्मद की जयंती के जश्न के तौर पर मनाया जाता है.
कौन है पैंगबर मुहम्मद
बता दें कि इस्लाम धर्म को बढ़ाने में पैंगबर मुहम्मद का विशेष योगदान माना जाता है. उनके वालिद और वालेदा का नाम अबदुल्ला बिन अब्दुल और आमेना था. ऐसा माना जाता है कि वो अल्लाह की तरफ से भेजे जाने वाले आखिरी पैंगबर थे. इस दिन मौलाना लोगों को अल्लाह की राह पर चलने की राह दिखाते हैं. इसलिए यह दिन बेहद खास होता है.
क्यों मनाई जाती है ईद-ए-मिलाद-उन-नबी
पैगंबर मुहम्मद सहाब की जन्मतिथि को ‘मिलाद’ कहा जाता है, जोकि अरबी से लिया गया है और इसका हिंदी अर्थ ‘जन्म’ से होता है. इस तरह से ईद-ए-मिलाद-उन-नबी पर्व का मतलब ‘पैगंबर हजरत मुहम्मद’ के जन्म से है. मनाने की उत्पत्ति कैसे हुई इसका पता इस्लाम के शुरुआती दिनों से चलता है. जब लोग पैगंबर मुहम्मग के सम्मान में इकट्ठा होकर उनका जिक्र किया करते हैं.
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का महत्व
ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या ईद मिलादुन्नबी मुसलमानों और इस्लाम धर्म को मानने वालों के लिए बेहद खास दिन है. इस दिन को लोग खुशियों के साथ किसी उत्सव या जश्न की तरह मनाते हैं. कहा जाता है कि, इस्लामी दुनिया के निर्माण और मार्गदर्शन में पैगंबर मुहम्मद का बहुत बड़ा योगदान रहा है. इसी मुबारक दिन में अल्लाह ने पैगंबर मुहमम्द को जाहिलियत के अंधेरे से बाहर निकालने के लिए भेजा.
कैसे मनाते हैं ईद-ए-मिलाद-उन-नबी का पर्व
इस दिन लोग घर और मस्जिदों को सजाते हैं. तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं. घर और मस्जिदों में इस दिन रोनक देखने को मिलती है. लोग पैगंबर मुहम्मद साहब के बताए शांति, भाईचारे, प्रेम, अल्लाह की इबादत और सच्चाई के रास्ते चलने की सीख को याद करते हैं. पवित्र ग्रंथ कुरान की तिलावत पढ़ी जाती है और लोग एक दूसरे के गले लगकर ईद-ए-मिलाद-उन-नबी की मुबारकबाद देते हैं. इस मुबारक दिन पर कई जगहों पर जुलूस भी निकाले जाते हैं. गरीब और जरूरमंदों को जकात दी जाती है.
कब और कहां हुआ था पैगंबर मुहम्मद का जन्म
पैगंबर मुहम्मद का जन्म या यौम एक पैदाइश सऊदी अरब के मक्का शहर में 571 ईसवी को हुआ था. यह दिन इस्लामी कैलेंडर के अनुसार, तीसरी रबी उल अव्वल महीने का 12 वां दिन था. इस दिन को खुशियों की तरह मनाते हैं, इसलिए इस पर्व को ‘ईदों की ईद’ कहा जाता है. भारत समेत श्रीलंका, यूनाइटेड किंगडम, पाकिस्तान, बांग्लादेश, रूस और जर्मनी जैसे कई देशों में इस पर्व को मनाया जाता है. वहीं मुस्लिम बहुल देशों में तो इस दिन राष्ट्रीय अवकाश में होता है.
ईद मिलादुन्नबी का इतिहास
इतिहास के मुताबिक हजरत मोहम्मद के समय में जन्म दिवस पर कोई विशेष प्रोग्राम नहीं होता था. ईद मिलाद मनाने की शुरुआत मिस्र जिसे आजकल इजिप्ट कहा जाता है फातमी सुल्तानों के समय काल में हुई. इसके बाद पूरी दुनिया में धीरे-धीरे सभी मुसलमान ईद मिलाद को मनाने लगे.
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ईद-ए-मिलाद पर क्या बनाएं
इस दिन घरों पर कई खास प्रकार के व्यंजन बनते हैं. इन्हें घर पर खाने के साथ ही लोग गरीबों और जरूरतमंदो को भी बांटते हैं. बता दें कि आप भी इस खास दिन पर घर पर कुछ स्पेशल बना सकते हैं और जरूरतमंदो को बाट सकते हैं. आप अपनी क्षमता के हिसाब से जकात कर सकते हैं. ऐसा माना जाता है कि जकात करने से बरकत होती है. आप इस दिन खास बिरयानी बना सकते हैं. तो आइए जानते हैं बिरयानी की रेसिपी.
दिखने में बिरयानी जितनी बेहतरीन लगती है खाने में भी इसका कोई और जोड़ नही होता है. तो अगर आप भी बिरयानी लवर हैं तो इस बार आप बनाएं मोती बिरयानी. इस बिरयानी में चिकन बॉल्स को मसालेदार ग्रेवी में घी में भुने हुए आलुओं के साथ पकाया जाता है. फिर चावलों के साथ इसको पकाकर सर्व किया जाता है.
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