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शारदीय नवरात्रि विशेष : मनोबल बढ़ाते हैं नवरात्र : आचार्य अभिमन्यू पाराशर


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धर्म/ज्योतिष

शारदीय नवरात्रि विशेष : मनोबल बढ़ाते हैं नवरात्र : आचार्य अभिमन्यू पाराशर

शारदीय नवरात्रि विशेष : मनोबल बढ़ाते हैं नवरात्र : आचार्य अभिमन्यू पाराशर

शारदीय नवरात्रि विशेष : श्री जलाराम बापा ज्योतिष शौध संस्थान (रजि.) शिमला के अध्यक्ष आचार्य अभिमन्यू पाराशर ने बताया कि अश्विन शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 22 सितम्बर को शारदीय नवरात्र का आरंभ हो रहा है। देवी पुराण में द्विस्वभाव लग्न युक्त प्रातःकाल में देवी का आह्वान एवं घट स्थापना पूजन करने का विधान है।

इस वर्ष आश्विन शुक्ल प्रतिपदा सोमवार को सूर्योदय 06:19 बजे होगा और द्विस्वभाव कन्या लग्न एवं अमृत का चौघड़िया प्रातः 06:19 से प्रात: 07:49 बजे तक रहेगा, अतः इसमें घट् स्थापना कर नवरात्र प्रारंभ करने का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। इसके अलावा अभिजित मुहूर्त में दोपहर 11:56 से दोपहर 12:44 बजे तक भी घट् स्थापना की जा सकती है।
चौघड़ियों के हिसाब से घट् स्थापना करने वाले दिन में प्रात: 09:19 से 10:49 बजे तक शुभ के चौघड़िये में भी घट् स्थापना कर सकते है।

प्रथम दिन क्या करें।
प्रातःकाल स्नानादि से निवृत होकर नया वस्त्र धारण करें।
सूर्यदेव को अर्घ्य देवें।
कुल देवी – देवता , पितर तथा घर मे प्रतिष्ठित देवी देवताओं की पूजन करें। माता पिता व बड़े बुजुर्गों का चरण स्पर्श करें।
गुरु, ब्राह्मण,मातृशक्ति व बच्चों को वस्त्र अलंकार द्रव्य आदि देंवे।
घर के दरवाजों मे आम्रपत्र का तोरण तथा वंदनवार लगायें।
भगवा रंग का धर्म ध्वजा फहरायें। घर के दरवाजे पर रंगोली चौक डलवाये।

कलश में क्या-क्या रखें?
नवरात्रि में कलश स्थापना को देवी मां की भक्ति और अटूट विश्वास का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि विधि-विधान के साथ कलश स्थापना करने से माता दुर्गा भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती है। अगर बात की जाए इस दौरान किए जाने वाले कलश स्थापना कि तो सबसे पहले मिट्टी के कलश को साफ करके उस पर मौली (लाल धागा) बांधें। इसके बाद कलश में गंगाजल, सुपाड़ी, खड़ी हल्दी, सिक्का, लौंग-इलायची के साथ कुछ ताजे फूल डालें।

ऐसे करें कलश स्थापना
कलश स्थापना के समय पांच आम के पत्तों पर कुमकुम और हल्दी लगाकर उन्हें कलश के मुंह पर लगाएं। इसके ऊपर नारियल रखें। नारियल को चुनरी से लपेटना जरूरी है क्योंकि इसे देवी मां का प्रतीक माना जाता है। नारियल रखते समय ध्यान रखें कि उसका ऊपरी भाग बाहर की ओर रहे। कलश रखने से पहले पूजा स्थल पर थोड़े से चावल बिछा दें और फिर उसके ऊपर कलश स्थापित करें। इसे देवी मां की मूर्ति या तस्वीर के पास ही रखना शुभ माना जाता है।

शारदीय नवरात्र के नौ दिन और नौ अलग-अलग भोग

पहला दिन (मां शैलपुत्री) इस दिन मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा होती है। उन्हें गाय के घी का भोग लगाना शुभ माना जाता है। इससे रोग और कष्ट दूर होते हैं।

दूसरा दिन (मां ब्रह्मचारिणी) मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री का भोग लगाया जाता है। इससे परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

तीसरा दिन (मां चंद्रघंटा) इस दिन मां चंद्रघंटा को खीर का भोग लगाने से मानसिक शांति मिलती है और सभी दुख दूर होते हैं।

चौथा दिन (मां कूष्मांडा)-
मां कूष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए। इससे देवी खुश होती हैं और जीवन के सभी दुखों का नाश करती हैं।

पांचवां दिन (मां स्कंदमाता) मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाया जाता है। इससे सेहत अच्छी रहती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।

छठा दिन (मां कात्यायनी) मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए। इससे साधक की आकर्षण शक्ति बढ़ती है और रिश्ते मधुर होते हैं।

सातवां दिन (मां कालरात्रि) इस दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है। उन्हें गुड़ या गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाएं। इससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और भय से मुक्ति मिलती है।

आठवां दिन (मां महागौरी) मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना बहुत शुभ होता है। इससे संतान से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।

नौवां दिन (मां सिद्धिदात्री) शारदीय नवरात्र के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं। इससे अचानक आने वाली विपत्तियों से सुरक्षा मिलती है।

नवरात्रि के नौ दिन किस रंग के कपड़े पहने

पहले दिन – नवरात्रि के पहले दिन आपको नारंगी रंग के कपड़े पहनने चाहिए। नारंगी रंग को पहन कर पूजा करने से आपको बहुत सकारात्मक महसूस होगा।

दूसरे दिन – इस दिन सफ़ेद रंग के वस्त्र धारण करें। यह रंग आपको आत्मशांति और बेहतर महसूस करवाने में सहयोग करेगा।

तीसरे दिन – नवरात्रि के तीसरे दिन लाल रंग को दिनचर्या में जरूर शामिल करें। आप इस रंग का प्रयोग माता की पूजा के लिए भी कर सकते हैं क्योंकि लाल रंग माता को अतिप्रिय होता है।

चौथे दिन – गहरा नीला रंग नवरात्रि के चौथे दिन सबसे शुभ रहेगा। नीला रंग समृद्धि और शान्ति लाता है। इस रंग के वस्त्र पहनें और माता का ध्यान करें।

पांचवे दिन – पीले रंग के कपड़े पहनने से आप खुश और सकारात्मक महसूस कर सकते हैं। पीला एक नर्म और मन को खुशी देने वाला रंग है। यह आपका दिन अच्छा बनाएगा।

छठवें दिन – नवरात्रि के छठवें दिन हरा रंग पहनें। हरा रंग प्रकृति से जुड़ा होता है, यह सभी चीज़ों के फलदायी, शांतिपूर्ण और स्थिर होने का संकेत देता है। देवी की प्रार्थना करते समय हरा रंग पहनना, आपको शांति महसूस करवा सकता है।

सातवें दिन – इस दिन स्लेटी रंग पहनें। यह आपकी सोच को संतुलित करने में मदद करेगा। इसकी ऊर्जा से आप अधिक व्यावहारिक हो सकते हैं।

आठवें दिन – नवदुर्गा पूजा के दौरान आठवें दिन बैंगनी रंग का उपयोग करें। इससे आपको समृद्धि और सफलता प्राप्त हो सकती है। इसलिए, अगर आप देवी मां का आशीर्वाद चाहते हैं, तो यह रंग अवश्य चुनें।

नौवें दिन – नवरात्रि के नौवें दिन आपको मोर वाला हरा रंग पहनना चाहिए। यह हरे और नीले रंग से मिलकर बनता है। यह रंग समृद्धि से जुड़ा होता है।

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